देवघर: जिले के मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत खड़ियाडीह गांव में गरीबी और अव्यवस्था के कारण सुधीर सोरेन नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई. वह कई दिनों से बीमार चल रहा था, लेकिन पैसे के अभाव और उचित इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गई.
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ
सुधीर के तीन बच्चे हैं. बीमारी के बाद उसकी पत्नी के कंधे पर ही परिवार चलाने का बोझ था. पत्नी भी किसी तरह मजदूरी कर घर चला रही थी, लेकिन कोरोना को लेकर हुए बंदी ने उससे वो काम भी छिन लिया. इस परिवार के पास राशन कार्ड की पर्ची तो है, लेकिन कितना राशन मिलता है उसका हिसाब-किताब नहीं है. इस परिवार को न तो आयुष्मान भारत योजना का कार्ड और न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है. राशन के नाम पर कभी-कभी कुछ चावल मिल जाता था.
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भूख से मौत का मामला
सुधीर सोरेन की बीमारी के समय भले ही किसी ने उसकी सुध नहीं ली, लेकिन उसकी मौत की खबर सुनते ही बीडीओ साहब उसके घर पहुंचे और हमेशा की तरह 50 किलो चावल और कुछ रुपये उसके पत्नी के हाथ में देकर अपनी जिम्मेवारी से मुक्त हो लिए. उन्होंने सर्टिफिकेट भी दिया कि सुधीर की मौत बीमारी से ही हुई है. इतनी तत्परता भी शायद इसलिए कि कहीं भूख से मौत का मामला न बन जाए.
सरकार के तौर तरीकों में बदलाव
अब गलती चाहे जिस स्तर से हुई हो. आरोप-प्रत्यारोप हमेशा की तरह जारी रहेगा, लेकिन इतना तो तय है कि इस सुधीर की तरह कितने और भी गरीब मुफलिसी की भेंट चढ़ गया होगा. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सूबे का निजाम तो बदल गया, लेकिन सरकार के तौर तरीकों में अभी भी कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.