देवघर: 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान अंग्रेज अफसर को नंगी तलवार से मारने वाले और अंग्रेजों से लोहा लेने वाले देवघर के तीन वीर सपूत अमानत अली, सलामत अली और शेख हारो के नाम पर रोहिणी में बना शहीद पार्क का आज प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है. आलम ये है कि बिजली के अभाव में जहां पार्क में लगी बत्तियां नहीं जलती हैं और लोगों को शाम होने से पहले ही पार्क से निकलकर जाना पड़ता है. इन दिनों यहां पहुंचने वाले लोग भी इसके जीर्णोद्धार के लिए सरकार से अपेक्षा कर रहे हैं.
पार्क में पिछले 16 माह से काम करने वाले माली को उसका वेतन नहीं मिला है. स्थानीय वार्ड पार्षद शहीद पार्क की इस स्थिति के लिए सीधे-सीधे जिला प्रशासन को जिम्मेवार बताते हैं और कहती हैं कि 16 जून के दिन भी जिला प्रशासन का अमला पहुंचता जरूर है ओर बस चिकनी-चुपड़ी बातें कर चले जाते हैं.
ये भी देखें- पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को नहीं मिलेगा सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं, आइए जानते हैं आखिर क्यों!
बहरहाल,1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान रोहिणी स्थित घुड़सवार सैन्य दस्ते के तीन सिपाहियों सलामत अली, अमानत अली और शेख हारो ने 12 जून को अंग्रेज अफसर पर वार कर उसे वहीं ढेर कर दिया था. जिसके बाद पकड़े गए तीनों सिपाहियों को 16 जून को फांसी की सजा मिली थी और उन्हीं तीन शहीदों के नाम पर बना पार्क आज उपेक्षा का शिकार है.