धनबाद: जिले का झरिया पुराना रेलवे स्टेशन कभी गुलजार हुआ करता था. यहां लोगों की भीड़ होती थी. आसपास दुकानें थी, लेकिन अब यह रेलवे स्टेशन खंडहर बन गया है. स्थानीय लोगों में अब ये चर्चा आम है कि इस स्टेशन पर भूतों का बसेरा है. लोगों के बीच डर का क्या माहौल है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रात आठ बजे के बाद ये पूरा इलाका सुनसान हो जाता है. इसके आस पास से भी कोई व्यक्ति गुजरना नहीं चाहता है.
धनबाद का झरिया पुराना रेलवे स्टेशन को वहां के लोग अब भूत बंगला के रूप में जानते हैं. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि रात 8 बजे के बाद लोग स्टेशन की तरफ जाने से डरते है. कहा ये भी जाता है कि स्टेशन के खंडहर से पायल और घुंघरूओं की आवाजें आती हैं. हालांकि कुछ लोग ये भी कहते हैं कि रेलवे की उदासीनता ने इस स्टेशन को भूतबंग्ला बना दिया है. स्टेशन इतना जर्जर हो गया है कि यहां आस पास रहने वाले लोगो में खौफ का माहौल बना हुआ है. डर और अफवाह के बीच रात के 8 बजते ही है स्टेशन के रास्ते में सन्नाटा पसरा जाता है. इस तरह की भी अफवाहें आम है कि यहां रात में पायल की आवाज तो कभी किसी के रोने की आवाज आती हैं.
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इस इमारत में पहले झरिया स्टेशन हुआ करता था. यहां पर ट्रेनों का ठहराव हुआ करता था. उस समय लोगों की चहल-पहल से इलाका गुलजार रहता था, लेकिन अब लोग इसे भूत बंगला के नाम से पुकारते हैं. यहां एक छोटे से केबिन में ट्रेनों के लिए रिजर्वेशन टिकट काटा जाता है, लेकिन वह भी सिर्फ 4 बजे तक ही.
यहां के लोगों का कहना है कि झरिया के जमीन के नीचे लगी आग ने इस स्टेशन को भी निगल लिया है. 2002 में झरिया रेल लाइन पूरी तरह से बंद हो गई. तब से यह इमारत खंडहर में तब्दील हो गई. दिन के उजाले में लोग इसके अगल बगल से गुजर तो जाते हैं लेकिन रात के अंधेरे में उन्हें खौफ सताने लगता है. वहीं ज्योतिषाचार्य चंदन शास्त्री की माने तो ज्यादा समय से बंद पड़े किसी भी जगह पर नकारात्मक शक्ति का प्रवेश हो जाता, जिसे लोग आम बोलचाल में भूत भी कहते हैं. कई लोगों का मानना है कि रात में इस बंगले में किसी आत्मा का वास होता है. हालांकि किसी भी वैज्ञानिक तरीके से इस बात की पुष्टी नहीं हो सकी है. विज्ञान इन बातों को अंधविश्वास ही मानता है और लोगों को इन बातों ने न पड़ने की भी सलाह दी जाती है.