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देवघर में की जा रही देवोत्थान एकादशी पूजा, सभी मांगलिक कार्य आज से शुरू

25 नवंबर 2020 को देवोत्थान एकादशी है और आज ही तुलसी विवाह भी है. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. देवघर में देवोत्थान एकादशी की पूजा अर्चना की जा रही है. इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाती है.

people worship devothan ekadashi puja in deoghar
देवोत्थान एकादशी पूजा
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Published : Nov 25, 2020, 6:36 PM IST

देवघर: जिले में कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी पूजा की जा रही है. इसे प्रबोधनी, देवउठनी और देवउत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार आज हरि शयन एकादशी भी है और आज के दिन भगवान जल में शयन करते है और आज के ही दिन भगवान विष्णु जागते भी है और सभी देवी देवता जागते है. जिस कारण आज से सभी पूजा पाठ सहित सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाती है.

देखें पूरी खबर

भक्त आज गन्ने का मंदिर बनाकर उपवास कर शाम को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर जागते हैं. कथाओं के अनुसार भगवान ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नाम के राक्षस का वद्ध किया था. जिसके बाद थकान दूर करने के लिए जल में शयन किये थे. आज के दिन भक्त जागरण भी करते है जिससे विशेष फल की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़े- अहमद पटेल के निधन पर कांग्रेस हेड क्वार्टर में शोक सभा का आयोजन, नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

वहीं, आज तुलसी विवाह भी है. इस दिन तुलसी पौधे को पूरी तरह चुनरी और मोली धागा से सजा कर महिलाएं पूरी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन तुलसी विवाह करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जसके बाद से विवाह का लग्न शुरू हो जाता है. आज के दिन महिलाएं तुलसी पेड़ को साड़ी, चूड़ी पहनाकर और पूरी श्रृंगार कर गणेश देवता और शालिग्राम की भी विधिवत पूजा करती है.

देवघर: जिले में कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी पूजा की जा रही है. इसे प्रबोधनी, देवउठनी और देवउत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार आज हरि शयन एकादशी भी है और आज के दिन भगवान जल में शयन करते है और आज के ही दिन भगवान विष्णु जागते भी है और सभी देवी देवता जागते है. जिस कारण आज से सभी पूजा पाठ सहित सभी मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाती है.

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भक्त आज गन्ने का मंदिर बनाकर उपवास कर शाम को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर जागते हैं. कथाओं के अनुसार भगवान ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नाम के राक्षस का वद्ध किया था. जिसके बाद थकान दूर करने के लिए जल में शयन किये थे. आज के दिन भक्त जागरण भी करते है जिससे विशेष फल की प्राप्ति होती है.

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