धनबाद: झरिया विधानसभा सीट झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक है. और भला हो भी क्यों न, झारखंड के कोयलांचल से लेकर यूपी और बिहार तक अपनी राजनीतिक रसूख रखने वाल घराना सिंह मेंशन और रघुकुल की दोनों बहुएं इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. पिछली बार यानी साल 2014 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों के पति के बीच चुनावी टक्कर देखने हुई थी.
'लाल' होती रही है 'काली धरती'
जेल में बंद बीजेपी विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को जहां बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने रघुकुल के दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. दोनों अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने को लेकर पूरी मुस्तैदी के साथ मैदान में डटे हैं. कोयलांचल का झरिया विधानसभा सीट जहां कोयले की कई माइंस है, यहां का कोयला पूरे देश को सालों से रौशन करता आ रहा है. इसी कोयले पर वर्चस्व को लेकर झरिया की काली धरती खून से लाल होती आ रही है. झरिया में वर्चस्व के खूनी खेल से हर कोई वाकिफ है.
पूर्वांचल में सिंह मेंशन की खास पहचान
झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सिंह मेंशन अपनी खास पहचान रखता है. मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले सूर्यदेव सिंह के आशियाने को सिंह मेंशन के नाम से जाना जाता है. राजनीतिक और माफिया छवि से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप इसे गैंग्स ऑफ वासेपुर के जरिए दुनिया के सामने ला चुके हैं. बता दें कि सूर्यदेव सिंह 60 के दशक में यूपी के बलिया से धनबाद पहुंचे थे, बड़ी ही तेजी से उन्होंने कोयलांचल में अपना रसूख बनाया.
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झरिया सीट सिंह मेंशन का दबदबा
उनके रसूख के कारण ही यहां बना उनका आशियाना सिंह मेंशन खास पहचान बन गया. साल 1977 में सूर्यदेव सिंह पहली बार झरिया से विधायक बने. साल 1991 में हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया. इस दौरान वे लगातार यहां के विधायक बने रहे. उनके निधन के बाद सिंह मेंशन झरिया सीट खो चुकी थी. साल 2000 में उनके अनुज बच्चा सिंह ने इस सीट पर सिंह मेंशन की वापसी कराई. उसके बाद सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह यहां से दो बार विधायक रही. साल 2014 में उनके पुत्र संजीव सिंह यहां से चुनाव लड़े और अब तक वे इस सीट पर काबिज हैं.
दोनों को है जीत का भरोसा
21 मार्च 2017 को पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की नृशंस हत्या सरायढेला में कर दी गई. जिसमे विधायक संजीव सिंह आरोपी हैं और पिछले ढाई साल से जेल में बंद है. जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह बीजेपी से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि कांग्रेस से दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह इस चुनावी मैदान में हैं. दोनों झरिया के कई क्षेत्रों का दौरा कर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रही हैं. रागिनी सिंह का कहना है कि झरिया की जनता में इस बार काफी ज्यादा उत्साह है. इस बार उन्हें सवा लाख वोटों से जनता उन्हें जीत दिलाएगी. कांग्रेस प्रत्याशी और उनकी जेठानी पूर्णिमा सिंह के बारे में उन्होंने कहा मैं उनकी किसी रिश्ते में नही हूं. मेरे लिए वह सिर्फ एक प्रत्याशी हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह ने कहा कि लोगों में मेरे पति नीरज सिंह के प्रति प्रेम है. उन्हें नहीं पाकर लोग मुझे खोजते हैं, उन्होंने कहा कि जन समर्थन उनके साथ है.
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'राजनीतिक दलों का धनबल और बाहुबल पर विश्वास'
वरिष्ठ पत्रकार इंद्रजीत सिंह का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस में एक से बढ़कर एक समर्पित कार्यकर्ता हैं. लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियां धनबल और बाहुबल पर विश्वास रखती हैं. परिवारवाद का विरोध करते हैं, लेकिन एक ही परिवार को बार-बार टिकट दे रहें हैं. ऐसे में जनता के पास लाचारी के सिवाय कुछ नहीं बचता है. सिंह मेंशन और रघुकुल का इतिहास झारखंड ही नही बल्कि पूरा देश जानता है. जिस झरिया में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जैसे महापुरुष आ चुके हैं. पिछले दो-ढाई दशक से पार्टियों के चरित्र पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
धनबल और बाहुबल वालों को ही मिलेगा मौका
वहीं झरिया के युवा नेता अनूप साव ने कहा कि वर्तमान में राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है. यहां आम कार्यकर्ताओं की रायशुमारी सिर्फ ड्रामा है, यहां के आम कार्यकर्ताओं को कभी भी प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलेगा. जिसके पास धनबल और बाहुबल है वही जनप्रतिनिधि बन पायेंगे.