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धनबाद के SNMMCH में डी-डाइमर टेस्ट शुरू, फेफड़े में संक्रमण पहुंचने से पहले मिलेगी जानकारी

धनबाद के SNMMCH में डी-डाइमर टेस्ट शुरू हो गया है. फेफड़ों में संक्रमण का पता लगाने के लिए डी-डाइमर टेस्ट उपयुक्त है. संक्रमण पहुंचने से पहले इसकी जानकारी मिलेगी.

D-dimer test started at SNMMCH in Dhanbad
डी-डाइमर टेस्ट शुरू
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Published : May 24, 2021, 9:19 PM IST

धनबादः जिला उपायुक्त उमा शंकर सिंह की पहल पर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में डी-डाइमर टेस्ट शुरु किया गया है. उपायुक्त ने कहा कि वैश्विक माहमारी कोरोना की दूसरी लहर में वायरस अब नाक और गले की बजाय सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है, जो बहुत खतरनाक है. इसमें रक्त में थक्का जमने के लक्षण भी सामने आए हैं. इसका पता लगाने में डी-डाइमर टेस्ट उपयुक्त है और गंभीर रूप से संक्रमित मरीज की स्थिति का विश्लेषण कर मृत्यु दर कम करने में मदद करता है.

इसे भी पढ़ें- ब्लैक और व्हाइट फंगस के लक्षण आने पर डॉक्टर से लें सलाह, घबराने की जरूरत नहीं

उन्होंने बताया डी-डाइमर टेस्ट से शरीर में थक्कों की मौजूदगी किन-किन अंगों में है, इसका पता चलता है. जब संक्रमण गंभीर हो जाता है, तब खासतौर पर फेफड़ों में बहुत सारे थक्के बन जाते हैं. इसकी वजह से फेफड़े अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता. थक्का जमने से शरीर में रक्त प्रवाह बाधित होता है, शरीर इन थक्कों को तोड़ने की कोशिश करता है.

एसएनएमएमसीएच के बायोकेमिस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए डी-डायमर टेस्ट की आवश्यकता को देखते हुए उपायुक्त ने उपलब्ध कराकर इसे शुरू करवाया. मरीज का सैंपल मिलने के बाद उसी दिन रिपोर्ट मिल जाती है, जबकि बाहर से रिपोर्ट आने में कम से कम 4 से 5 दिन का समय लग जाता है. अब तक 117 मरीजों का सैंपल लेकर रिपोर्ट उपलब्ध कराया गया है.

संक्रमण की गंभीरता का पता चलता है

उन्होंने बताया डी-डाइमर का उच्च स्तर दर्शाता है कि शरीर में बहुत अधिक थक्का मौजूद हैं, जो कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित होने का एक खतरनाक संकेत हो सकता है. इसलिए कोरोना संक्रमण की गंभीरता का आकलन करने के लिए डी-डाइमर का उपयोग किया जाता है. डॉ. वर्मा ने बताया कि उपायुक्त की पहल पर इस अस्पताल में एचबीए-1सी की जांच भी की जाती है. जांच से डायबिटीज के मरीजों के पिछले तीन-चार माह का रिपोर्ट मिलता है और यह पता चलता है कि तीन चार महीने में डायबिटीज का स्तर क्या रहा है.

धनबादः जिला उपायुक्त उमा शंकर सिंह की पहल पर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में डी-डाइमर टेस्ट शुरु किया गया है. उपायुक्त ने कहा कि वैश्विक माहमारी कोरोना की दूसरी लहर में वायरस अब नाक और गले की बजाय सीधे फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है, जो बहुत खतरनाक है. इसमें रक्त में थक्का जमने के लक्षण भी सामने आए हैं. इसका पता लगाने में डी-डाइमर टेस्ट उपयुक्त है और गंभीर रूप से संक्रमित मरीज की स्थिति का विश्लेषण कर मृत्यु दर कम करने में मदद करता है.

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उन्होंने बताया डी-डाइमर टेस्ट से शरीर में थक्कों की मौजूदगी किन-किन अंगों में है, इसका पता चलता है. जब संक्रमण गंभीर हो जाता है, तब खासतौर पर फेफड़ों में बहुत सारे थक्के बन जाते हैं. इसकी वजह से फेफड़े अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता. थक्का जमने से शरीर में रक्त प्रवाह बाधित होता है, शरीर इन थक्कों को तोड़ने की कोशिश करता है.

एसएनएमएमसीएच के बायोकेमिस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में आइसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए डी-डायमर टेस्ट की आवश्यकता को देखते हुए उपायुक्त ने उपलब्ध कराकर इसे शुरू करवाया. मरीज का सैंपल मिलने के बाद उसी दिन रिपोर्ट मिल जाती है, जबकि बाहर से रिपोर्ट आने में कम से कम 4 से 5 दिन का समय लग जाता है. अब तक 117 मरीजों का सैंपल लेकर रिपोर्ट उपलब्ध कराया गया है.

संक्रमण की गंभीरता का पता चलता है

उन्होंने बताया डी-डाइमर का उच्च स्तर दर्शाता है कि शरीर में बहुत अधिक थक्का मौजूद हैं, जो कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित होने का एक खतरनाक संकेत हो सकता है. इसलिए कोरोना संक्रमण की गंभीरता का आकलन करने के लिए डी-डाइमर का उपयोग किया जाता है. डॉ. वर्मा ने बताया कि उपायुक्त की पहल पर इस अस्पताल में एचबीए-1सी की जांच भी की जाती है. जांच से डायबिटीज के मरीजों के पिछले तीन-चार माह का रिपोर्ट मिलता है और यह पता चलता है कि तीन चार महीने में डायबिटीज का स्तर क्या रहा है.

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