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धर्मांतरणः ईसाई बने तीन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार, सार्वजनिक संपत्तियों के उपयोग पर रोक - चाईबासा में धर्मांतरित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार

चाईबासा में धर्मांतरण कर ईसाई बने तीन परिवारों का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार किया है. ग्रामसभा में फैसला लिया गया कि सरकारी सुविधाओं को छोड़कर गांव की बाकी सार्वजनिक संपत्तियों के उपयोग पर रोक लगाई गयी है.

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तीन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार
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Published : Nov 14, 2021, 8:12 PM IST

चाईबासा: धर्मांतरण कर ईसाई बने तीन परिवारों का गांव के ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. मामला पश्चिम सिंहभूम जिला के मझगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत रूगुडसाई गांव का है. जहां रविवार को ग्रामीण मुंडा शपातोर सिंह पुरती की अध्यक्षता में ग्रामसभा आयोजित कर भोले-भाले ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराने का विरोध किया गया.

इसे भी पढ़ें- धनबाद में धर्म परिवर्तन पर आदिवासी परिवारों का हुक्का पानी बंद, सावलापुर से निकालने का ऐलान

इस मौके पर ग्रामीण मुंडा और डाकुवा ने ईसाई धर्म मानने वाले गांव के तीन परिवारों के मुखियाओं को बुलाकर सरना धर्म में लौटने का प्रस्ताव दिया. लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा की पदाधिकारियों की उपस्थिति में तीनों परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान किया. इसके अलावा हो जनजाति के सामाजिक और धार्मिक संस्कारों तथा रीति-रिवाजों का पालन नहीं करने के बावजूद जनजातियों के आरक्षण का लाभ लेने वाले लोगों के विरुद्ध सामाजिक और कानूनी लड़ाई पर भी सहमति बनी.

ग्रामसभा में ये निर्णय लिया गया

इनके जन्म, मृत्यु, विवाह व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में सरना परिवार के लोग भाग नहीं लेंगे.
प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली में धर्मांतरित परिवारों का जाना प्रतिबंधित रहेगा.
इनसे कोई बातचीत नहीं करेगा, लेन-देन और व्यापारिक रिश्ता नही रहेगा.
इसका उल्लंघन करने वाले ग्रामीण को पांच हजार रुपये दंड के रूप में देना होगा.
धर्मांतरित परिवार अपने मवेशी निजी जमीन पर ही चरा सकेंगे.
आवागमन के लिए अपनी ही निजी जमीन का इस्तेमाल करना होगा.
सरकारी योजनाओं के लाभ, अस्पताल, स्कूल, तालाब, चापाकल व अन्य सरकारी सुविधाओं को छोड़कर गांव की बाकी सार्वजनिक संपत्तियों के उपयोग पर रोक होगी.


ग्राम सभा में हो समाज के हितों की रक्षा के लिए भाषा-संस्कृति, पारंपरिक त्योहार, रीति-रिवाज व प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली के सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर विचार-विमर्श किया गया. इस बीच युवा महासभा के पदाधिकारियों की ओर से ग्रामीणों को सामाजिक कुरीतियों, आंतरिक बुराइयों, अंधविश्वास एवं सामाजिक विसंगतियों में सुधार को लेकर जागरूक किया गया. ग्राम सभा में डाकुवा अबिन तिरिया, सोमकांत पुरती, रामदयाल पुरती, सोनु पिंगुवा, पंसस पदमनी पुर्ती, पूर्व मुखिया लक्ष्मी पिंगुवा, सुंदरलाल पुर्ती, श्याम सुंदर पुर्ती, पूर्ण चंद्र पुर्ती, दिनेश पुर्ती, मनोज पुर्ती, सचिन पुर्ती, यमिनी पुर्ती, शकुंतला पुर्ती, चांदमनी पुर्ती, जोंगा पुर्ती, सुमित्रा तिरिया, लक्ष्मी पुर्ती, जाबानी पुर्ती, शांति तिरिया, गोरवारी पुर्ती, जयनंदन पुर्ती, भीमेश्वर पुर्ती समेत काफी संख्या में ग्रामीण एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे.

चाईबासा: धर्मांतरण कर ईसाई बने तीन परिवारों का गांव के ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. मामला पश्चिम सिंहभूम जिला के मझगांव थाना क्षेत्र अंतर्गत रूगुडसाई गांव का है. जहां रविवार को ग्रामीण मुंडा शपातोर सिंह पुरती की अध्यक्षता में ग्रामसभा आयोजित कर भोले-भाले ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराने का विरोध किया गया.

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इस मौके पर ग्रामीण मुंडा और डाकुवा ने ईसाई धर्म मानने वाले गांव के तीन परिवारों के मुखियाओं को बुलाकर सरना धर्म में लौटने का प्रस्ताव दिया. लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद ग्रामीणों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा की पदाधिकारियों की उपस्थिति में तीनों परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान किया. इसके अलावा हो जनजाति के सामाजिक और धार्मिक संस्कारों तथा रीति-रिवाजों का पालन नहीं करने के बावजूद जनजातियों के आरक्षण का लाभ लेने वाले लोगों के विरुद्ध सामाजिक और कानूनी लड़ाई पर भी सहमति बनी.

ग्रामसभा में ये निर्णय लिया गया

इनके जन्म, मृत्यु, विवाह व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में सरना परिवार के लोग भाग नहीं लेंगे.
प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली में धर्मांतरित परिवारों का जाना प्रतिबंधित रहेगा.
इनसे कोई बातचीत नहीं करेगा, लेन-देन और व्यापारिक रिश्ता नही रहेगा.
इसका उल्लंघन करने वाले ग्रामीण को पांच हजार रुपये दंड के रूप में देना होगा.
धर्मांतरित परिवार अपने मवेशी निजी जमीन पर ही चरा सकेंगे.
आवागमन के लिए अपनी ही निजी जमीन का इस्तेमाल करना होगा.
सरकारी योजनाओं के लाभ, अस्पताल, स्कूल, तालाब, चापाकल व अन्य सरकारी सुविधाओं को छोड़कर गांव की बाकी सार्वजनिक संपत्तियों के उपयोग पर रोक होगी.


ग्राम सभा में हो समाज के हितों की रक्षा के लिए भाषा-संस्कृति, पारंपरिक त्योहार, रीति-रिवाज व प्राकृतिक आस्था स्थल देशाऊली के सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर विचार-विमर्श किया गया. इस बीच युवा महासभा के पदाधिकारियों की ओर से ग्रामीणों को सामाजिक कुरीतियों, आंतरिक बुराइयों, अंधविश्वास एवं सामाजिक विसंगतियों में सुधार को लेकर जागरूक किया गया. ग्राम सभा में डाकुवा अबिन तिरिया, सोमकांत पुरती, रामदयाल पुरती, सोनु पिंगुवा, पंसस पदमनी पुर्ती, पूर्व मुखिया लक्ष्मी पिंगुवा, सुंदरलाल पुर्ती, श्याम सुंदर पुर्ती, पूर्ण चंद्र पुर्ती, दिनेश पुर्ती, मनोज पुर्ती, सचिन पुर्ती, यमिनी पुर्ती, शकुंतला पुर्ती, चांदमनी पुर्ती, जोंगा पुर्ती, सुमित्रा तिरिया, लक्ष्मी पुर्ती, जाबानी पुर्ती, शांति तिरिया, गोरवारी पुर्ती, जयनंदन पुर्ती, भीमेश्वर पुर्ती समेत काफी संख्या में ग्रामीण एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे.

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