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बाबाधाम में मंदिरों के गठबंधन की रोचक कहानी, सिर्फ भंडारी करते हैं ये काम

देवघर में भगवान भोले के मंदिर में शिव और पार्वती का गठबंधन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. यह गठबंधन सालों भर होता है, लेकिन सावन महीने में इसका अलग ही महत्व है.

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Published : Jul 24, 2019, 6:43 PM IST

माता पार्वती और शिव का गठबंधन

देवघर: कहते हैं सावन में बाबा भोले सब की मनोकामना पूरी करते हैं. महादेव की नगरी देवघर में भगवान भोले के मंदिर में गठबंधन की परंपरा रही है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं, उसकी सारी मन्नतें पूरी होती है. यह गठबंधन स्त्रियां अपनी पति की लंबी आयु के लिए कराती हैं.

देखें स्पेशल पैकेज

रेशम के धागे का होता है गठजोड़
शिव मंदिर के शिखर ओर माता पार्वती के शिखर को रेशम या कपड़े के धागे से गठजोड़ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इसे भक्त धार्मिक संस्कार के रूप में भी बांधते हैं. यह बंधन रेशम धागे या कपड़े से बना होता है. ऐसी मान्यता है कि गठजोड़ प्रथा मुगल काल में शुरू हुई थी.

ये भी पढ़ें-देवघर श्रावणी मेले को लेकर हाईटेक हुई सुरक्षा व्यवस्था, इंस्पेक्टर सहित 378 सुरक्षाकर्मियो हैं तैनात

हर मनोकामना पूरी करते है भोले बाबा
हिन्दू संस्कार परंपरा में विवाह के बाद रक्षा सूत्र बांधने की विधि प्रचलित है. ऐसा माना जाता है कि विवाह के बाद भोलेनाथ और पार्वती का गठबंधन करने से वर वधु को किसी प्रकार का संकट नहीं आता है. यह गठबंधन मनोकामना पूर्ण होने से पहले और मनोकामना पूर्ण होने के बाद दोनों ही समय में कराया जाता है. यह पूजा सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना, पुत्र प्राप्ति, नौकरी और मंगलकामना के लिए कराई जाती है.

भंडारी बांधते है मंदिर के शीर्ष पर धागा
इस गठबंधन को मंदिर के शीर्ष के ऊपर बांधने के लिए भंडारी होते है. जो बाबा के मंदिर पर चढ़ने के हकदार होते है. ये भंडारी मंदिर पर लोहे के जंजीर के सहारे शिव मंदिर पर चढ़ते हैं और वहां धागा बांधते हैं फिर इस धागे को भक्त पकड़कर पार्वती मंदिर के पास ले जाते हैं. फिर वहां भंडारी इसे लेकर पार्वती मंदिर पर चढ़ते है और शीर्ष पर धागा बांधते हैं.

आस्था और विश्वास की इस नगरी में भगवान शंकर और पार्वती का संगम का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है. श्रद्धालु जहां पूरी श्रद्धा से गठबंधन करा अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए बाबा से आर्शीवाद मांगते है, वहीं, बाबा अपने भक्तों की कभी खाली हाथ नहीं लौटाते.

देवघर: कहते हैं सावन में बाबा भोले सब की मनोकामना पूरी करते हैं. महादेव की नगरी देवघर में भगवान भोले के मंदिर में गठबंधन की परंपरा रही है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव और पार्वती का गठबंधन करते हैं, उसकी सारी मन्नतें पूरी होती है. यह गठबंधन स्त्रियां अपनी पति की लंबी आयु के लिए कराती हैं.

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रेशम के धागे का होता है गठजोड़
शिव मंदिर के शिखर ओर माता पार्वती के शिखर को रेशम या कपड़े के धागे से गठजोड़ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इसे भक्त धार्मिक संस्कार के रूप में भी बांधते हैं. यह बंधन रेशम धागे या कपड़े से बना होता है. ऐसी मान्यता है कि गठजोड़ प्रथा मुगल काल में शुरू हुई थी.

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हर मनोकामना पूरी करते है भोले बाबा
हिन्दू संस्कार परंपरा में विवाह के बाद रक्षा सूत्र बांधने की विधि प्रचलित है. ऐसा माना जाता है कि विवाह के बाद भोलेनाथ और पार्वती का गठबंधन करने से वर वधु को किसी प्रकार का संकट नहीं आता है. यह गठबंधन मनोकामना पूर्ण होने से पहले और मनोकामना पूर्ण होने के बाद दोनों ही समय में कराया जाता है. यह पूजा सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना, पुत्र प्राप्ति, नौकरी और मंगलकामना के लिए कराई जाती है.

