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अंग्रेजों के जमाने के अफसर, मंगेतर ने छोड़ा तो खुद को मारी गोली!

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Published : May 23, 2020, 7:03 AM IST

पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा वन प्रमंडल में 'सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान' के जनक परसिवल जेरोम फिलिप्स की समाधि स्थल आज भी मौजूद है. इसकी देख रेख वन विभाग कर रही है. जानिए फॉरमर असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट परसिवल जेरोम की अनसुनी कहानी.

Tomb of Percival Jerome Phillips
परसिवल जेरोम फिलिप्स की समाधि

चाईबासा: अंग्रेजों के शासनकाल 1923 में सिंहभूम का फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने वाले 24 वर्षीय ब्रिटिश अफसर परसिवल जेरोम फिलिप्स की समाधि स्थल को सारंडा वन प्रमंडल ने अब तक संजो कर रखा है. जेरोम फिलिप्स का बनाया हुआ सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान आज भी सारंडा वन प्रमंडल कार्यालय में देखा जा सकता है.

देखिए अनसुनी कहानी

करीब 1920 ईश्वी के दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स को सारंडा में असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के रूप में तैनात किया गया था. उन्होंने अपनी कार्यशैली से सारंडा के रेडा और आसपास के लोगों का दिल जीत लिया था. इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में उनके नाम की तूती बोलती थी. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के वरीय पदाधिकारियों के आदेशानुसार फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
जानकारों के मुताबिक

तिसरी गोली चलने पर पहुंचे ग्रामीण

ब्रिटिश सरकार के लिए फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने के 1 महीने के बाद उन्होंने 7 दिसंबर 1923 को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने से पहले फिलिप्स ने ग्रामीणों को हिदायत दी थी कि दो फायरिंग होने तक वे उनके घर तक नहीं आएंगे, जब तीसरी फायरिंग होगी तभी वह वहां पहुंचेंगे.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान

ये भी पढ़ें- सखी मंडल की ये महिलाएं हैं आत्मनिर्भर, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कर रही हैं खेती

जब तीसरी फायरिंग हुई तो रेडा गांव के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे और उनके शव को वन विभाग के फॉरेस्टर और रेंजर ने रेड़ा गांव में ही दफना दिया था. उसके बाद से आज तक वन विभाग ही उनकी समाधि की देख-रेख करता है. सारंडा के रेडा गांव के लोगों के जेहन में आज भी फिलिप्स के काम जिंदा हैं.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
मंगेतर ने दिया था धोखा

उस दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स सारंडा के रेडा और आसपास के ग्रामीणों के लिए प्रभावी अधिकारी हुआ करते थे. ग्रामीणों की माने तो उनके वंशज सालों पहले झारखंड के अन्य जिलों में चले गए.

मंगेतर ने छोड़ दिया था

फिलिप्स की मौत को लेकर रेडा गांव के बुजुर्ग हारून टोपनो ने अपने पूर्वजों से सुनी हुई बातों को बताते हुए कहते हैं कि स्वर्गीय फिलिप्स की मंगनी हो गई थी, लेकिन लड़की उन्हें छोड़ कर चली गई थी, जिस करण उन्होंने आत्महत्या कर ली. सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि परसिवल जेरोम फिलिप्स की मौत किन कारणों से हुई वो ग्रामीण भी सही ढंग से नहीं बता पाते हैं. रेडा गांव में उनकी समाधि भी बनाई गई है.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान

ये भी पढ़ें- हजारीबागः लॉकडाउन में वट सावित्री पूजा, महिलाओं ने की सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा

उनकी समाधि स्थल की मरम्मती और देख-रेख वन विभाग करवा रहा है. प्रत्येक वर्ष उनकी समाधी स्थल पर श्रध्दांजलि भी दी जाती है. वन विभाग उनकी समाधी स्थल को नया रूप देने के प्रयास में है, जिससे उस स्थल पर पहुंचने वाले लोगों को उनके कार्य और अन्य जानकारियां मिल सके.

चाईबासा: अंग्रेजों के शासनकाल 1923 में सिंहभूम का फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने वाले 24 वर्षीय ब्रिटिश अफसर परसिवल जेरोम फिलिप्स की समाधि स्थल को सारंडा वन प्रमंडल ने अब तक संजो कर रखा है. जेरोम फिलिप्स का बनाया हुआ सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान आज भी सारंडा वन प्रमंडल कार्यालय में देखा जा सकता है.

देखिए अनसुनी कहानी

करीब 1920 ईश्वी के दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स को सारंडा में असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के रूप में तैनात किया गया था. उन्होंने अपनी कार्यशैली से सारंडा के रेडा और आसपास के लोगों का दिल जीत लिया था. इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में उनके नाम की तूती बोलती थी. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के वरीय पदाधिकारियों के आदेशानुसार फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
जानकारों के मुताबिक

तिसरी गोली चलने पर पहुंचे ग्रामीण

ब्रिटिश सरकार के लिए फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने के 1 महीने के बाद उन्होंने 7 दिसंबर 1923 को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने से पहले फिलिप्स ने ग्रामीणों को हिदायत दी थी कि दो फायरिंग होने तक वे उनके घर तक नहीं आएंगे, जब तीसरी फायरिंग होगी तभी वह वहां पहुंचेंगे.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान

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जब तीसरी फायरिंग हुई तो रेडा गांव के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे और उनके शव को वन विभाग के फॉरेस्टर और रेंजर ने रेड़ा गांव में ही दफना दिया था. उसके बाद से आज तक वन विभाग ही उनकी समाधि की देख-रेख करता है. सारंडा के रेडा गांव के लोगों के जेहन में आज भी फिलिप्स के काम जिंदा हैं.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
मंगेतर ने दिया था धोखा

उस दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स सारंडा के रेडा और आसपास के ग्रामीणों के लिए प्रभावी अधिकारी हुआ करते थे. ग्रामीणों की माने तो उनके वंशज सालों पहले झारखंड के अन्य जिलों में चले गए.

मंगेतर ने छोड़ दिया था

फिलिप्स की मौत को लेकर रेडा गांव के बुजुर्ग हारून टोपनो ने अपने पूर्वजों से सुनी हुई बातों को बताते हुए कहते हैं कि स्वर्गीय फिलिप्स की मंगनी हो गई थी, लेकिन लड़की उन्हें छोड़ कर चली गई थी, जिस करण उन्होंने आत्महत्या कर ली. सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि परसिवल जेरोम फिलिप्स की मौत किन कारणों से हुई वो ग्रामीण भी सही ढंग से नहीं बता पाते हैं. रेडा गांव में उनकी समाधि भी बनाई गई है.

Percival Jerome Phillips in Chaibasa
सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान

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उनकी समाधि स्थल की मरम्मती और देख-रेख वन विभाग करवा रहा है. प्रत्येक वर्ष उनकी समाधी स्थल पर श्रध्दांजलि भी दी जाती है. वन विभाग उनकी समाधी स्थल को नया रूप देने के प्रयास में है, जिससे उस स्थल पर पहुंचने वाले लोगों को उनके कार्य और अन्य जानकारियां मिल सके.

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