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सिंह मेंसन या रघुकुल, किसकी बचेगी 'लाज', चौखट लांघकर 'ताज' पहनने निकली बहुएं - झारखंड विधानसभा चुनाव 2019

झरिया विधानसभा सीट पर जेल में बंद बीजेपी विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को जहां बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने रघुकुल के दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में डटे हैं.

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Published : Nov 23, 2019, 10:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 11:43 PM IST

धनबाद: झरिया विधानसभा सीट झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक है. और भला हो भी क्यों न, झारखंड के कोयलांचल से लेकर यूपी और बिहार तक अपनी राजनीतिक रसूख रखने वाल घराना सिंह मेंशन और रघुकुल की दोनों बहुएं इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. पिछली बार यानी साल 2014 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों के पति के बीच चुनावी टक्कर देखने हुई थी.

देखें स्पेशल स्टोरी

'लाल' होती रही है 'काली धरती'
जेल में बंद बीजेपी विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को जहां बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने रघुकुल के दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में डटे हैं. कोयलांचल का झरिया विधानसभा सीट जहां कोयले की कई माइंस है, यहां का कोयला पूरे देश को सालों से रौशन करता आ रहा है. इसी कोयले पर वर्चस्व को लेकर झरिया की काली धरती खून से लाल होती आ रही है. झरिया में वर्चस्व के खूनी खेल से हर कोई वाकिफ है.

पूर्वांचल में सिंह मेंशन की खास पहचान
झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सिंह मेंशन अपनी खास पहचान रखता है. मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले सूर्यदेव सिंह के आशियाने को सिंह मेंशन के नाम से जाना जाता है. राजनीतिक और माफिया छवि से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप इसे गैंग्स ऑफ वासेपुर के जरिए दुनिया के सामने ला चुके हैं. बता दें कि सूर्यदेव सिंह 60 के दशक में यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे, बड़ी ही तेजी से उन्होंने कोयलांचल में अपना रसूख बनाया.

ये भी पढ़ें- BJP में शामिल हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी बने एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

झरिया सीट सिंह मेंशन का दबदबा
उनके रसूख के कारण ही यहां बना उनका आशियाना सिंह मेंशन खास पहचान बन गया. साल 1977 में सूर्यदेव सिंह पहली बार झरिया से विधायक बने. साल 1991 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया. इस दौरान वे लगातार यहां के विधायक बने रहे. उनके निधन के बाद सिंह मेंशन झरिया सीट खो चुकी थी. साल 2000 में उनके अनुज बच्चा सिंह ने इस सीट पर सिंह मेंशन की वापसी कराई. उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह यहां से दो बार विधायक रही. साल 2014 में उनके पुत्र संजीव सिंह यहां से चुनाव लड़े और अब तक वे इस सीट पर काबिज हैं.

दोनों को है जीत का भरोसा
21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की नृशंस हत्या सरायढेला में कर दी गई. जिसमे विधायक संजीव सिंह आरोपी हैं और पिछले ढाई साल से जेल में बंद है. जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह बीजेपी से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि कांग्रेस से दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह इस चुनावी मैदान में हैं. दोनों झरिया के कई क्षेत्रों का दौरा कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं. रागिनी सिंह का कहना है कि झरिया की जनता में इस बार काफी ज्यादा उत्साह है. इस बार उन्हें सवा लाख वोटों से जनता उन्हें जीत दिलाएगी. कांग्रेस प्रत्याशी और उनकी जेठानी पूर्णिमा सिंह के बारे में उन्होंने कहा मैं उनकी किसी रिश्ते में नही हूं. मेरे लिए वह सिर्फ एक प्रत्याशी हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने कहा कि लोगों में मेरे पति नीरज सिंह के प्रति प्रेम है. उन्हें नहीं पाकर लोग मुझे खोजते हैं, उन्होंने कहा कि जन समर्थन उनके साथ है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर: रघुवर नगर में सरयू राय का विरोध, बीजेपी समर्थकों से हुई झड़प

