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108 एंबुलेंस चालकों ने किया प्रदर्शन, कहा- हमारी सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं

धनबाद में कोविड-19 के लिए बनाया गया सेंट्रल अस्पताल बीती शनिवार रात ही फुल हो गया है. इस वैश्विक महामारी में 108 एंबुलेंस चालकों ने आज तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है, लेकिन अपनी समस्या से परेशान 108 एंबुलेंस चालकों ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किया.

108 ambulance drivers demonstration in dhanbad, Corona infection increases in Dhanbad, Ambulance drivers afraid of Corona, धनबाद में 108 एंबुलेंस चालकों ने किया प्रदर्शन, धनबाद में बढ़ता कोरोना का संक्रमण, कोरोना से डर रहे एंबुलेंस चालक
108 एंबुलेंस चालकों का प्रदर्शन
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Published : Aug 2, 2020, 10:22 PM IST

धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है. कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है. झारखंड में भी देखते-देखते आंकड़ा लगभग 13,000 हो गया है. वहीं, कोयलांचल में भी मरीजों की संख्या अब तकरीबन 1000 तक पहुंचने वाली है.

जान के साथ खिलवाड़

धनबाद में कोविड-19 के लिए बनाया गया सेंट्रल अस्पताल बीती शनिवार रात ही फुल हो गया है. इस वैश्विक महामारी में 108 एंबुलेंस चालकों ने आज तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है, लेकिन अपनी समस्या से परेशान 108 एंबुलेंस चालकों ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- सीएम हेमंत सोरेन आवास में 17 कर्मचारी निकले कोरोना पॉजिटिव, पूरे परिसर को किया जा रहा सेनेटाइज

प्रदर्शन करने पर मजबूर
कोविड-19 मरीज मिलने से लेकर तमाम तरह की समस्याओं में 108 एंबुलेंस वाहन की तत्परता को बखूबी इन दिनों झारखंड में देखा जा सकता है. इसके चालक चुस्त- दुरुस्त दिखते हैं. चाहे वह सिंपल मरीज को अस्पताल पहुंचाने की बात हो या फिर कोरोना मरीज को ही अस्पताल पहुंचाने की बात हो, सभी मामलों में यह वाहन चालक बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन अब यह अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं.


एंबुलेंस को सेनेटाइजिंग नहीं कराने का भी आरोप
अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए उन्होंने बताया कि कोरोना मरीज को लेकर अस्पताल में पहुंचने के बाद भी दो-दो घंटे तक वहां खड़ा रहना पड़ता है. कोई मरीज को रिसीव करने भी नहीं आता. काफी मिन्नतें करने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. साथ ही वरीय पदाधिकारियों का फोन दूसरे मरीज को लाने के लिए बराबर किया जाता है. ऐसे में उन्हें खाना खाने तक का समय नहीं मिल पाता. बमुश्किल उन्हें एक-दो घंटे ही छुट्टी मिल पाती है. जिसमें वह खाना और पानी पी पाते हैं. साथ ही साथ उन्होंने इन एंबुलेंस को सेनेटाइजिंग नहीं कराने का भी आरोप लगाया.

ये भी पढ़ें- झारखंड में यूपी की दो नाबालिग आदिवासी लड़कियों के साथ गैंगरेप, 12 दरिंदों ने लूटी अस्मत

जिला प्रशासन से अपील

उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के बावजूद भी इन वाहनों की सेनेटाइजिंग नहीं की जाती है. ऐसे में इन पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. एंबुलेंस चालकों ने कहा कि कोरोना मरीजों को पहुंचाने के लिए पहले तो मात्र एक एंबुलेंस थी, फिर बाद में 2 एंबुलेंस इस कार्य के लिए लगाया गया और अब जाकर चार एंबुलेंस इस कार्य के लिए लगाया गया है. उन्होंने जिला प्रशासन से अपील की है कि उनके कार्यों को भी देखते हुए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए और कोविड-19 अस्पताल में मरीजों की को विशेष तौर पर पहुंचने के साथ ही रिसीव करने की व्यवस्था की जाए.

धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है. कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है. झारखंड में भी देखते-देखते आंकड़ा लगभग 13,000 हो गया है. वहीं, कोयलांचल में भी मरीजों की संख्या अब तकरीबन 1000 तक पहुंचने वाली है.

जान के साथ खिलवाड़

धनबाद में कोविड-19 के लिए बनाया गया सेंट्रल अस्पताल बीती शनिवार रात ही फुल हो गया है. इस वैश्विक महामारी में 108 एंबुलेंस चालकों ने आज तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है, लेकिन अपनी समस्या से परेशान 108 एंबुलेंस चालकों ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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प्रदर्शन करने पर मजबूर
कोविड-19 मरीज मिलने से लेकर तमाम तरह की समस्याओं में 108 एंबुलेंस वाहन की तत्परता को बखूबी इन दिनों झारखंड में देखा जा सकता है. इसके चालक चुस्त- दुरुस्त दिखते हैं. चाहे वह सिंपल मरीज को अस्पताल पहुंचाने की बात हो या फिर कोरोना मरीज को ही अस्पताल पहुंचाने की बात हो, सभी मामलों में यह वाहन चालक बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. लेकिन अब यह अपनी समस्याओं को लेकर प्रदर्शन करने पर मजबूर हैं.


एंबुलेंस को सेनेटाइजिंग नहीं कराने का भी आरोप
अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए उन्होंने बताया कि कोरोना मरीज को लेकर अस्पताल में पहुंचने के बाद भी दो-दो घंटे तक वहां खड़ा रहना पड़ता है. कोई मरीज को रिसीव करने भी नहीं आता. काफी मिन्नतें करने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. साथ ही वरीय पदाधिकारियों का फोन दूसरे मरीज को लाने के लिए बराबर किया जाता है. ऐसे में उन्हें खाना खाने तक का समय नहीं मिल पाता. बमुश्किल उन्हें एक-दो घंटे ही छुट्टी मिल पाती है. जिसमें वह खाना और पानी पी पाते हैं. साथ ही साथ उन्होंने इन एंबुलेंस को सेनेटाइजिंग नहीं कराने का भी आरोप लगाया.

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जिला प्रशासन से अपील

उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के बावजूद भी इन वाहनों की सेनेटाइजिंग नहीं की जाती है. ऐसे में इन पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. एंबुलेंस चालकों ने कहा कि कोरोना मरीजों को पहुंचाने के लिए पहले तो मात्र एक एंबुलेंस थी, फिर बाद में 2 एंबुलेंस इस कार्य के लिए लगाया गया और अब जाकर चार एंबुलेंस इस कार्य के लिए लगाया गया है. उन्होंने जिला प्रशासन से अपील की है कि उनके कार्यों को भी देखते हुए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए और कोविड-19 अस्पताल में मरीजों की को विशेष तौर पर पहुंचने के साथ ही रिसीव करने की व्यवस्था की जाए.

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