भंडारी बांधते है मंदिर के शीर्ष पर धागा
इस गठबंधन को मंदिर के शीर्ष के ऊपर बांधने के लिए भंडारी होते है. जो बाबा के मंदिर पर चढ़ने के हकदार होते है. ये भंडारी मंदिर पर लोहे के जंजीर के सहारे शिव मंदिर पर चढ़ते हैं और वहां धागा बांधते हैं फिर इस धागे को भक्त पकड़कर पार्वती मंदिर के पास ले जाते हैं. फिर वहां भंडारी इसे लेकर पार्वती मंदिर पर चढ़ते है और शीर्ष पर धागा बांधते हैं.

आस्था और विश्वास की इस नगरी में भगवान शंकर और पार्वती का संगम का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है. श्रद्धालु जहां पूरी श्रद्धा से गठबंधन करा अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए बाबा से आर्शीवाद मांगते है, वहीं, बाबा अपने भक्तों की कभी खाली हाथ नहीं लौटाते.

Intro:देवघर गठबंधन से होती है सभी मनोकामना पूरी,सावन महीने में गठजोड़ का बढ़ जाता है महत्व।


Body:एंकर बाबा भोले सब की मनोकामना पूर्ण करने वाले होते है। परंपरा से पूर्ण महादेव की नगरी देवघर स्थित भगवान भोले के मंदिर में गठबंधन की परंपरा रही है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त शिव और पार्वती का गठबंधन करते है उसकी सारी मुरादे पूरी होती है। यह गठबंधन स्त्रियां अपनी पति की लंबी आयु के लिए भी कराती हैं। चुकी यह शक्ति पीठ ओर कामनलिंग दोनो है और दुनिया मे एक मात्र मंदिर है। जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान है।लिहाजा यहां भगवान शिव और पार्वती मंदिर का गठबंधन कराने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव पत्नी पार्वती के इस पवित्र बंधन को देखिए इसी बंधन को गठबंधन या गठजोड़ कहते है। शिव मंदिर के शिखर ओर माता पार्वती के शिखर को रेशम या कपड़े के धागे से गठजोड़ करने से मनोकामनाये पूर्ण होती है। इसे भक्त धार्मिक संस्कार के रूप में भी बांधते है। यह बंधन रेशम धागे या कपड़े से निर्मित होता है। मान्यता है कि गठजोड़ प्रथा मुगल काल मे शुरू हुई थी। हिन्दू संस्कारो परंपरा में विवाह के बाद रक्षा सूत्र बांधने बाकी बिधि प्रचलित है। मान्यता है कि विवाह के बाद भोलेनाथ ओर पार्वती का गठबंधन करने से वर वधु ओर किसी प्रकार का संकट नही आता है।यह गठबंधन मनोकामना पूर्ण होने से पहले ओर मनोकामना पूर्ण होने के बाद दोनों ही समय मे कराया जाता है। यह पूजा सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना पुत्र प्राप्ति जैसी कई मनोकामनाओं के लिए कराए जाते है। इनमें सबसे ज्यादा मांगलिक कार्य सम्पन्न करने के लिए कराए जाते है। संकल्प करने के बाद यह धागा बांधा जाता है। इसमें पति पत्नी यह धागों को पकड़कर मनोकामना करते है। या मनोकामना पूर्ण हुई हो तो बाबा का धनयवाद करते है। यहाँ सिर्फ पति और सुहाग की लंबी उम्र के लिए ही नही बल्कि यहाँ नोकरी ओर मंगलकामना के लिए भी गठबंधन कराए जाते है।इस गठबंधन को मंदिर के शीर्ष के ऊपर बंधने के लिए भंडारी होते है। जो बाबा के मंदिर पर चढ़ने के हकदार होते है। ये भंडारी मंदिर पर लोहे के जंजीर के सहारे चढ़ते है। और पहले शिव मंदिर पर चढ़ते है और वहां धागा बांधते है फिर इस धागे को भक्त पकड़कर पार्वती मंदिर के पास ले जाते है। और वहां फिर भंडारी इसे लेकर पार्वती मंदिर पर चढ़ते है ओर शीर्ष पर धागा बांधते है भक्त भी इस क्रिया को कराकर अपने मनोकामना को बाबा भोले से मांगते है और बाबा भोले भी इनकी मनोकामना पूरी जरूर करते है।


Conclusion:बहरहाल,कहा जाता है यहां दो हृदय का मिलन है यहां शिव और गिरिजा का मिलन स्थल है आस्था और विश्वास की इस नगरी में भगवान शंकर ओर पार्वती का संगम का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है।यूं तो यह कार्य सालो भर होता है परंतु सावन मास में ज्यादा कार्य सम्पन्न होते है
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