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धनबाद में ईद उल अजहा की नमाज अता, गले मिलकर दी बकरीद की बधाई

धनबाद में हर्षोल्लास से बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है. सुबह में निरसा के शिवलीबाड़ी ईदगाह में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अता किये.

Bakrid festival
धनबाद में हर्षोल्लास से अता की ईद उल अजहा की नमाज
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Published : Jul 10, 2022, 11:12 AM IST

धनबादः रविवार को देश में मुस्लिम समाज धूमधाम से ईद उल अजहा यानी बकरीद त्योहार मना रहे हैं. रविवार की सुबह निरसा के शिवलीबाड़ी ईदगाह में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अता किये. नमाज अता करने के बाद लोग एक-दूसरे के गले मिले और बकरीद की बधाई दी. मौलाना मसूद अजहर ने लोगों से अपील करते हुये कहा कि अमन और शान्ति के साथ बकरीद का त्योहार मनाये.

यह भी पढ़ेंः Eid ul Adha: मस्जिदों, ईदगाह, मकतबों, मदरसों में नमाज के लिए विशेष प्रबंध

कुर्बानी का त्योहार है जो अल्लाह की राह में दी जाती है. अजहा अरबी शब्द है, जिसके मायने कुर्बानी, बलिदान, त्याग होता है. इस त्योहार की पृष्ठभूमि में अल्लाह का वह इम्तिहान है, जो उन्होंने हजरत इब्राहीम का लिया. हजरत इब्राहीम उनके पैगंबर थे. अल्लाह ने एक बार उनका इम्तिहान लेने के बारे में सोचा. उनसे ख्वाब के जरिए अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हर बाप की तरह हजरत इब्राहीम को भी अपने बेटे इस्माइल से मोहब्बत थी. यह मुहब्बत इस मायने में भी खास थी कि इस्माइल उनके इकलौते बेटे थे और काफी वक्त बाद पैदा हुए थे. उन्होंने फैसला किया कि इस्माइल से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है और फिर उन्होंने उनको ही कुर्बान करने का फैसला किया. बेटे की कुर्बानी देते हुए उन्होंने अपनी आंख पर पट्टी बांध लेना बेहतर समझा, ताकि बेटे का मोह कहीं अल्लाह की राह में कुर्बानी देने में बाधा ना बन जाए. फिर उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो यह देखकर चौंक गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हुआ है. इसके बाद बकरों की कुर्बानी का चलन शुरू हुआ.

देखें वीडियो

इस त्योहार को बकरीद के नाम से जानते है. मुस्लिम समाज के लोग ईदगाह में नमाज अता करते हैं और एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. नमाज अता के समय निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी शिवलीबाड़ी के ईदगाह में उपस्थित हुये और मुसलमान भाइयों को ईद की बधाई दी . वहीं, असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिये पुलिस बल की भी तैनाती की गई है.

धनबादः रविवार को देश में मुस्लिम समाज धूमधाम से ईद उल अजहा यानी बकरीद त्योहार मना रहे हैं. रविवार की सुबह निरसा के शिवलीबाड़ी ईदगाह में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अता किये. नमाज अता करने के बाद लोग एक-दूसरे के गले मिले और बकरीद की बधाई दी. मौलाना मसूद अजहर ने लोगों से अपील करते हुये कहा कि अमन और शान्ति के साथ बकरीद का त्योहार मनाये.

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कुर्बानी का त्योहार है जो अल्लाह की राह में दी जाती है. अजहा अरबी शब्द है, जिसके मायने कुर्बानी, बलिदान, त्याग होता है. इस त्योहार की पृष्ठभूमि में अल्लाह का वह इम्तिहान है, जो उन्होंने हजरत इब्राहीम का लिया. हजरत इब्राहीम उनके पैगंबर थे. अल्लाह ने एक बार उनका इम्तिहान लेने के बारे में सोचा. उनसे ख्वाब के जरिए अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हर बाप की तरह हजरत इब्राहीम को भी अपने बेटे इस्माइल से मोहब्बत थी. यह मुहब्बत इस मायने में भी खास थी कि इस्माइल उनके इकलौते बेटे थे और काफी वक्त बाद पैदा हुए थे. उन्होंने फैसला किया कि इस्माइल से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है और फिर उन्होंने उनको ही कुर्बान करने का फैसला किया. बेटे की कुर्बानी देते हुए उन्होंने अपनी आंख पर पट्टी बांध लेना बेहतर समझा, ताकि बेटे का मोह कहीं अल्लाह की राह में कुर्बानी देने में बाधा ना बन जाए. फिर उन्होंने जब अपनी आंख से पट्टी हटाई तो यह देखकर चौंक गए कि उनका बेटा सही सलामत खड़ा है और उसकी जगह एक बकरा कुर्बान हुआ है. इसके बाद बकरों की कुर्बानी का चलन शुरू हुआ.

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इस त्योहार को बकरीद के नाम से जानते है. मुस्लिम समाज के लोग ईदगाह में नमाज अता करते हैं और एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. नमाज अता के समय निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी शिवलीबाड़ी के ईदगाह में उपस्थित हुये और मुसलमान भाइयों को ईद की बधाई दी . वहीं, असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिये पुलिस बल की भी तैनाती की गई है.

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