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चाईबासा में खादी भंडार के कार्यालय के पास माओवादियों ने लगाया बैनर, भय के साए में ग्रामीण - Naxalites in Chaibasa

झारखंड में लगातार नक्सलियों के पोस्टबाजी करने का मामला सामने आ रहा है. सोमवार को भी चाईबासा के केरा पंचायत स्थित खादी भंडार के पुराने कार्यालय के पास माओवादियों ने पोस्टर चिपकाया है. जिसके बाद से इलाके में दहशत है.

Maoists put up banners near Khadi Bhandar office
माओवादियों ने लगाया बैनर
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Published : Nov 22, 2021, 8:08 PM IST

चाईबासा: चक्रधरपुर प्रखंड के केरा पंचायत स्थित खादी भंडार के पुराने कार्यालय के पास माओवादियों ने पोस्टर चिपकाया है. पोस्टर लगा देख ग्रामीणों में दहशत है. पोस्टर में माओवादियों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए तीनों कृषि कानून का विरोध किया है. माओवादियों ने कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन को तेज और व्यापक बनाने की मांग की है.

इसे भी पढे़ं: चाईबासा में नक्सलियों ने की पोस्टरबाजी, ग्रामीणों में दहशत


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून को कुछ दिन पहले ही वापस लेने का फैसला लिया है. इसकी औपचारिकता पूरी करनी बाकी है. वहीं माओवादी के शीर्ष नेता प्रशांत बोस उर्फ किशन दा सहित उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के बाद माओवादियों ने फिर से अपना खौफ दिखाना शुरू किया है. पोस्टर बैनर के जरिए माओवादी ग्रामीण इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

झारखंड में लगातार नक्सली कर रहे पोस्टरबाजी

कुछ दिनों पहले भी नक्सल प्रभावित टोकलो थाना क्षेत्र के भारीनिया चौक पर माओवादियों ने जमकर पोस्टरबाजी की थी. नक्सलियों के द्वारा पोस्टरबाजी किये जाने के बाद क्षेत्र में ग्रामीण डरे हुए थे. वहीं मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने भारीनिया चौक पहुंचकर पोस्टरों को उखाड़ा और जांच पड़ताल शुरू की. 30 जुलाई को भी सराकेला के ईचागढ़ थाना क्षेत्र के पातकुम पुलिया पर नक्सलियों ने एक बैनर लगा दिया था. बैनर माओवादी संगठन सीपीआई के नाम से था. पातकुम पुलिया पर लगाए गए बैनर में बांग्ला भाषा में लिखा हुआ था. माओवादी संगठन सीपीआई के नाम से कपड़े पर हाथ से लिखे बैनर में गुरिल्ला युद्ध से संबंधित बातें लिखी हुई थी.

चाईबासा: चक्रधरपुर प्रखंड के केरा पंचायत स्थित खादी भंडार के पुराने कार्यालय के पास माओवादियों ने पोस्टर चिपकाया है. पोस्टर लगा देख ग्रामीणों में दहशत है. पोस्टर में माओवादियों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए तीनों कृषि कानून का विरोध किया है. माओवादियों ने कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन को तेज और व्यापक बनाने की मांग की है.

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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून को कुछ दिन पहले ही वापस लेने का फैसला लिया है. इसकी औपचारिकता पूरी करनी बाकी है. वहीं माओवादी के शीर्ष नेता प्रशांत बोस उर्फ किशन दा सहित उनकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के बाद माओवादियों ने फिर से अपना खौफ दिखाना शुरू किया है. पोस्टर बैनर के जरिए माओवादी ग्रामीण इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

झारखंड में लगातार नक्सली कर रहे पोस्टरबाजी

कुछ दिनों पहले भी नक्सल प्रभावित टोकलो थाना क्षेत्र के भारीनिया चौक पर माओवादियों ने जमकर पोस्टरबाजी की थी. नक्सलियों के द्वारा पोस्टरबाजी किये जाने के बाद क्षेत्र में ग्रामीण डरे हुए थे. वहीं मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने भारीनिया चौक पहुंचकर पोस्टरों को उखाड़ा और जांच पड़ताल शुरू की. 30 जुलाई को भी सराकेला के ईचागढ़ थाना क्षेत्र के पातकुम पुलिया पर नक्सलियों ने एक बैनर लगा दिया था. बैनर माओवादी संगठन सीपीआई के नाम से था. पातकुम पुलिया पर लगाए गए बैनर में बांग्ला भाषा में लिखा हुआ था. माओवादी संगठन सीपीआई के नाम से कपड़े पर हाथ से लिखे बैनर में गुरिल्ला युद्ध से संबंधित बातें लिखी हुई थी.

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