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चाईबासा: अपने खर्चे पर ग्रामीण चलाएंगे क्वॉरेंटाइन सेंटर, कहा- मजदूरों के लिए करेंगे खाने-पीने का इंतजाम

चाईबासा के झींकपानी प्रखंड के असुरा गांव के लोगों ने बैठक कर बाहर से लौट रहे मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने की मांग प्रशासन से की है. इसके लिए उन्होंने चंदा देने की बात कही है. इसके साथ ही कहा कि बाहर से लौटनेवाले लोग गांव में आसानी से जहां-तहां घूम रहे हैं.

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Published : May 12, 2020, 5:11 PM IST

meeting, बैठक
बैठक करते ग्रामीण

चाईबासा: देश के दूसरे प्रदेशों से लौट रहे मजदूरों से कोरोना संक्रमण फैलने के डर से इन मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने और मजदूरों के भोजन का खर्च भी ग्रामीणों ने खुद ही करने का निर्णय लिया है. झींकपानी प्रखंड के असुरा गांव में सोमवार को प्रवासी मजदूरों के गांव लौटने पर कोरोना संक्रमण के फैलने की समस्या को लेकर उन्होंने एक बैठक की जिसके बाद इस तरह का निर्णय लिया गया है.

बैठक करते ग्रामीण
बैठक करते ग्रामीण

क्षमता के अनुसार चंदा देने को तैयार

पिछले एक सप्ताह से पश्चिमी सिंहभूम लौटनेवालों की तादाद में काफी बढ़ोतरी हुई है. जिसे लेकर पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभिन्न गांव के ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण फैलने का डर सता रहा है. इसी के मद्देनजर असुरा गांव के जागरूक ग्रामीणों ने सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए सोमवार को आपातकालीन बैठक आयोजित कर क्वॉरेंटाइन सेंटर में इन मजदूरों को रखने की प्रशासन से मांग करने का निर्णय लिया. जिला प्रशासन की ओर से जब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा. तब तक ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से चंदा इकट्ठा कर क्वॉरेंटाइन सेंटर का संचालन कर प्रवासी मजदूरों को सुविधा प्रदान करने का भी निर्णय लिया है. ग्रामीणों का मानना है गांव को संक्रमण मुक्त रखना आज के समय में सभी नागरिकों की परम जिम्मेदारी है, ऐसे में गांव के सभी ग्रामीण क्वॉरेंटाइन सेंटर के संचालन में आनेवाले खर्च के लिए क्षमता के अनुसार चंदा देने को तैयार हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहनेवाले प्रवासी मजदूरों को खाना बनाकर खिलाने की जिम्मेदारी गांव के ग्रामीण जगन्नाथ कुर्मी को दिया गया.

होम क्वॉरेंटाइन की नहीं है सुविधा

असुरा में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को सुझाव देने का निर्णय लिया की गांव में छोटे-छोटे घर होने के कारण होम क्वॉरेंटाइन की सुविधा नहीं मिल सकती है. नियमानुसार होम क्वॉरेंटाइन के लिए एकांत कमरे के साथ-साथ अटैच शौचालय का भी होना आवश्यक है. कोल्हान के गांव के परिदृश्य में ऐसा मिलना है असंभव है. जबकि होम क्वॉरेंटाइन में भेजे गए प्रवासी मजदूर घर में रहने के बजाय गांव में घूमने लगे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है.


ये भी पढ़ें- धनबाद से 70 यात्री हावड़ा-नई दिल्ली डुप्लीकेट राजधानी ट्रेन में करेंगे सफर, इन बातों का रखेंगे ख्याल

स्वास्थ्य कर्मियों पर बरसाए गए फूल

झींकपानी प्रखंड के असुरा में आयोजित स्वास्थ्य संबंधी बैठक में कोरोना संक्रमण के सर्वे से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों का आभार प्रकट करने का भी निर्णय लिया गया. बैठक के पश्चात पंचायत प्रतिनिधियों एवं सभी जागरूक ग्रामीणों ने लॉकडाउन के बाद पहली बार टीकाकरण करने पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों और सहियाओं पर फूल बरसाकर उनका स्वागत और आभार प्रकट किया गया. ग्रामीणों का मानना है कोरोना वायरस संकट के बावजूद स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं.

