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भगवान शिव के लिए जरुरी है 'कांचा जल', इसके बिना अधूरी है बाबा नगरी की पूजा - deoghar

बाब मंदिर से जुड़ी हर कथा निराली है. बैद्यनाथ धाम मंदिर में भगवान भोले नाथ की दिनचर्या अनोखी है, जिनमें कांचा जल का खास महत्व है. माना जाता है कि कांचा यानी कच्चा जल के स्नान के बाद ही भगवान नींद से जागते हैं.

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Published : Aug 5, 2019, 5:22 PM IST

Updated : Aug 5, 2019, 11:41 PM IST

देवघर: बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना की अपनी अलग ही परंपरा है. इस परंपरा में प्रातःकालीन पूजा के समय कांचा जल चढ़ाने की प्रथा है, जो सदियों से चली आ रही है. कांचा जल चढ़ाने का अधिकार पंडा समाज के लोगों को ही मिला है. जिसके बाद शिव भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

कांचा जल के स्थान से जागते हैं बाबा
बाबा मंदिर से जुड़ी हर कथा निराली है जो मन को सुकून और श्रद्धा की ज्योत जलाती है. रोजाना बाबा की प्रातःकालीन पूजा कच्चा जल पूजा से शुरू होती है. कच्चा जल का अर्थ पवित्र जल होता है. इस जल से प्रातः मंदिर का पट खुलने के साथ ही सोए हुए बाबा भोलेनाथ को जगाने के लिए शिवलिंग को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है. इस पूजा के बाद ही कावरियां बाबा भोले को जल चढ़ाते हैं.

स्थान के बाद होता है बाबा का श्रृगांर
कच्चा जल स्नान के बाद बाबा को दूध, दही, मधु, गंगा जल आदि से स्नान कराया जाता है. उसके बाद नये वस्त्र से पोछकर बाबा को इत्र, चंदन, फूल, बेलपत्र, कुमकुम, चावल और नए वस्त्र चढ़ाए जाते हैं, फिर पुष्पांजलि होती है. उसके बाद भक्तों द्वारा जलाभिषेक शुरू होता है.

ये भी पढ़ें- सावन में इस खास प्रसाद का है काफी महत्व, जाने क्यों बाबा धाम से खरीदी जाती हैं चूड़ियां

सदियों पुरानी है यह प्रथा
बताया जाता है कि जब से बाबा बैद्यनाथ की प्राण प्रतिष्ठा हुई है, तब से यह पूजा चली आ रही है. द्वादश ज्योतिर्लिंग में इस पूजा की व्यवस्था होती है. इसमें स्थाई पंडा सभी तीर्थों के जल से बाबा की पूजा करते हैं.

देवघर: बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना की अपनी अलग ही परंपरा है. इस परंपरा में प्रातःकालीन पूजा के समय कांचा जल चढ़ाने की प्रथा है, जो सदियों से चली आ रही है. कांचा जल चढ़ाने का अधिकार पंडा समाज के लोगों को ही मिला है. जिसके बाद शिव भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

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कांचा जल के स्थान से जागते हैं बाबा
बाबा मंदिर से जुड़ी हर कथा निराली है जो मन को सुकून और श्रद्धा की ज्योत जलाती है. रोजाना बाबा की प्रातःकालीन पूजा कच्चा जल पूजा से शुरू होती है. कच्चा जल का अर्थ पवित्र जल होता है. इस जल से प्रातः मंदिर का पट खुलने के साथ ही सोए हुए बाबा भोलेनाथ को जगाने के लिए शिवलिंग को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है. इस पूजा के बाद ही कावरियां बाबा भोले को जल चढ़ाते हैं.

स्थान के बाद होता है बाबा का श्रृगांर
कच्चा जल स्नान के बाद बाबा को दूध, दही, मधु, गंगा जल आदि से स्नान कराया जाता है. उसके बाद नये वस्त्र से पोछकर बाबा को इत्र, चंदन, फूल, बेलपत्र, कुमकुम, चावल और नए वस्त्र चढ़ाए जाते हैं, फिर पुष्पांजलि होती है. उसके बाद भक्तों द्वारा जलाभिषेक शुरू होता है.