'राजनीतिक दलों का धनबल और बाहुबल पर विश्वास'
वरिष्ठ पत्रकार इंद्रजीत सिंह का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस में एक से बढ़कर एक समर्पित कार्यकर्ता हैं. लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियां धनबल और बाहुबल पर विश्वास रखती हैं. परिवारवाद का विरोध करते हैं, लेकिन एक ही परिवार को बार-बार टिकट दे रहें हैं. ऐसे में जनता के पास लाचारी के सिवाय कुछ नहीं बचता है. सिंह मेंशन और रघुकुल का इतिहास झारखंड ही नही बल्कि पूरा देश जानता है. जिस झरिया में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जैसे महापुरुष आ चुके हैं. पिछले दो-ढाई दशक से पार्टियों के चरित्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

धनबल और बाहुबल वालों को ही मिलेगा मौका
वहीं झरिया के युवा नेता अनूप साव ने कहा कि वर्तमान में राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है. यहां आम कार्यकर्ताओं की रायशुमारी सिर्फ ड्रामा है, यहां के आम कार्यकर्ताओं को कभी भी प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलेगा. जिसके पास धनबल और बाहुबल है वही जनप्रतिनिधि बन पायेंगे.

धनबाद: झरिया विधानसभा सीट झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक है. और भला हो भी क्यों न, झारखंड के कोयलांचल से लेकर यूपी और बिहार तक अपनी राजनीतिक रसूख रखने वाल घराना सिंह मेंशन और रघुकुल की दोनों बहुएं इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. पिछली बार यानी साल 2014 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों के पति के बीच चुनावी टक्कर देखने हुई थी.

देखें स्पेशल स्टोरी

'लाल' होती रही है 'काली धरती'
जेल में बंद बीजेपी विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को जहां बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने रघुकुल के दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में डटे हैं. कोयलांचल का झरिया विधानसभा सीट जहां कोयले की कई माइंस है, यहां का कोयला पूरे देश को सालों से रौशन करता आ रहा है. इसी कोयले पर वर्चस्व को लेकर झरिया की काली धरती खून से लाल होती आ रही है. झरिया में वर्चस्व के खूनी खेल से हर कोई वाकिफ है.

पूर्वांचल में सिंह मेंशन की खास पहचान
झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सिंह मेंशन अपनी खास पहचान रखता है. मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले सूर्यदेव सिंह के आशियाने को सिंह मेंशन के नाम से जाना जाता है. राजनीतिक और माफिया छवि से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप इसे गैंग्स ऑफ वासेपुर के जरिए दुनिया के सामने ला चुके हैं. बता दें कि सूर्यदेव सिंह 60 के दशक में यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे, बड़ी ही तेजी से उन्होंने कोयलांचल में अपना रसूख बनाया.

ये भी पढ़ें- BJP में शामिल हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी बने एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

झरिया सीट सिंह मेंशन का दबदबा
उनके रसूख के कारण ही यहां बना उनका आशियाना सिंह मेंशन खास पहचान बन गया. साल 1977 में सूर्यदेव सिंह पहली बार झरिया से विधायक बने. साल 1991 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया. इस दौरान वे लगातार यहां के विधायक बने रहे. उनके निधन के बाद सिंह मेंशन झरिया सीट खो चुकी थी. साल 2000 में उनके अनुज बच्चा सिंह ने इस सीट पर सिंह मेंशन की वापसी कराई. उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह यहां से दो बार विधायक रही. साल 2014 में उनके पुत्र संजीव सिंह यहां से चुनाव लड़े और अब तक वे इस सीट पर काबिज हैं.

दोनों को है जीत का भरोसा
21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की नृशंस हत्या सरायढेला में कर दी गई. जिसमे विधायक संजीव सिंह आरोपी हैं और पिछले ढाई साल से जेल में बंद है. जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह बीजेपी से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि कांग्रेस से दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह इस चुनावी मैदान में हैं. दोनों झरिया के कई क्षेत्रों का दौरा कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं. रागिनी सिंह का कहना है कि झरिया की जनता में इस बार काफी ज्यादा उत्साह है. इस बार उन्हें सवा लाख वोटों से जनता उन्हें जीत दिलाएगी. कांग्रेस प्रत्याशी और उनकी जेठानी पूर्णिमा सिंह के बारे में उन्होंने कहा मैं उनकी किसी रिश्ते में नही हूं. मेरे लिए वह सिर्फ एक प्रत्याशी हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने कहा कि लोगों में मेरे पति नीरज सिंह के प्रति प्रेम है. उन्हें नहीं पाकर लोग मुझे खोजते हैं, उन्होंने कहा कि जन समर्थन उनके साथ है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर: रघुवर नगर में सरयू राय का विरोध, बीजेपी समर्थकों से हुई झड़प

