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भगवान विश्वकर्मा ने किया था बाबा मंदिर सहित 22 मंदिरों का निर्माण, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता

देवघर के बाबा मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि जिनमें से भगवान विश्वकर्मा ने खुद पांच मंदिरों का निमार्ण किया है. कहा जता है कि जिस समय बाबा बैद्यनाथ मंदिर की स्थापना की गई उसी समय विश्वकर्मा के द्वारा पांचों मंदिर को बनाया गया था.

देवघर के बाबा मंदिर
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Published : Sep 17, 2019, 2:53 PM IST

देवघर: बाबा मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. कहा जाता है कि इसका निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने किया है. मान्यताओं के अनुसार यहां पहले जंगल हुआ करता था, इसी जगह पर सभी देवताओं ने मंदिर स्थापना का निर्णय लिया. जिसके बाद देवशिल्पी को इसकी जिम्मेदारी दी गई. भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया.

लक्ष्मी नारायण मंदिर बनने का रहस्य
कहा जाता है कि जब भगवान विश्वकर्मा खुद के मंदिर को बैद्यनाथ मंदिर से भव्य बनाने में जुट गए, तभी सारे देवी-देवताओं ने देखा कि ये बाबा बैद्यनाथ के मंदिर से भव्य अपने मंदिर को बना रहे हैं, जो कि ठीक नहीं है. जब देवताओं ने उनसे कहा कि भोलेनाथ के मंदिर से बड़ा अपना मंदिर आप कैसे बना सकते हैं. तब वो नाराज हो गए और कहा कि वह जगन्नाथ हैं तो उनका ही मंदिर भव्य बनेगा.

देवताओं ने धरा मुर्गे का रूप
भगवान विश्वकर्मा की हठ को देखते हुए देवताओं ने साथ मिलकर एक मुर्गे का रूप धारण किया. उसके बाद उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को जगाकर बोला कि सुबह हो गई है, निर्माण कार्य को रोका जाए. विश्वकर्मा भगवान देवताओं के जाल में फंस गए और अपने मंदिर के कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया. आज यह मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है.

ये भी देखें- रांची में विश्वकर्मा पूजा की तैयारियां पूरी, मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार


बहरहाल, बाबा मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर और 24 देवी-देवता विराजमान हैं. जिसमें भगवान विश्वकर्मा ने पांच मंदिरों का निर्माण किया है. जो बाबा बैद्यनाथ, माता पार्वती, मां काली, सूर्यनारायण मंदिर और संध्या मंदिर है. इसके अलावा बचे सभी मंदिर का निर्माण बाद में किया गया है.

देवघर: बाबा मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. कहा जाता है कि इसका निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने किया है. मान्यताओं के अनुसार यहां पहले जंगल हुआ करता था, इसी जगह पर सभी देवताओं ने मंदिर स्थापना का निर्णय लिया. जिसके बाद देवशिल्पी को इसकी जिम्मेदारी दी गई. भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया.

लक्ष्मी नारायण मंदिर बनने का रहस्य
कहा जाता है कि जब भगवान विश्वकर्मा खुद के मंदिर को बैद्यनाथ मंदिर से भव्य बनाने में जुट गए, तभी सारे देवी-देवताओं ने देखा कि ये बाबा बैद्यनाथ के मंदिर से भव्य अपने मंदिर को बना रहे हैं, जो कि ठीक नहीं है. जब देवताओं ने उनसे कहा कि भोलेनाथ के मंदिर से बड़ा अपना मंदिर आप कैसे बना सकते हैं. तब वो नाराज हो गए और कहा कि वह जगन्नाथ हैं तो उनका ही मंदिर भव्य बनेगा.

देवताओं ने धरा मुर्गे का रूप
भगवान विश्वकर्मा की हठ को देखते हुए देवताओं ने साथ मिलकर एक मुर्गे का रूप धारण किया. उसके बाद उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को जगाकर बोला कि सुबह हो गई है, निर्माण कार्य को रोका जाए. विश्वकर्मा भगवान देवताओं के जाल में फंस गए और अपने मंदिर के कार्य को अधूरा ही छोड़ दिया. आज यह मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है.

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बहरहाल, बाबा मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर और 24 देवी-देवता विराजमान हैं. जिसमें भगवान विश्वकर्मा ने पांच मंदिरों का निर्माण किया है. जो बाबा बैद्यनाथ, माता पार्वती, मां काली, सूर्यनारायण मंदिर और संध्या मंदिर है. इसके अलावा बचे सभी मंदिर का निर्माण बाद में किया गया है.

Intro:देवघर बाबा मंदिर स्थित पांच मंदिर बाबा बिश्वकर्मा द्वरा किया गया है निर्माण,एक रात में ही सभी मंदिरों का हुआ है निर्माण।


Body:एंकर देवघर बाबा मंदिर की स्थापना स्वयं बाबा बिश्वकर्मा ने की है। जानकारी के मुताबिक जहां जंगल हुआ करता था तभी सभी देवताओं ने बात कर मंदिर स्थापना का निर्णय लिया तभी सभी देवी देवताओं ने जगरनाथ बाबा बिश्वकर्मा कारीगर को मंदिर स्थापना का जिम्मा सोपा गया। और बाबा बिश्वकर्मा को एक रात में ही बनाने को कहा गया। और बाबा बिश्वकर्मा ने अपने काम को अंजाम देने में जुट गए। और बाबा बिश्वकर्मा ने बाबा बैद्यनाथ मंदिर,पार्वती मंदिर सहित 5 मन्दिरो का निर्माण किया कहा जाता है कि बाबा बिश्वकर्मा ने खुद की मंदिर को बैद्यनाथ मंदिर से भव्य बनाने में जुट गए तभी सारे देवताओ ने देखा कि ये बाबा बैद्यनाथ के मंदिर से भव्य अपने मंदिर को बना रहे है ये ठीक नही है। जब देवताओ ने उन्हें ये कहा कि ये क्या कर रहे है आप तो भोलेनाथ के मंदिर से बड़ा आप कैसे बना सकते है। तभी बाबा बिश्वकर्मा भड़क गए और कहा कि मैं जगरनाथ हूँ तो मेरा मंदिर ही भव्य बनेगा तभी सभी देवताओं ने आपस मे बात की, की ये बिश्वनाथ जो ब्रह्मांड को रचने वाले का मंदिर से बड़ा बाबा बिश्वकर्मा बना रहे है इसके लिए हमलोगों को कुछ करना होगा। तभी दवताओं ने साथ मिलकर एक साजिश रची की सुबह होने का बाबा बिश्वकर्मा को संकेत देना होगा तभी ये हो सकता है तभी देवताओ ने मुर्गा का रूप धारण कर बोलना शुरू कर दिए। ओर देवताओ ने बाबा बिश्वकर्मा को जगाकर बोले कि हे जगरनाथ सुबह हो गयी है निर्माण कार्य को रोका जाए। तभी बिश्वकर्मा भगवान ने अपने मंदिर कार्य को आधा अधूरा ही छोड़ना पड़ा और आज ये मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है।


Conclusion:बहरहाल,बाबा मंदिर परिसर में कुल 22 मंदिर और 24 देवी देवता विराजमान है। जिसमे बाबा बिश्वकर्मा द्वारा पांच मंदिर का निर्माण किया गया है जो बाबा बैद्यनाथ,माता पार्वती,माँ काली,सूर्यनारायण मंदिर और संध्या मंदिर है। बाकी सभी मंदिर का निर्माण बाद में किया गया है।


बाइट प्रमोद श्रृंगारी,पुरोहित बाबा मंदिर।
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