धनबाद: जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल SNMMCH Hospital एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है. ताजा मामला एनेस्थीसिया विभाग का है, जहां के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर यूएन वर्मा पर नर्सिंग की छात्रा ने दुष्कर्म का प्रयास और परीक्षा फॉर्म नहीं भरने देने का आरोप लगाया है.
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पीड़ित छात्रा ने इस मामले की शिकायत कॉलेज प्रबंधन से की है. छात्रा ने बताया है कि आरोपी प्रोफेसर डॉक्टर यूएन वर्मा ने उसे अपने निजी नर्सिंग होम में काम करने के लिए बुलाया था. जब वहां पहुंची तो उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया गया. वो किसी तरह वहां से अपनी आबरू बचाकर वापस लौटी.
अपनी शिकायत में छात्रा ने ये भी कहा कि आरोपी प्रोफेसर लगातार उस निजी नर्सिंग होम में काम करने का दबाव बना रहा था. ऐसा करने से मना करने पर प्रोफेसर ने छात्रा को अनुपस्थिति दिखाकर परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित कर दिया. अब पीड़िता ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से न्याय की मांग कर फाइनल परीक्षा में शामिल होने की गुहार लगाई है.
कमिटी करेगी आरोपों की जांच
जैसे ही छात्रा ने अस्पताल के अधीक्षक को विभागाध्यक्ष की शिकायत लिखित रूप से दर्ज कराई, पूरे मेडिकल कॉलेज परिसर में खलबली मच गई है. नर्सिंग की छात्राओं और कर्मचारियों में आक्रोश देखा जा रहा है. आखिर गुरु का दर्जा प्राप्त चिकित्सक कैसे अपनी ही छात्रा पर बुरी नजर डाल सकता है.
छात्रा के परिजनों ने भी अधीक्षक से गुहार लगाते हुए कहा है कि उनकी बेटी अब मानसिक तनाव में रह रही है. अगर उसके साथ कुछ भी बुरा हुआ या उसने कोई गलत कदम उठाया तो इसके लिए पूरी तरह से आरोपी चिकित्सक जिम्मेदार होंगे. मामले की गंभीरता को देखते हुए आनन-फानन में अस्पताल अधीक्षक के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई गयी और कमिटी मामले की जांच कर रही है.
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आरोपी प्रोफेसर ने दी सफाई
पूरे मामले में जांच के दौरान आरोपी HOD डॉ. यूएन वर्मा से भी जांच कमिटी ने पूछताछ की है. मीडिया से बात करते हुए आरोपी डॉक्टर वर्मा ने बताया कि उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं. मानवीय भूल की वजह से छात्रा को परीक्षा फॉर्म भरने से रोका गया था. आरोपी प्रोफेसर ने कहा कि जो भी उनपर आरोप लगाए हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है. वह उनके निजी क्लीनिक में कभी नहीं गयी.
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरुण कुमार बर्णवाल ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. इसके लिए तीन डॉक्टरों की कमिटी बनाई गयी है. जिसमें नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रजनीकांत सिन्हा, डॉ. सुनील कुमार वर्मा और डॉक्टर राजलक्ष्मी तुबिद को शामिल किया गया है. जहां तक छात्रा को परीक्षा देने का सवाल है तो उसे परीक्षा देने से कोई भी वंचित नहीं कर सकता. मंगलवार की जांच के बाद छात्रा को परीक्षा फार्म भरने की इजाजत दे दी गयी है.