ETV Bharat / city

लॉकडाउन में मोचियों की बढ़ी मुश्किल, सूनी सड़क पर ग्राहकों का इंतजार - लॉकडाउन में मोची की समस्या

कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन ने रोज कमाने खाने वालों की मुसीबत बढ़ा दी हैं. बचत की गई खून-पसीने की कमाई खत्म हो रही है. दूसरों के जूते-चप्पल मरम्मत करने वाले मोचियों की दास्तां दर्दनाक है. इन्हें मालूम है कि लॉकडाउन में शायद ही कोई बाहर निकले फिर भी ग्राहक के इंतजार में सड़क किनारे दुकान सजाए बैठे हैं.

Troubles of cobblers increased in lockdown
मोचियों की मुश्किल
author img

By

Published : May 6, 2020, 5:24 PM IST

चाईबासा: देशभर में कोरोना संक्रमण के रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लागू है. इसके कारण सभी का काम बंद है. लॉकडाउन की अवधि एक महीने से अधिक हो चुकी है. ऐसे में रोज कमाने-खाने वाले के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है. दूसरों के जूता-चप्पल की मरम्मत और जूता चमकाने वाले वर्ग किसी तरह एक टाइम का खाना खा पा रहे हैं. बाकी समय पानी पीकर दिन काट रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

लॉकडाउन में भी काम करने को मजबूर

रोजी-रोटी के लिए इस लॉकडाउन में भी 2 घंटे सड़क किनारे फुटपाथ पर ये अपनी दुकान लगाने को मजबूर हो गए हैं. चाईबासा के मोचीसाई में रहने वाले संजीत राम बताते हैं कि उनका 8 सदस्यों का परिवार है. इस लॉकडाउन में किसी तरह एक समय का खाना खा कर गुजारा कर रहे हैं. इस संकट की घड़ी में घर चलना इतना मुश्किल हो गया है कि 2 दिन पहले उन्होंने चाईबासा मुख्य सड़क के किनारे फुटपाथ पर 2 घंटे अपनी दुकान लगाकर 50-100 रुपए की आमदनी की, जिससे उस दिन उनके घर राशन आया. उनकी पत्नी दूसरों के घर में चौका-बर्तन का काम करती है, लेकिन इस लॉकडाउन में उनका भी काम बंद हो गया है.

15 साल से काम कर रहे संजीत

संजीत राम मास्क लगा कर अपनी दुकान लगा रहे हैं. संजीत बताते हैं कि राशनकार्ड पर कोटा का चावल मिला था. उसी से अब तक घर चला रहे थे. अब वो भी खत्म हो गया है. जिस कारण मजबूरन उन्हें इस लॉकडाउन में दुकान खोलना पड़ रहा है. संजीत राम 15 वर्षों से चाईबासा के फुटपाथ पर दुकान लगा कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. परिवार बड़ा होने के कारण उन्हें काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ता है. वे बताते हैं उन्होंने कुछ रुपया जमा कर रखा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह भी समाप्त हो चुका है.

सभी मोचियों की यही हाल

यह हाल सिर्फ संजीत राम का ही नहीं बल्कि शहर के फुटपाथ, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर जूते चप्पल की मरम्मत और पॉलिश की दुकान चलाने वाले सभी मोचियों की है. यह सभी लोग भूखे पेट रहने को मजबूर हैं. चाईबासा के पाताहातु गांव में रामू बाकायदा मास्क लगाकर जूता चप्पल बनाता है. उसने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमारा काम पूरी तरह से चौपट हो चुका है. सभी लोग अपने-अपने घरों में हैं. ऐसे में दुकानदारी भी सही ढंग से नहीं हो पा रही है फिर भी दाल रोटी के लिए सड़क किनारे दुकान लगा कर बैठा हूं. सीआरपीएफ के जवानों के द्वारा 5 किलो चावल, दाल, साबुन और तेल दिया गया था, लेकिन वह खत्म हो चुका है. रामू बताते हैं कि उसका 7 सदस्यों का परिवार है. उनके बेटे बाहर काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में उनका भी काम पूरी तरह से ठप है. वह सभी घर में बैठे हैं. ऐसे में मजबूरन उसे घर से बाहर निकलना पड़ा.

