देवघर: बाबा मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. कहा जाता है कि इसका निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने किया है. मान्यताओं के अनुसार यहां पहले जंगल हुआ करता था, इसी जगह पर सभी देवताओं ने मंदिर स्थापना का निर्णय लिया. जिसके बाद देवशिल्पी को इसकी जिम्मेदारी दी गई. भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया.
लक्ष्मी नारायण मंदिर बनने का रहस्य
कहा जाता है कि जब भगवान विश्वकर्मा खुद के मंदिर को बैद्यनाथ मंदिर से भव्य बनाने में जुट गए, तभी सारे देवी-देवताओं ने देखा कि ये बाबा बैद्यनाथ के मंदिर से भव्य अपने मंदिर को बना रहे हैं, जो कि ठीक नहीं है. जब देवताओं ने उनसे कहा कि भोलेनाथ के मंदिर से बड़ा अपना मंदिर आप कैसे बना सकते हैं. तब वो नाराज हो गए और कहा कि वह जगन्नाथ हैं तो उनका ही मंदिर भव्य बनेगा.
देवताओं ने धरा मुर्गे का रूप
भगवान विश्वकर्मा की हठ को देखते हुए देवताओं ने साथ मिलकर एक मुर्गे का रूप धारण किया. उसके बाद उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को जगाकर बोला कि सुबह हो गई है, निर्माण कार्य को रोका जाए. विश्वकर्मा भगवान देवताओं के जाल में फंस गए और अपने मंदिर के कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया. आज यह मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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बहरहाल, बाबा मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर और 24 देवी-देवता विराजमान हैं. जिसमें भगवान विश्वकर्मा ने पांच मंदिरों का निर्माण किया है. जो बाबा बैद्यनाथ, माता पार्वती, मां काली, सूर्यनारायण मंदिर और संध्या मंदिर है. इसके अलावा बचे सभी मंदिर का निर्माण बाद में किया गया है.