इस बैठक में मथुरा पंचायत के मुखिया सालूका सुंडी, पंचायत समिति सदस्य, रंजीत पति, सैया कार्यक्रम के एसटीटी साइलोक गोप, सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज की प्रतिनिधि सुप्रभा देवी, झींकपानी प्रखंड के बीटीटी अर्जुन गोप, राजेश पूर्ति, गणेश बिरूली, झींगलाल मछुआ, वीरेंद्र गोप, एएनएम कविता जामुदा, मसूरी गागराई, सहिया उषा देवी और आशामती बिरूली सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे.

चाईबासा: देश के दूसरे प्रदेशों से लौट रहे मजदूरों से कोरोना संक्रमण फैलने के डर से इन मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखने और मजदूरों के भोजन का खर्च भी ग्रामीणों ने खुद ही करने का निर्णय लिया है. झींकपानी प्रखंड के असुरा गांव में सोमवार को प्रवासी मजदूरों के गांव लौटने पर कोरोना संक्रमण के फैलने की समस्या को लेकर उन्होंने एक बैठक की जिसके बाद इस तरह का निर्णय लिया गया है.

बैठक करते ग्रामीण
बैठक करते ग्रामीण

क्षमता के अनुसार चंदा देने को तैयार

पिछले एक सप्ताह से पश्चिमी सिंहभूम लौटनेवालों की तादाद में काफी बढ़ोतरी हुई है. जिसे लेकर पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभिन्न गांव के ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण फैलने का डर सता रहा है. इसी के मद्देनजर असुरा गांव के जागरूक ग्रामीणों ने सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए सोमवार को आपातकालीन बैठक आयोजित कर क्वॉरेंटाइन सेंटर में इन मजदूरों को रखने की प्रशासन से मांग करने का निर्णय लिया. जिला प्रशासन की ओर से जब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा. तब तक ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से चंदा इकट्ठा कर क्वॉरेंटाइन सेंटर का संचालन कर प्रवासी मजदूरों को सुविधा प्रदान करने का भी निर्णय लिया है. ग्रामीणों का मानना है गांव को संक्रमण मुक्त रखना आज के समय में सभी नागरिकों की परम जिम्मेदारी है, ऐसे में गांव के सभी ग्रामीण क्वॉरेंटाइन सेंटर के संचालन में आनेवाले खर्च के लिए क्षमता के अनुसार चंदा देने को तैयार हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहनेवाले प्रवासी मजदूरों को खाना बनाकर खिलाने की जिम्मेदारी गांव के ग्रामीण जगन्नाथ कुर्मी को दिया गया.

होम क्वॉरेंटाइन की नहीं है सुविधा

असुरा में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को सुझाव देने का निर्णय लिया की गांव में छोटे-छोटे घर होने के कारण होम क्वॉरेंटाइन की सुविधा नहीं मिल सकती है. नियमानुसार होम क्वॉरेंटाइन के लिए एकांत कमरे के साथ-साथ अटैच शौचालय का भी होना आवश्यक है. कोल्हान के गांव के परिदृश्य में ऐसा मिलना है असंभव है. जबकि होम क्वॉरेंटाइन में भेजे गए प्रवासी मजदूर घर में रहने के बजाय गांव में घूमने लगे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है.


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स्वास्थ्य कर्मियों पर बरसाए गए फूल

झींकपानी प्रखंड के असुरा में आयोजित स्वास्थ्य संबंधी बैठक में कोरोना संक्रमण के सर्वे से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों का आभार प्रकट करने का भी निर्णय लिया गया. बैठक के पश्चात पंचायत प्रतिनिधियों एवं सभी जागरूक ग्रामीणों ने लॉकडाउन के बाद पहली बार टीकाकरण करने पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों और सहियाओं पर फूल बरसाकर उनका स्वागत और आभार प्रकट किया गया. ग्रामीणों का मानना है कोरोना वायरस संकट के बावजूद स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं.

इस बैठक में मथुरा पंचायत के मुखिया सालूका सुंडी, पंचायत समिति सदस्य, रंजीत पति, सैया कार्यक्रम के एसटीटी साइलोक गोप, सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज की प्रतिनिधि सुप्रभा देवी, झींकपानी प्रखंड के बीटीटी अर्जुन गोप, राजेश पूर्ति, गणेश बिरूली, झींगलाल मछुआ, वीरेंद्र गोप, एएनएम कविता जामुदा, मसूरी गागराई, सहिया उषा देवी और आशामती बिरूली सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे.

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