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सदियों पुरानी है यह प्रथा
बताया जाता है कि जब से बाबा बैद्यनाथ की प्राण प्रतिष्ठा हुई है, तब से यह पूजा चली आ रही है. द्वादश ज्योतिर्लिंग में इस पूजा की व्यवस्था होती है. इसमें स्थाई पंडा सभी तीर्थों के जल से बाबा की पूजा करते हैं.

Intro:देवघर बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना की अपनी अलग परंपरा है इस परंपरा में प्रातःकालीन पूजा के समय कांचा जल चढ़ाने की प्रथा है यहाँ कांचा जल चढ़ाने की परंपरा सदियो से चली आ रही है कांचा जल पण्डा समाज के लोग ही चढ़ाते है क्योंकि बाबा को जगाने के साथ उन्हें स्नान करने का अधिकार सिर्फ इन्हें ही मिला है बाबा मंदिर से जुड़ी हर कथा निराली है जो मन को सुकून वह श्रद्धा की ज्योति जलता है द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक मनोकामना लिंग की दिनचर्या अनुपम है रोजाना बाबा की प्रातःकालीन पूजा कच्चा जल पूजा से शुरू होता है। कच्चा जल पूजा कच्चा जल का अर्थ होता है पवित्र जल प्रातः मंदिर का पट खुलने के साथ सोए हुए बाबा भोलेनाथ को जगाने के बाद शिवलिंग का जिस पवित्र जल से स्नान कराया जाता है वह काचा जल है। प्रातः कालीन इस पूजा के बाद ही कावरिया बाबा भोले को जल चढ़ाते है।


Body:एंकर देवघर बाबा मंदिर से जुड़ी हर कथा निराली है जो मन को सुकून व श्रद्धा की ज्योत जलता है द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक कामना लिंग की दिनचर्या अनूप एवं अनमोल है पवित्र जल जिसको पीने से मन मे शांति हो यही जल प्रातःकालीन पूजा में अर्पित किया जाता है इस पूजा के दर्शन को पहुचे श्रद्धालू बाबा के अनुपम व अनमोल कच्चा जल पूजा को देखते रहते है एवं बीच बीच मे बाबा की जयकारे करते रहते है यह दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है कच्चा जल से बाबा भोले की सर्वप्रथम पूजा होती है इस पूजा की शुरुआत पुरोहित द्वारा विधिवत संकल्प एवं ध्यान से शुरू होता है इसके बाद बाबा को फुलेल एवं कच्चा जल से स्नान कराया जाता है कच्चा जल स्नान के बाद बाबा को दूध दही मधु गंगा जल आदि से स्नान कराया जाता है उसके बाद नये वस्त्र से पोछकर बाबा को इत्र चंदन फूल बेलपत्र कुमकुम चावल और नया वस्त्र चढ़ाया जाता है। फिर पुष्पांजलि होती है। उसके बाद भक्तो द्वारा जलाभिषेक शुरू होता है षोडशोपचार विधि से यह पूजा सम्पन्न होती है।जब से बाबा बैद्यनाथ की प्राण प्रतिष्ठा हुई है तब से यह पूजा चली आ रही है ऐसे में द्वादश ज्योतिर्लिंग में ये पूजा की व्यवस्था होती है इसमें स्थाई पण्डा सभी तीर्थों का जल से बाबा की पूजा करते है।


Conclusion:बहरहाल,कहते है कि जिसने बाबा बैद्यनाथ के इस पूजन को नही देखा उसका जीवन अधूरा माना जाता है दुनिया मे यह दरवार इतना सच्चा है कि कोई भी खाली हाथ नही जाता।

बाइट प्रमोद श्रृंगारी, पुरोहित बाबा मंदिर।

नोट विसुअल रिपोटर एप से गयी है।
Last Updated : Aug 5, 2019, 11:41 PM IST
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