धनबाद: फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने एक फिल्म में बाबू लोहार का रोल किया था. उसके बाद लोगों को यह समझ में आया कि लोहार का काम कितना मेहनत भरा काम है.
जगेश्वर लोहार का कहना है कि उनका यह पुश्तैनी धंधा है. उनके बाप और दादा सभी इस काम को करते थे. अब वो अपने परिवार में सिर्फ यह काम कर रहे हैं, क्योंकि इस धंधे में अब कोई लाभ नहीं रह गया है. इस धंधे से अब बाल-बच्चे को पढ़ाना-लिखाना और घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है.
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नए लोग इस धंधे में अब नहीं आना चाहते
जगेश्वर लोहार ने कहा कि इस धंधे में अब नए लोग नहीं आना चाहते हैं, क्योंकि इस धंधे में अब लाभ नहीं रह गया है. यह मेहनत भरा काम है जाड़ा, गर्मी, बरसात सभी दिन आग के सामने बैठ कर लोहे को पिघलाना अब सबके बस की बात नहीं रह गई है. उसके बावजूद भी अगर प्रॉफिट हो तो किया जा सकता है, लेकिन अब इस धंधे में कुछ बचा भी नहीं है. जिसके कारण लोग इस धंधे में अब आना नहीं चाहते. जगेश्वर लोहार ने कहा कि वो भी नहीं चाहते कि उसका बच्चा अब यह काम करें.
मशीनरी सामानों ने बढ़ाई परेशानी
जगेश्वर लोहार ने कहा कि बाजार में मशीनरी सामानों का बोलबाला है. भले ही वो सामान ज्यादा टिकाऊ और मजबूत ना हो, लेकिन लोगों को सस्ते में मिल जाता है. उन्होंने कहा कि वो लोग मेहनत कर और सही लोहे का सामान बनाते हैं, जिसके कारण यह कुछ महंगा जरूर होता है. लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है और वो सस्ता सामान ही लेना पसंद करते हैं, जिस कारण उन लोगों का धंधा मंदा पड़ गया है.
गौरतलब, है कि धनबाद में अभी तापमान 44 डिग्री के करीब है और इतनी भीषण जेठ की गर्मी में भी अगर कोई आग के सामने लोहे को पिघलाने का काम करें और उसे ढंग से मजदूरी भी ना मिले तो उसे अपने धंधे से मोह भंग होना स्वाभाविक है. ऐसे में यह कहना अब शायद गलत नहीं होगा कि आगे आने वाले दिनों में इस तरह के पुश्तैनी धंधे को करने वाले लोग अब नजर नहीं आएंगे. धीरे-धीरे यह सब धंधा विलुप्त हो जाएगा.