दिया जाएगा अनाज

वहीं, पश्चिम सिंहभूम उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि ऐसे निम्न वर्ग के लोग जिनके समक्ष खाद्यान्न की कमी है. ऐसे लोग मिल ऑन द व्हील्स, दाल भात केंद्र पर जाकर खाना खा सकते हैं. इसके अलावा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे लोगों को 10-10 किलो अनाज देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि कम से कम इस जिले में किसी भी व्यक्ति को राशन की तकलीफ नहीं होने दी जाएगी.

चाईबासा: देशभर में कोरोना संक्रमण के रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लागू है. इसके कारण सभी का काम बंद है. लॉकडाउन की अवधि एक महीने से अधिक हो चुकी है. ऐसे में रोज कमाने-खाने वाले के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है. दूसरों के जूता-चप्पल की मरम्मत और जूता चमकाने वाले वर्ग किसी तरह एक टाइम का खाना खा पा रहे हैं. बाकी समय पानी पीकर दिन काट रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

लॉकडाउन में भी काम करने को मजबूर

रोजी-रोटी के लिए इस लॉकडाउन में भी 2 घंटे सड़क किनारे फुटपाथ पर ये अपनी दुकान लगाने को मजबूर हो गए हैं. चाईबासा के मोचीसाई में रहने वाले संजीत राम बताते हैं कि उनका 8 सदस्यों का परिवार है. इस लॉकडाउन में किसी तरह एक समय का खाना खा कर गुजारा कर रहे हैं. इस संकट की घड़ी में घर चलना इतना मुश्किल हो गया है कि 2 दिन पहले उन्होंने चाईबासा मुख्य सड़क के किनारे फुटपाथ पर 2 घंटे अपनी दुकान लगाकर 50-100 रुपए की आमदनी की, जिससे उस दिन उनके घर राशन आया. उनकी पत्नी दूसरों के घर में चौका-बर्तन का काम करती है, लेकिन इस लॉकडाउन में उनका भी काम बंद हो गया है.

15 साल से काम कर रहे संजीत

संजीत राम मास्क लगा कर अपनी दुकान लगा रहे हैं. संजीत बताते हैं कि राशनकार्ड पर कोटा का चावल मिला था. उसी से अब तक घर चला रहे थे. अब वो भी खत्म हो गया है. जिस कारण मजबूरन उन्हें इस लॉकडाउन में दुकान खोलना पड़ रहा है. संजीत राम 15 वर्षों से चाईबासा के फुटपाथ पर दुकान लगा कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. परिवार बड़ा होने के कारण उन्हें काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ता है. वे बताते हैं उन्होंने कुछ रुपया जमा कर रखा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह भी समाप्त हो चुका है.

सभी मोचियों की यही हाल

यह हाल सिर्फ संजीत राम का ही नहीं बल्कि शहर के फुटपाथ, रेलवे स्टेशन आदि जगहों पर जूते चप्पल की मरम्मत और पॉलिश की दुकान चलाने वाले सभी मोचियों की है. यह सभी लोग भूखे पेट रहने को मजबूर हैं. चाईबासा के पाताहातु गांव में रामू बाकायदा मास्क लगाकर जूता चप्पल बनाता है. उसने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमारा काम पूरी तरह से चौपट हो चुका है. सभी लोग अपने-अपने घरों में हैं. ऐसे में दुकानदारी भी सही ढंग से नहीं हो पा रही है फिर भी दाल रोटी के लिए सड़क किनारे दुकान लगा कर बैठा हूं. सीआरपीएफ के जवानों के द्वारा 5 किलो चावल, दाल, साबुन और तेल दिया गया था, लेकिन वह खत्म हो चुका है. रामू बताते हैं कि उसका 7 सदस्यों का परिवार है. उनके बेटे बाहर काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में उनका भी काम पूरी तरह से ठप है. वह सभी घर में बैठे हैं. ऐसे में मजबूरन उसे घर से बाहर निकलना पड़ा.

दिया जाएगा अनाज

वहीं, पश्चिम सिंहभूम उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि ऐसे निम्न वर्ग के लोग जिनके समक्ष खाद्यान्न की कमी है. ऐसे लोग मिल ऑन द व्हील्स, दाल भात केंद्र पर जाकर खाना खा सकते हैं. इसके अलावा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे लोगों को 10-10 किलो अनाज देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि कम से कम इस जिले में किसी भी व्यक्ति को राशन की तकलीफ नहीं होने दी जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.