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एक तरफ मुख्यमंत्री लेते रहे जनता का आशीर्वाद, दूसरी तरफ ईचा डैम के विस्थापित करते रहे विरोध

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Published : Oct 12, 2019, 11:51 AM IST

मुख्यमंत्री रघुवर दास जोहार जन आशीर्वाद यात्रा कर लोगों का समर्थन हासिल करने में जुटे हैं. वहीं, ईचा डैम के विस्तापितों ने सरकार की कार्यशैली से नाराज होकर ईचा खरकई डैम निर्माण रद्द करने की मांग की. इस दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की भी बात कही.

विरोध करते ग्रामीण

चाईबासा: मुख्यमंत्री रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा एक तरफ जहां लोगों का दिल जीतने और सरकार की उपलब्धियां गिनाने में जुटी है. तो वहीं सरायकेला खरसावां अंतर्गत राजनगर प्रखंड के तेलाई गांव में आयोजित कार्यक्रम स्थल से मात्र 2 किलोमीटर दूर ईचा खरकई डैम के विस्थापित ग्रामीण उनके विरोध में जुटे हुए थे. ग्रामीणों ने सरकार के कार्यशैली से नाराज होकर ईचा खरकई डैम निर्माण रद्द करने की मांग की.

देखें पूरी खबर

1978 में रखी गई थी नींव
सेसो डैम पर कुजू पंचायत और हेरमा पंचायत के प्रभावित और ईचा खरकाई डैम के विस्थापितों ने मुख्यमंत्री के दौरे का विरोध किया. इस दौरान ग्रामीणों अपने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन भी करते नजर आए. बता दें कि ईचा खरकाई डैम की नींव अविभाजित बिहार के समय साल1978 में रखी गई थी. कुछ कारणों के चलते यह परियोजना आज भी अधूरी है, विकास के नाम पर यहां के लोग अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. विस्थापित आज भी नौकरी और मुआवजे को लेकर सरकार से दो-दो हाथ करने में जुटे हुए हैं.

ये भी पढ़ें- गठबंधन को लेकर सुबोधकांत को नहीं दी गई है कोई जिम्मेदारी, JMM है बड़ी पार्टी: रामेश्वर उरांव

रघुवर सरकार से नाराज हैं ग्रामीण
सरकार लोगों की तकलीफों को दरकिनार करते हुए फिर से इस डैम को पूरा करने के लिए निविदा आमंत्रित किया है. इसके निर्माण कार्य के लिए काम भी शुरू कर दी गई है, जिसके चलते यहां के लोग रघुवर सरकार से काफी नाराज हैं और आने वाले चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए हैं. हालांकि सरायकेला की यह विधानसभा सीट पिछले दो चुनावों से जेएमएम के कब्जे में है. ऐसे में मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा लोगों का दिल जीत पाएगी इस पर संदेह नजर आ रहा है.

चाईबासा: मुख्यमंत्री रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा एक तरफ जहां लोगों का दिल जीतने और सरकार की उपलब्धियां गिनाने में जुटी है. तो वहीं सरायकेला खरसावां अंतर्गत राजनगर प्रखंड के तेलाई गांव में आयोजित कार्यक्रम स्थल से मात्र 2 किलोमीटर दूर ईचा खरकई डैम के विस्थापित ग्रामीण उनके विरोध में जुटे हुए थे. ग्रामीणों ने सरकार के कार्यशैली से नाराज होकर ईचा खरकई डैम निर्माण रद्द करने की मांग की.

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1978 में रखी गई थी नींव
सेसो डैम पर कुजू पंचायत और हेरमा पंचायत के प्रभावित और ईचा खरकाई डैम के विस्थापितों ने मुख्यमंत्री के दौरे का विरोध किया. इस दौरान ग्रामीणों अपने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन भी करते नजर आए. बता दें कि ईचा खरकाई डैम की नींव अविभाजित बिहार के समय साल1978 में रखी गई थी. कुछ कारणों के चलते यह परियोजना आज भी अधूरी है, विकास के नाम पर यहां के लोग अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. विस्थापित आज भी नौकरी और मुआवजे को लेकर सरकार से दो-दो हाथ करने में जुटे हुए हैं.

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रघुवर सरकार से नाराज हैं ग्रामीण
सरकार लोगों की तकलीफों को दरकिनार करते हुए फिर से इस डैम को पूरा करने के लिए निविदा आमंत्रित किया है. इसके निर्माण कार्य के लिए काम भी शुरू कर दी गई है, जिसके चलते यहां के लोग रघुवर सरकार से काफी नाराज हैं और आने वाले चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए हैं. हालांकि सरायकेला की यह विधानसभा सीट पिछले दो चुनावों से जेएमएम के कब्जे में है. ऐसे में मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा लोगों का दिल जीत पाएगी इस पर संदेह नजर आ रहा है.

Intro:चाईबासा। मुख्यमंत्री रघुवर दास की जन आशीर्वाद यात्रा एक तरफ जंहा लोगों का दिल जीतने एवं सरकार की उपलब्धियों की गिनती करवाने में जुटी हुई थी। वहीं सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत राजनगर प्रखंड के तेलाई गांव में आयोजित कार्यक्रम स्थल से मात्र 2 किलोमीटर दूर इचा खरकई बांध के विस्थापित ग्रामीण उनका विरोध में जुटे हुए थे। ग्रामीण उनके सरकार के कार्यशैली से काफी नाराज होकर ईचा खरकई बांध निर्माण को रद्द करने की मांग करते रहे।

Body:सेसो डैम पर कुजू पंचायत एवं हेरमा पंचायत के प्रभावित व इचा खरकाई बांध के विस्थापित मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ग्रामीणों ने अपने अपने हाथों में तख्तियां लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

बता दें कि इचा खरकाई बांध की नींव अविभाजित बिहार के समय सन 1978 में रखी गई थी परंतु के कारणों के चलते यह परियोजना आज भी अधूरी पड़ी हुई है। विकास के नाम पर यंहा के लोग अपना सब कुछ गंवा चुके विस्थापित आज भी नौकरी और मुआवजा को लेकर सरकार से दो दो हाथ करने में जुटे हुए हैं। लेकिन सरकार लोगों की तकलीफों को दरकिनार करते हुए फिर से इस बांध को पूरा करने के लिए निविदा आमंत्रित करते हुए अभिकर्ता की नियुक्ति कर बल पूर्वक कार्य शुरू कर दी है जिसके चलते यंहा के लोग रघुवर सरकार से काफी नाराज हैं और आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए है।

Conclusion:हालांकि सरायकेला का यह विधानसभा सीट पिछले दो चुनावों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कब्जे में है। लिहाजा यह इलाका जेएमएम की दबदबा वाला क्षेत्र में से जाना जाता रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा लोगों का दिल जीत पाएगी या मुख्यमंत्री जीत पाएंगे इस पर संदेह नजर आने लगा है।
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