धनबाद: आदिवासी की जमीन पर बीसीसीएल जबरन उत्खनन कर रहा है. शिकायत के बाद सरकारी मुलाजिमों ने जो जांच रिपोर्ट झारखंड विधानसभा और विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को सौंपी है उसे देखकर हर कोई हैरान है. क्योंकि एक रिपोर्ट में लिखा है बीसीसीएल ने जमीन को तहस नहस कर दिया है तो दूसरे रिपोर्ट में किसी तरह का कार्य नहीं होने का दावा किया गया. ताज्जुब की बात है कि दोनों रिपोर्ट झरिया अंचल कार्यालय से ही बनाई गई है. एक रिपोर्ट अंचल निरीक्षक ने बनाई है तो दूसरी रिपोर्ट अंचल अधिकारी ने आखिर कौन सही है कौन गलत.
56 आदिवासी परिवारों को बसाया गया
साल 1945 में करीब 56 आदिवासी परिवारों को बिहार सरकार ने झरिया के बस्ताकोला चंदमारी में बसाने के उद्देश्य से जमीन की बंदोबस्ती की थी. 6-7 एकड़ जमीन आदिवासियों के नाम पर बंदोबस्ती की गई थी, लेकिन आउटसोर्सिंग कंपनी जबरन इस जमीन पर उत्खनन का काम कर रही है. यहां बसे आदिवासी परिवार ने इसकी शिकायत झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज से की. मामले को लेकर विधायक के दिए गए जांच के आदेश बाद सीओ ने अपने अधीनस्थ कर्मचारी से जांच भी कराई. जांच में कहा गया कि इस जमीन को होल कर तहस नहस किया जा रहा है. इसके साथ ही अविलंब कार्य पर रोक लगाने की बात जांच में कही गई.
एक कार्यालय से दो रिपोर्ट
विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के विधानसभा में इस मामला को उठाए जाने के बाद जो रिपोर्ट झरिया ने सौंपी है वह काफी चौकाने वाली है. सीओ ने अपनी रिपोर्ट में उक्त स्थल पर किसी तरह कार्य नहीं कराए जाने की बात कही है. झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह के कोलियरी क्षेत्र में चलने वाली मजदूर संगठन के नेता रामकृष्णा पाठक ने इसे पूरे मामले पर मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जिला प्रशासन के अधिकारी सरकार को बरगलाने का काम कर रही है. बीसीसीएल आदिवासियों की बंदोबस्त किए गए जमीन को जिला प्रशासन के साथ लूटने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि दोनों रिपोर्ट कैसे सही हो सकती है. दोनों में से एक गलत है. इसकी निष्पक्ष जांच सरकार को करनी चाहिए.
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सरकार से न्याय की मांग
वहीं, यहां रह रहे आदिवासियों का कहना है कि झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह हमारी मांगों को लेकर विधानसभा में आवाज उठाई है. हम चाहते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस पर पहल करते हुए हमें नियोजन और मुआवजा दिलाने का काम करें. कौन सी रिपोर्ट सही है यह जांच का विषय है. जांच के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो सकता है, लेकिन इतना तो जरूर है कि जिला प्रशासन और बीसीसीएल की मिलीभगत की बू उत्खनन के खेल में आ रही है.