'राजनीतिक दलों का धनबल और बाहुबल पर विश्वास'
वरिष्ठ पत्रकार इंद्रजीत सिंह का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस में एक से बढ़कर एक समर्पित कार्यकर्ता हैं. लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियां धनबल और बाहुबल पर विश्वास रखती हैं. परिवारवाद का विरोध करते हैं, लेकिन एक ही परिवार को बार-बार टिकट दे रहें हैं. ऐसे में जनता के पास लाचारी के सिवाय कुछ नहीं बचता है. सिंह मेंशन और रघुकुल का इतिहास झारखंड ही नही बल्कि पूरा देश जानता है. जिस झरिया में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जैसे महापुरुष आ चुके हैं. पिछले दो-ढाई दशक से पार्टियों के चरित्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

धनबल और बाहुबल वालों को ही मिलेगा मौका
वहीं झरिया के युवा नेता अनूप साव ने कहा कि वर्तमान में राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है. यहां आम कार्यकर्ताओं की रायशुमारी सिर्फ ड्रामा है, यहां के आम कार्यकर्ताओं को कभी भी प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलेगा. जिसके पास धनबल और बाहुबल है वही जनप्रतिनिधि बन पायेंगे.

Intro:नोट:-नही पहचानते हो रघुकुल को छलनी छलनी कर देंगे

शुक्रवार को भेजी गई इस स्टोरी में और झरिया प्रोफ़ाइल में कई जरूरत की विजुअल हैं।कृप्या देख लेंगे।
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ANCHOR:-झरिया विधानसभा सीट पूरे झारखंड में सबसे हॉट सीट माना जा रहा है।और हो भी क्यों न।झारखंड के कोयलांचल से लेकर यूपी और बिहार तक अपनी राजनीतिक रसूख रखने वाल घराना सिंह मेंशन और रघुकुल की दोनो बहुएं इस बार चुनावी मैदान में आमने सामने है।जेल में बंद सिंह मेंशन के युवराज बीजेपी विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को जहां बीजेपी अपना उम्मीदवार बनाया है।वहीं कांग्रेस पार्टी ने रघुकुल के दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को अपना उम्मीदवार खड़ा किया है।दोनो अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी मुश्तैदी के साथ मैदान में डंटे हैं।


Body:VO 01:-कोयलांचल का झरिया विधानसभा जहां कोयले की कई माइंस है।यहां का कोयला पूरे देश रौशन करता है।इसी कोयले पर वर्चस्व को लेकर झरिया की काली धरती खून से लाल होती आ रही है।झरिया पर वर्चस्व की खूनी खेल से हर कोई वाकिफ हैं।झारखंड ही नही बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी सिंह मेंशन अपनी खास पहचान रखता है। मजदूरों के मसीहा कहलाने वाले सूर्यदेव सिंह के आशियाने को सिंह मेंशन के नाम से जाना जाता है। राजनीतिक और माफिया छवि से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप ने फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर भी बना चुके हैं।


VO 02:-सूर्यदेव सिंह 60 के दशक में यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे। बड़ी तेजी से कोयलांचल में उन्होंने अपना रसूख बनाया।उनके रसूख के कारण ही यहां बना उनका आशियाना सिंह मेंशन खास पहचान बन गया। साल 1977 में सूर्यदेव सिंह पहली बार झरिया विधानसभा से न सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि फतह भी हासिल की।साल 1991 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। इस दौरान वे लगातार यहां के विधायक बने रहे।उनके निधन के बाद सिंह मेंशन झरिया सीट खो चुके थे।साल 2000 में उनके अनुज बच्चा सिंह इस सीट पर जीत हासिल कर कब्जा जमाने मे कामयाब रहे।उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह यहाँ से दो बार विधायक रही।साल 2005 में उनके पुत्र संजीव सिंह यहां से चुनाव लड़े और अबतक वे इस सीट पर काबिज हैं।21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की नृशंस हत्या सरायढेला में कर दी गई।जिसमे विधायक संजीव सिंह आरोपी है।और पिछले ढाई साल से जेल में बंद है।जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह बीजेपी से चुनाव लड़ रही है।जबकि कांग्रेस से दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह इस चुनावी मैदान में है।दोनो झरिया के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही है।रागिनी सिंह का कहना है कि झरिया की जनता में इस बार काफी ज्यादा उत्साह है।इस बार उन्हें सवा लाख वोटों से जनता उन्हें जीत दिलाएगी।कांग्रेस प्रत्याशी और उनकी जेठानी पूर्णिमा सिंह के बारे में उन्होंने कहा मैं उनकी किसी रिश्ते में नही हूँ।मेरे लिए वह एक सिर्फ प्रत्याशी है।मेरा किसी से कोई रिश्ता कोई नाता नही है।उन्होंने कहा किसी के भी चुनाव में आने से भारतीय जनता पार्टी पर कोई प्रभाव नही पड़ने वाला है।

