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रोहिणी स्टेट कंपाउंड के पीपल के पेड़ पर गड़ा है भगवान शिव का त्रिशूल, जानें क्या है मान्यता

देवघर के रोहिणी स्टेट कंपाउंड स्थित पीपल के पेड़ में एक त्रिशूल गड़ा हुआ है. लोगों की मान्यता है कि यह त्रिशूल भगवान शिव ही यहां छोड़ गए थे. दूर-दूर से लोग यहां इसकी पूजा और दर्शन करने आते हैं.

Trishul of lord shiva in Peepal tree At rohini state compound deoghar
पीपल के पेड़ में त्रिशूल
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Published : Feb 20, 2020, 7:30 PM IST

देवघरः देवों की नगरी कहे जाने वाले देवघर जिले में साक्षात बाबा बैद्यनाथ विराजमान हैं. बाबा भोले से जुड़ी देवनगरी में कई रहस्य और कहानियां हैं. इन्हीं में से एक है जिले से 6 किलोमीटर दूर रोहिणी ग्राम के रोहिणी स्टेट कंपाउंड में स्थित पीपल के पेड़ पर त्रिशूल का होना.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-ढुल्लू महतो के आवास पर पहुंची पुलिस, समर्थकों का गुस्सा देख बैरंग लौटी पुलिस

लोगों का मानना है कि यह त्रिशूल बाबा भोलेनाथ का है और उन्होंने ही पीपल के पेड़ पर इसे गाड़ा है. रोहिणी स्टेट के वंशज बताते हैं कि बाबा भोले अक्सर उनके यहां किसी भी निमंत्रण में आते थे, वह भी अलग-अलग भेष में, मगर एक दिन जब उनके यहां निमंत्रण में पहुंचे तो भोलेनाथ का विचित्र रूप देखकर उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. इससे नाराज होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल को पीपल के पेड़ में गाड़ दिया और फिर दोबारा लौटकर नहीं आने का संदेश दे गए.

रोहिणी स्टेट को जब इस बात की जानकारी हुई तो सभी ने बाबा भोले के दरबार में माफी मांगने के लिए धरना भी दिया लेकिन भोलेनाथ नहीं माने. रोहिणी स्टेट के वंशज बताते हैं कि तब से इस त्रिशूल की रोजाना पूजा-अर्चना की जाने लगी. उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा की सप्तमी के दिन इस त्रिशूल को उतारा जाता है और रोहिणी स्टेट की ओर से स्थापित प्राचीन दुर्गा मंदिर में विधिवत पूजा की जाती है और मां दुर्गा के विसर्जन से पहले दोबारा उसी पीपल के पेड़ पर चढ़ा दिया जाता है. आस-पास के इलाकों के साथ बाहर से भी लोग इस दुर्लभ पेड़ पर स्थित त्रिशूल से आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. वहीं, स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि शिवरात्रि हो या दशहरा में यहां काफी लोगों की भीड़ होती है. सबसे प्राचीन मेला रोहिणी में ही होता है. जो परंपरा आज भी बरकरार है.

देवघरः देवों की नगरी कहे जाने वाले देवघर जिले में साक्षात बाबा बैद्यनाथ विराजमान हैं. बाबा भोले से जुड़ी देवनगरी में कई रहस्य और कहानियां हैं. इन्हीं में से एक है जिले से 6 किलोमीटर दूर रोहिणी ग्राम के रोहिणी स्टेट कंपाउंड में स्थित पीपल के पेड़ पर त्रिशूल का होना.

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रोहिणी स्टेट को जब इस बात की जानकारी हुई तो सभी ने बाबा भोले के दरबार में माफी मांगने के लिए धरना भी दिया लेकिन भोलेनाथ नहीं माने. रोहिणी स्टेट के वंशज बताते हैं कि तब से इस त्रिशूल की रोजाना पूजा-अर्चना की जाने लगी. उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा की सप्तमी के दिन इस त्रिशूल को उतारा जाता है और रोहिणी स्टेट की ओर से स्थापित प्राचीन दुर्गा मंदिर में विधिवत पूजा की जाती है और मां दुर्गा के विसर्जन से पहले दोबारा उसी पीपल के पेड़ पर चढ़ा दिया जाता है. आस-पास के इलाकों के साथ बाहर से भी लोग इस दुर्लभ पेड़ पर स्थित त्रिशूल से आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. वहीं, स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि शिवरात्रि हो या दशहरा में यहां काफी लोगों की भीड़ होती है. सबसे प्राचीन मेला रोहिणी में ही होता है. जो परंपरा आज भी बरकरार है.

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