चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के नोआमुंडी स्थित टाटा स्टील लोहा खदान में उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर आगामी 6 नवंबर को होने वाली जनसुनवाई का विरोध किया जा रहा है. सांसद गीता कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के नेतृत्व में पदयात्रा निकाली गई. सांसद गीता कोड़ा और मधु कोड़ा ने कोटगढ़ बस स्टैंड परिसर से आयोजित विरोध पदयात्रा शुरू करने के पहले सभा को संबोधित किया.
'टाटा स्टील कंपनी पहले स्थानीय लोगों का हक दें'
इस दौरान सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि टाटा स्टील कंपनी अपने कार्य क्षेत्र के स्थानीय लोगों को 100 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध करवाना उनका सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्व है. टाटा स्टील स्थानीय लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पेयजल, सड़क जैसी सुविधा दिलाने के वादे पर कंपनियां स्थापित की गई है. पर वर्षों समय बीतने के बाद भी कंपनी अपने जनहित में किए गए सारे वादे भूल गई है. ऐसी स्थिति में कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर कंपनी की जिम्मेदारियों को याद दिलाना हम जनप्रतिनिधियों की नैतिक जिम्मेवारी बनती है. टाटा स्टील कंपनी पहले स्थानीय लोगों का हक दें, फिर विस्तारीकरण करें.
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'धूलकण बीमारी और बेरोजगारी मिली'
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को न्याय दिलाने के लिए मजबूरन जनप्रतिनिधि को इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करना पड़ रहा है. कंपनी अपने वादे के अनुरूप विस्थापितों को नौकरी भी नहीं दे रही. उन्हें आज भी विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है. यहां के लोगों को सुविधा के नाम पर रोजगार तो नहीं मिली, लेकिन धूलकण बीमारी और बेरोजगारी जरूर मिली है.
'फटेहाल जिंदगी बसर करने को विवश'
जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकु ने कहा कि नोवामुंडी लौह अयस्क खदान की खनन विस्तारीकरण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण पार्षद बोर्ड की ओर से 6 नवंबर को जन सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई हैं. कंपनी यहां के प्राकृतिक संपदा का खनन कर विदेश भेज कर अरबों खरबों की कमाई कर रही है. जबकि जमीन मालिक आज भी गरीबी और फटेहाल जिंदगी बसर करने को विवश हैं. उन बदनसीबों को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो रही है.
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'स्थानीय लोगों का दमन और शोषण'
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि कंपनी लोक सुनवाई के पहले गांवों में अपने दलालों को भेजकर बड़े-बड़े प्रलोभन देने का वादा करती है. इसके बाद स्थानीय लोगों को नजरअंदाज कर बंगाल, बिहार इलाके के बाहरी लोगों को नौकरी पर रखा जाता है. स्थानीय लोगों का केवल दमन और शोषण किया जाता है.