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देवघर में SILK से महिलाओं की जिंदगी हुई 'रेशमी', गुमनामी से निकल बना रहीं अपनी खास पहचान - देवघर

महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बंदिशों को तोड़कर वो कामयाबी के आसमान में उड़ रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं बाबानगरी के शिल्पग्राम में. झारक्रफ्ट के माध्यम से लगभग 6 सौ महिलाएं प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Mar 7, 2019, 11:48 PM IST

देवघरः बदलते भारत में महिलाएं भी अपनी जीवनशैली बदल रही हैं. घर की चौखट से आगे निकलकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. शहर हो या गांव महिलाएं अपनी अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार की जिंदगी संवार रही हैं. बाबानगरी की महिलाएं रेशम से अपनी जिंदगी को रेशमी बना रही हैं.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बंदिशों को तोड़कर वो कामयाबी के आसमान में उड़ रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं बाबानगरी के शिल्पग्राम में. झारक्रफ्ट के माध्यम से लगभग 6 सौ महिलाएं प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.

महिलाएं अपने घर का कामकाज निपटाने के बाद तसर से धागा निकालने का प्रशिक्षण लेती हैं. ट्रेनिग ले रही महिलाओं का उत्साह भी देखते ही बनता है. उनकी आंखों की चमक और चेहरे पर छाई मुस्कान भविष्य की उस कहानी को बयां करने के लिए काफी है. ये महिलाएं खुद तो सीख ही रही हैं, साथ ही स्वरोजगार की ओर कदम भी बढ़ा रही हैं. इसके अलावा दूसरी महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

देवघरः बदलते भारत में महिलाएं भी अपनी जीवनशैली बदल रही हैं. घर की चौखट से आगे निकलकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. शहर हो या गांव महिलाएं अपनी अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार की जिंदगी संवार रही हैं. बाबानगरी की महिलाएं रेशम से अपनी जिंदगी को रेशमी बना रही हैं.

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महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बंदिशों को तोड़कर वो कामयाबी के आसमान में उड़ रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं बाबानगरी के शिल्पग्राम में. झारक्रफ्ट के माध्यम से लगभग 6 सौ महिलाएं प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.

महिलाएं अपने घर का कामकाज निपटाने के बाद तसर से धागा निकालने का प्रशिक्षण लेती हैं. ट्रेनिग ले रही महिलाओं का उत्साह भी देखते ही बनता है. उनकी आंखों की चमक और चेहरे पर छाई मुस्कान भविष्य की उस कहानी को बयां करने के लिए काफी है. ये महिलाएं खुद तो सीख ही रही हैं, साथ ही स्वरोजगार की ओर कदम भी बढ़ा रही हैं. इसके अलावा दूसरी महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

Intro:देवघर 'वुमन्स डे' के मौके पर उन तमाम महिलाओं को सलाम जो, ग्रामीण इलाकों की बदल रहीं है तस्वीर।


Body:देवघर। वैसे तो बदलते भारत मे शहर से लेकर गांव तक की महिलाओं ने ख़ुद को आत्मनिर्भर बनाकर स्वरोजगार, शिक्षा, तकनीक, रक्षा और तमाम क्षेत्रों में मुकाम हासिल कर यह साबित कर दिया है कि, वह किसी भी मामले में पीछे नहीं है लेकिन, अब भी कई ऐसे इलाके हैं जहां महिलाओं की हालत जस की तस बनी हुई है। संसाधनों का अभाव और घरेलू बंदिशों ने उनके पैरों को बेड़ियो से जकड़ रखा है फिर भी वो अपनी उड़ान भरने की जद्दोजहद में जी जान से जुटी हुई हैं। ऐसी ही तस्वीर नज़र आती है देवघर के शिल्पग्राम में जहां झारक्राफ्ट के माध्यम से अबतक करीब 6 सौ से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और सौ से ज्यादा महिलाएं अपने पैरों पर खड़े होने के रास्ते पर कदम बढ़ा चुकी हैं। जी हां, एक छोटी से बैटरी के सहारे चलने वाली यह वो  मशीन है जो अबतक घर का चूल्हा चौक संभालने वाली महिलाओं के इन हाथों को हुनरमंद बना रही हैं। घर का काम काज निपटने के बाद यह महिलाएं रेशम में कीड़ों से निकले तसर से धागे निकाल निकलने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। ट्रेनिग ले रही महिलाओं का उत्साह भी देखते ही बनता है। उनकी आंखों की चमक और चेहरे पर छाई मुस्कान भविष्य की उस कहानी को बयां करने के लिए काफी है जिसे हासिल करने का सपना कभी घर की चारदीवारियों में कैद होकर राह गई थी। लेकिन, अब तस्वीर बदल चुकी है, ये महिलाएं अपनी तकदीर की कहानी गढ़ चुकी हैं और, अपनी मंज़िल को हासिल करने की ख़ातिर जी जान से जुटी हुई हैं।अब वो दिन दूर नहीं जब जब यह भी ग़ुरबत की गुमनाम गलियों से बाहर निकलेंगे, अपने लिए खुद का रोजगार खड़ा करेंगी और आस पास की महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश के दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराएगी।


Conclusion:ऐसे में स्वरोजगार और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही उन तमाम महिलाओं को महिला दिवस के मौके पर हमारा सलाम और ढेर सारी शुभकामनाएं।

बाइट मोमिता ग्रामीण महिला।
बाइट अनिता देवी ग्रामीण महिला।
बाइट ट्रेनर।
बाइट रावडी देवी ट्रेनर।
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