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दिव्यांगता पर भारी जज्बा, बच्चों और महिलाओं को देवघर की सरिता बना रही आत्मनिर्भर - Divyang Sarita is making women self-reliant in deoghar

देवघर में देवीपुर प्रखंड के भोजपुर गांव की रहने वाली 20 वर्षीय सरिता जन्म से दिव्यांग हैं. सरिता के चेहरे पर आज जो आत्मविश्वास की झलक दिखती है. वहीं, उनके आत्मनिर्भर होने की कहानी है. सरिता अपने घर में रहकर अपना पूरा वक्त गांव के बच्चों और महिलाओं को ट्रेंड करने में बिता रही हैं. सुबह के वक्त बच्चों को पढ़ाती हैं और महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं.

Divyang Sarita is making women self-reliant in deoghar
दिव्यांगता पर भारी जज्बा
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Published : Jun 30, 2020, 7:25 AM IST

Updated : Jun 30, 2020, 4:34 PM IST

देवघर: कौन कहता आसमान में सुराख नहीं होते एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. जी हां आत्मविश्वास से लबरेज आत्मनिर्भर बनाने की यह कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसने गुरबत के वो दिन भी देखे हैं, जब वह दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हुआ करती थीं. हालांकि, आज अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वो न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि खुद पैरों से दिव्यांग होते हुए भी अपने गांव की महिलाओं और बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

देवघर में देवीपुर प्रखंड के भोजपुर गांव की रहने वाली 20 वर्षीय सरिता जन्म से दिव्यांग हैं. सरिता के चेहरे पर आज जो आत्मविश्वास की झलक दिखती है, वहीं, उनके आत्मनिर्भर होने की कहानी है. सरिता अपने घर में रहकर अपना पूरा वक्त गांव के बच्चों और महिलाओं को ट्रेंड करने में बिता रही हैं. सुबह के वक्त बच्चों को पढ़ाती हैं और महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं.

ये भी पढ़ें- अर्जुन ने थामा दिव्यांग का हाथ, कहा- सात जन्म तक निभाऊंगा साथ

सरिता बताती हैं कि गांव के बच्चे स्कूल से आने के बाद सिर्फ खेलकूद में ही वक्त बिताते थे. महिलाएं भी घर के काम-काज के बाद समय का सदुपयोग नहीं करती थीं. बच्चों और महिलाओं की ये दिनचर्या उन्हें अच्छी नहीं लगी. इसके बाद उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया. सरिता पढ़ाने के बदले फीस भी नहीं लेती हैं.

वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वो उनको सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं, ताकि वो सभी गांव का नाम रौशन कर सकें. स्थानीय लोग भी सरिता के इस जज्बे के कायल हैं. लोग सरिता को देखकर काफी गर्व महसूस करते हैं.

देवघर: कौन कहता आसमान में सुराख नहीं होते एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. जी हां आत्मविश्वास से लबरेज आत्मनिर्भर बनाने की यह कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसने गुरबत के वो दिन भी देखे हैं, जब वह दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हुआ करती थीं. हालांकि, आज अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वो न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि खुद पैरों से दिव्यांग होते हुए भी अपने गांव की महिलाओं और बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

देवघर में देवीपुर प्रखंड के भोजपुर गांव की रहने वाली 20 वर्षीय सरिता जन्म से दिव्यांग हैं. सरिता के चेहरे पर आज जो आत्मविश्वास की झलक दिखती है, वहीं, उनके आत्मनिर्भर होने की कहानी है. सरिता अपने घर में रहकर अपना पूरा वक्त गांव के बच्चों और महिलाओं को ट्रेंड करने में बिता रही हैं. सुबह के वक्त बच्चों को पढ़ाती हैं और महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं.

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सरिता बताती हैं कि गांव के बच्चे स्कूल से आने के बाद सिर्फ खेलकूद में ही वक्त बिताते थे. महिलाएं भी घर के काम-काज के बाद समय का सदुपयोग नहीं करती थीं. बच्चों और महिलाओं की ये दिनचर्या उन्हें अच्छी नहीं लगी. इसके बाद उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया. सरिता पढ़ाने के बदले फीस भी नहीं लेती हैं.

वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वो उनको सिलाई-कढ़ाई सिखाती हैं, ताकि वो सभी गांव का नाम रौशन कर सकें. स्थानीय लोग भी सरिता के इस जज्बे के कायल हैं. लोग सरिता को देखकर काफी गर्व महसूस करते हैं.

Last Updated : Jun 30, 2020, 4:34 PM IST
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