चाईबासा: झारखंड राज्य आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपने विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. इस सिलसिले में 5 महिला कर्मचारियों की स्थिति बिगड़ गई है, उन्हें सदर अस्पताल में ही भर्ती कराया गया है. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के छटनी और अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी सदर अस्पताल परिसर में ही 14 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं.
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हालांकि,स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से भी कई बार आश्वासन मिला, लेकिन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के 7 दिनों तक धरने पर बैठने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनकी 10 सूत्री मांग पर कोई भी सकारात्मक पहल नहीं होता देख सभी आउटसोर्सिंग कर्मी ने 'करो या मरो' की तर्ज पर 22 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का निर्णय लिया है. भूख हड़ताल पर बैठने के दूसरे दिन 5 महिला कर्मचारियों की हालत बिगड़ गई है, जिस कारण उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अरविंद लोहार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य सचिव के तानाशाह रवैया के कारण सभी आउटसोर्सिंग कर्मियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. जनप्रतिनिधियों के पहल किये जाने के बाद भी अब तक किसी भी प्रकार की सकारात्मक पहल होता नहीं दिख रहा है. गुरुवार को सिविल सर्जन के साथ भी वार्ता की गई, लेकिन वार्ता में कोई निष्कर्ष नहीं निकला और वार्ता विफल रही. वहीं, उनकी भूख हड़ताल अब भी जारी है और आगे भी जारी रहेगी.
आउटसोर्सिंग कर्मियों की मांग
उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग कर्मियों का बकाया मानदेय भत्ता, फिर काम पर वापस लेने, ठेकेदार प्रथा को खत्म करने, स्वास्थ्य विभाग के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मियों को बहाल करने, समेत 10 मांगों को लेकर सभी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में बैठेंगे. इस दौरान किसी भी कर्मियों को कुछ भी होता है, तो इसके जिम्मेदार जिला प्रशासन और स्वास्थ्य सचिव होंगे.