BYTE 01:-RAGINI SINGH, BJP PRATYSHI,SANJIV SINGH KI PATNI

VO 03:-वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने कहा कि लोगों में मेरे पति नीरज सिंह प्रति उन्हें प्रेम है।उन्हें नही पाकर लोग मुझे खोजते हैं।उन्होंने कहा जन समर्थन उनके साथ है।

BYTE 02:-POORNIMA SINGH, CONGRESS PRATYASHI,SVARGIYA NIRAJ SINGH KI PATNI

VO 04:-यह तो हुई दो घरानों की बात।अब बात करते हैं हम उन दो प्रमुख पार्टियों की जिन्होंने इन्हें टिकट देकर इस चुनावी मैदान में उतारा है।झरिया की राजनीति में अब सिंह मेंशन और रघुकुल इन दो घरानों को टिकट दिए जाने पर अब सवाल उठने लगे हैं।भय भूख भ्रष्टाचार और परिवारवाद को खत्म करने का नारा देने वाली पार्टियां झरिया सीट से इन्हें ही आखिर क्यों टिकट देती है।वरिष्ठ पत्रकार इंद्रजीत सिंह का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस में एक से बढ़कर एक समर्पित कार्यकर्ता हैं।क्या उन कार्यकर्ताओं पर पार्टी को भरोसा नही हुआ।दोनो प्रमुख पार्टियां धनबल और बाहुबल पर विश्वास रखते हैं।परिवारवाद का विरोध करते हैं।लेकिन एक ही परिवार को बार बार टिकट दे रहें हैं।ऐसे जनता के पास लाचारी के सिवाय कुछ नही बचता है।सिंह मेंशन और रघुकुल का इतिहास झारखंड ही नही बल्कि पूरा देश जनता है।जिस झरिया में महात्मा गांधी,नेताजी सुभाषचंद्र बोस,जैसे महापुरुष आ चुके हैं।पिछले दो ढाई दशक से पार्टियों के चरित्र पर सवाल खड़ा हो रहा है।

BYTE 03:-INDRAJIT SINGH, VARISHTH PATRAKAR

VO 05:-वहीं झरिया के युवा नेता अनूप साव ने कहा कि वर्तमान में राजनीतिक स्तर गिरता जा रहा है।जनप्रतिनिधि एक सेवक का पद है।लेकिन इसे लोग राज भोग के दृष्टिकोण से देखते हैं।राज भोगना है।अकूत संपत्ति जमा करने की भावना राजनीति में बनती जा रही है।आम कार्यकर्ताओं की राय शुमारी सिर्फ एक ड्रामा है।झरिया से यदि कोई पार्टी का स्वच्छ कार्यकर्ता चुनाव लड़ने की सोचता है तो वह सोंच भी उसके सीने में दफन हो जायेगा।कारण यहां टिकट के लिए करोड़ों का खेल चलता है।यहां के आम कार्यकर्ताओं को ऐसे में कभी भी प्रतिनिधित्व करने का मौका नही मिलेगा।जिसके पास धनबल और बाहुबल है वही जनप्रतिनिधि बन पायेंगे।

BYTE 04:-ANUP SAW,YUVA NETA







Conclusion:बहरहाल,झरिया की जनता अब प्रमुख पार्टियों की नीति और सिद्धांतों को समझ चुकी है।लेकिन ये लाचार और बेबस जनता आखिर जाएं तो जाएं कहां।क्योंकि धनबल और बाहुबल के आगे सभी नतमस्तक है।
Last Updated : Nov 23, 2019, 11:43 PM IST
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