चाईबासा: अंग्रेजों के शासनकाल 1923 में सिंहभूम का फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने वाले 24 वर्षीय ब्रिटिश अफसर परसिवल जेरोम फिलिप्स की समाधि स्थल को सारंडा वन प्रमंडल ने अब तक संजो कर रखा है. जेरोम फिलिप्स का बनाया हुआ सिंहभूम फॉरेस्ट वर्किंग प्लान आज भी सारंडा वन प्रमंडल कार्यालय में देखा जा सकता है.
करीब 1920 ईश्वी के दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स को सारंडा में असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के रूप में तैनात किया गया था. उन्होंने अपनी कार्यशैली से सारंडा के रेडा और आसपास के लोगों का दिल जीत लिया था. इसके साथ ही पूरे क्षेत्र में उनके नाम की तूती बोलती थी. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के वरीय पदाधिकारियों के आदेशानुसार फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.
तिसरी गोली चलने पर पहुंचे ग्रामीण
ब्रिटिश सरकार के लिए फॉरेस्ट वर्किंग प्लान तैयार करने के 1 महीने के बाद उन्होंने 7 दिसंबर 1923 को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने से पहले फिलिप्स ने ग्रामीणों को हिदायत दी थी कि दो फायरिंग होने तक वे उनके घर तक नहीं आएंगे, जब तीसरी फायरिंग होगी तभी वह वहां पहुंचेंगे.
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जब तीसरी फायरिंग हुई तो रेडा गांव के ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे और उनके शव को वन विभाग के फॉरेस्टर और रेंजर ने रेड़ा गांव में ही दफना दिया था. उसके बाद से आज तक वन विभाग ही उनकी समाधि की देख-रेख करता है. सारंडा के रेडा गांव के लोगों के जेहन में आज भी फिलिप्स के काम जिंदा हैं.
उस दौरान परसिवल जेरोम फिलिप्स सारंडा के रेडा और आसपास के ग्रामीणों के लिए प्रभावी अधिकारी हुआ करते थे. ग्रामीणों की माने तो उनके वंशज सालों पहले झारखंड के अन्य जिलों में चले गए.
मंगेतर ने छोड़ दिया था
फिलिप्स की मौत को लेकर रेडा गांव के बुजुर्ग हारून टोपनो ने अपने पूर्वजों से सुनी हुई बातों को बताते हुए कहते हैं कि स्वर्गीय फिलिप्स की मंगनी हो गई थी, लेकिन लड़की उन्हें छोड़ कर चली गई थी, जिस करण उन्होंने आत्महत्या कर ली. सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि परसिवल जेरोम फिलिप्स की मौत किन कारणों से हुई वो ग्रामीण भी सही ढंग से नहीं बता पाते हैं. रेडा गांव में उनकी समाधि भी बनाई गई है.
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उनकी समाधि स्थल की मरम्मती और देख-रेख वन विभाग करवा रहा है. प्रत्येक वर्ष उनकी समाधी स्थल पर श्रध्दांजलि भी दी जाती है. वन विभाग उनकी समाधी स्थल को नया रूप देने के प्रयास में है, जिससे उस स्थल पर पहुंचने वाले लोगों को उनके कार्य और अन्य जानकारियां मिल सके.