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सरकार के लाख दावों के बाद भी लोगों को नहीं है 108 की जानकारी, मरीज को रिक्शे पर लेकर पहुंचा PMCH - पीएमसीएच अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी

धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में एक रिक्शे में मरीज को परिजन लेकर पहुंचा. मरीज के परिजन ने बताया कि उसे ये नहीं पता है कि सरकार की तरफ से 108 नंबर पर फोन करने से मरीज को एम्बुलेंस मुहैया कराई जाती है.

रिक्शे में मरीज
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Published : Oct 23, 2019, 8:06 AM IST

धनबाद: जिले के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में एक रिक्शे में मरीज को लाता देख लोग हैरान रह गए. जिस रिक्शे का उपयोग सामानों को ढोने में किया जाता है उस पर मरीजों को ढोना कहां तक सही है ये बड़ा सवाल है.

देखें पूरी खबर

मरीज को ठेले पर लेकर पहुंचा
रिक्शे में मरीज को लेकर आने वाले का नाम दारा सिंह है. उसने बताया कि ठेले पर पड़ी मरीज उसकी भाभी है. तबीयत बिगड़ने पर उसे आनन-फानन में रिक्शे पर लाया है. उसने बताया कि उसके पास पैसे भी नहीं और न ही मोबाइल है कि वह एंबुलेंस मंगा सके. उसे तो सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी नहीं पता.

जागरुकता की कमी
इससे साफ जाहिर होता है कि अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है. इसलिए जरुरी है कि सरकार और जोर शोर से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में प्रचार-प्रसार करे, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी इसकी पूरी जानकारी हो.

ये भी पढ़ें- दीपावली और छठ पूजा के मद्देनजर 1 नवंबर से रांची-पटना के लिए चलेगी 'स्पेशल ट्रेन'

व्यापक प्रचार प्रसार की कमी
वहीं, इस संबंध में पीएमसीएच अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि चार-पांच एंबुलेंस हैं जो मरीजों के लिए उपयोग में लाई जाती है.108 नंबर एंबुलेंस की सेवा बिल्कुल निशुल्क है. उन्होंने कहा कि व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी के कारण लोग इसका फायदा कभी-कभी नहीं उठा पाते हैं.

धनबाद: जिले के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में एक रिक्शे में मरीज को लाता देख लोग हैरान रह गए. जिस रिक्शे का उपयोग सामानों को ढोने में किया जाता है उस पर मरीजों को ढोना कहां तक सही है ये बड़ा सवाल है.

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मरीज को ठेले पर लेकर पहुंचा
रिक्शे में मरीज को लेकर आने वाले का नाम दारा सिंह है. उसने बताया कि ठेले पर पड़ी मरीज उसकी भाभी है. तबीयत बिगड़ने पर उसे आनन-फानन में रिक्शे पर लाया है. उसने बताया कि उसके पास पैसे भी नहीं और न ही मोबाइल है कि वह एंबुलेंस मंगा सके. उसे तो सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी नहीं पता.

जागरुकता की कमी
इससे साफ जाहिर होता है कि अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है. इसलिए जरुरी है कि सरकार और जोर शोर से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में प्रचार-प्रसार करे, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी इसकी पूरी जानकारी हो.

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व्यापक प्रचार प्रसार की कमी
वहीं, इस संबंध में पीएमसीएच अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी ने कहा कि चार-पांच एंबुलेंस हैं जो मरीजों के लिए उपयोग में लाई जाती है.108 नंबर एंबुलेंस की सेवा बिल्कुल निशुल्क है. उन्होंने कहा कि व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी के कारण लोग इसका फायदा कभी-कभी नहीं उठा पाते हैं.

Intro:ANCHOR:-जिस ठेला गाड़ी पर सामानों को ढोया जाता है।उसी ठेले पर सामानों की तरह लोड कर मरीजों को अस्पताल लाया जा रहा है।यह हम नही कह रहे हैं।बल्कि तस्वीरें उस सच्चाई को खुद ब खुद बयां कर रही है।आप भी देखिए उन तश्वीरों की असली हकीकत....





Body:VO 02:-जिस ठेले का उपयोग सामानों को ढोने में किया जाता।उनपर मरीजों को ढोया जा रहा है।यह तश्वीर है।जिले के पीएमसीएच अस्पताल की।यहां एक व्यक्ति मरीज को ठेला पर लोड कर पहुंचे हैं।अस्पताल में लगी लक्जरी एम्बुलेंस देख यह अपना ठेला इमरजेंसी के मुख्य द्वार तक भी नही ले जाता है।वह इमरजेंसी के मुख्य द्वार के पहले ही अपना ठेला खड़ा कर देता है।ईटीवी भारत के संवाददाता द्वारा जब उन्हें कहा जाता है।फिर वह ठेला लेकर इमरजेंसी के मुख्य द्वार तक पहुँचता है।मुख्य द्वार पर अस्पताल के किसी स्टाफ को न देखकर वह द्वार से आगे बढ़ता ही है कि वहाँ मौजूद पुलिसकर्मी शोर मचाते हूए उसे रोक देता है।वह ठेला को फिर पीछे कर लेता है।ईटीवी भारत की टीम को खबर कवर करते देख अस्पताल के दो स्टाफ स्ट्रेचर लेकर भागते हुए पहुँचते हैं और फिर उसे अस्पताल के अंदर ले जाते हैं।ठेले वाले का नाम दारा सिंह है।उसने बताया कि ठेले पर पड़ी मरीज,उसकी भाभी है।उल्टी और पैखाना होने के बाद उसकी तबियत बिगड़ गई।जिसके बाद उसे इलाज के लिए यहां लेकर आया है।दारा ने कहा कि पैसा नही था।इसलिए ठेला पर तीन-चार किलोमीटर दूर ढाँगी बस्ती से लेकर आ रहा हूँ।

BYTE 01:-DARA SINGH,MARIJ KE PARIJAN

VO 02:--वहीं इस संबंध में जब पीएमसीएच अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी से बात की तो उन्होंने कहा कि चार-पांच एम्बुलेंस है।जो मरीजों के लिए उपयोग में लायी जाती है।108 नम्बर एम्बुलेंस की सेवा बिलकुल निःशुल्क है।फोन के माध्यम से यह कहीं से भी मरीजों को लाती है।उन्होंने कहा कि व्यापक प्रचार प्रसार की कमी के कारण लोग इसका फायदा कभी कभी नही उठा पाते हैं।

BYTE 02:--DR ARUN KUMAR CHAUDHARY, ADHIKSHAK,PMCH





Conclusion:बहरहाल,निःशुल्क चमचमाती लग्जरी एम्बुलेंस का क्या फायदा जब मरीज को परिजनों द्वारा ठेला पर लाया जाता हो।

नरेंद्र कुमार, ईटीवी भारत, धनबाद
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