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असुविधा: ओडीएफ वाले शहर के शौचालयों में लटक रहा है ताला

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Published : Dec 15, 2020, 10:39 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 6:28 PM IST

स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार बड़ी रकम खर्च कर रही है, जिससे लोगों को इससे मुक्ति मिल सके, लेकिन लापरवाही के कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे. पश्चिम सिंहभूम जिले में 50 फीसदी शौचालय आज भी बंद हैं. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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डिजाइन इमेज

चाईबासा: स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार ने शौचालय निर्माण को अपनी महत्वाकांक्षी योजना बनाई. इसके तहत घरों में शौचालय निर्माण के साथ-साथ चौक-चौराहों, बाजार एवं घनी बस्ती में सामुदायिक शौचालय निर्माण पर करोड़ों रुपये भी खर्च किए गए. हालांकि, केंद्र सरकार की इस योजना ने लोगों को शौचालय तो दे दिया, लेकिन लापरवाही के कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. पश्चिम सिंहभूम जिले में बने अधिकतर सामुदायिक शौचालय बनने के बाद कुछ दिन इस्तेमाल किया गया. उसके बाद नगर परिषद ने इसमें ताला जड़ दिया, जिसके बाद कुछ शौचालय खोले गए और उपयोग में लाए जा रहे हैं, लेकिन 50 फीसदी शौचालय आज भी बंद पड़े हुए हैं, जिसके कारण क्षेत्र के लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिम सिंहभूम जिला में ओडीएफ अभियान सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गया है.

देखिए पूरी खबर

चाईबासा में 10 सामुदायिक शौचालय का निर्माण

चाईबासा नगर परिषद के द्वारा शहर में 2 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत से 10 सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया. इनमें से 50% सामुदायिक शौचालयों में आज भी ताले लगे हुए हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांधी मैदान में एक बड़ा सा आयोजन कर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की उपस्थिति में जिले को खुले में शौच मुक्त ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन हकीकत यह है कि जिले की स्थिति आज भी पहले के जैसे ही बनी हुई है, जहां लोग खुले में शौच के लिए विवश है. चाईबासा शहरी क्षेत्र में जगह नहीं मिलने के कारण नगर निगम ने आधे से अधिक शौचालय नदी या तालाब के किनारे निर्माण करा दिया, जिनमें पुलहातु, धोबी तालाब, तमशन तालाब, करणी मंदिर, ईदगाह और कुम्हारटोली आदि स्थान शामिल है, जो चारों ओर से जंगल झाड़ियों से घिरे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: लापरवाही: डॉक्टरों ने बिना इजाजत दिव्यांग शख्स की कर दी नसबंदी, कार्रवाई की मांग

चाईबासा में 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ

चाईबासा शहर के बीचो-बीच लगभग 20 लाख रुपये से नगर परिषद ने 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ बनाए हैं, जो नगर परिषद की व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. यहां 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ पिलाई हॉल, पोस्ट ऑफिस चौक, जेल गेट, गांधी मैदान परिसर, अनुमंडल कार्यालय परिसर, सदर बाजार, दादा दादी पार्क, पुलिस लाइन रोड, सरकारी बस स्टैंड के समीप लगाए गए हैं. इनकी साफ-सफाई नहीं होने के कारण मॉड्यूलर यूरिनल में गंदगी का ढेर लगा हुआ है. वहीं, कई जगहों पर शौचालय के दरवाजे की कुंडी टूटी हुई है. ऐसे में दरवाजा बंद करने के लिए यूरिनल की कुंडी में रस्सी बांध कर लोग उपयोग कर रहे हैं. यहां तक की मॉड्यूलर यूरिनल में लगे बिजली के बल्ब तक गायब हो गए हैं. यूरिनल में पानी के लिए लगे नल टूट गए हैं. लिहाजा, पानी के अभाव में लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. कई यूरिनल में पानी का पाइप तक गायब हो चुका है.

चाईबासा में शौचालय का हाल बेहाल

मंगला हाट में तालाब किनारे बने सामुदायिक शौचालय का हाल बेहाल है. शौचालय के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में स्थानीय लोग चाह कर भी शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. शौचालय में गंदगी का ढेर लगा हुआ है. शौचालय में लगे पानी के नल टूट चुके हैं, जिस शौचालय में पानी का भी अभाव है जिस कारण शौचालय की सफाई भी नहीं हो पा रही है. नगर प्रबंधक ज्योति पुंज ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र में 14वें फाइनेंस कमीशन से कुल 13 सामुदायिक शौचालय बनाए गए थे. सभी सामुदायिक शौचालय ऐसे स्थानों में बनाए गए थे, जहां स्लम क्षेत्र है और लोग खुले में शौच में जाते हैं. वहां के लोगों के पास शौचालय नहीं है इसे ध्यान में रखते हुए खुले में शौच को रोकने के लिए उन स्थानों पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया था, जिसमें से वर्तमान समय में कुल 6 सामुदायिक शौचालय संचालित हैं और कुछ शौचालय समिति बनाकर स्वयं ही चला रहे हैं. शेष बचे सात सामुदायिक शौचालय को हम लोग चलाने का प्रयास कर रहे हैं. उसके लिए विज्ञापन भी निकाले गए हैं, लेकिन अब तक कोई भी स्वयं सहायता समूह या अन्य संस्था अब तक आगे नहीं आई है अगर कोई संस्था इसे संचालित करना चाहे तो हम लोगों ने सौंप देंगे.

एक महीने के अंदर होगा शुरू

उपायुक्त आरवा राजकमल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने सामुदायिक शौचालय की जगह चिन्हित कर बनाए गए हैं, जहां पर लोग खुले में शौच करते हैं नगर परिषद के द्वारा 13 सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था, जिसमें से कुछ संचालित है और कुछ अब तक संचालित नहीं हो सका है सरकार का निर्देश के अनुसार नो प्रॉफिट नो लॉस के तहत उसी स्थान के समिति संस्था आदि को देखकर संचालित करना है, लेकिन 6 सामुदायिक शौचालय संचालित नहीं हो सका है. कार्यपालक पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि 1 महीने के अंदर बंद पड़े सामुदायिक शौचालय को संचालित करवाया जाए, जिससे उसी क्षेत्र के संस्था या किसी व्यक्ति को तैयार करें और से होने वाले आमदनी से ही उन शौचालयों का मेंटेनेंस भी करवाया जाए.

चाईबासा: स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार ने शौचालय निर्माण को अपनी महत्वाकांक्षी योजना बनाई. इसके तहत घरों में शौचालय निर्माण के साथ-साथ चौक-चौराहों, बाजार एवं घनी बस्ती में सामुदायिक शौचालय निर्माण पर करोड़ों रुपये भी खर्च किए गए. हालांकि, केंद्र सरकार की इस योजना ने लोगों को शौचालय तो दे दिया, लेकिन लापरवाही के कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. पश्चिम सिंहभूम जिले में बने अधिकतर सामुदायिक शौचालय बनने के बाद कुछ दिन इस्तेमाल किया गया. उसके बाद नगर परिषद ने इसमें ताला जड़ दिया, जिसके बाद कुछ शौचालय खोले गए और उपयोग में लाए जा रहे हैं, लेकिन 50 फीसदी शौचालय आज भी बंद पड़े हुए हैं, जिसके कारण क्षेत्र के लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिम सिंहभूम जिला में ओडीएफ अभियान सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गया है.

देखिए पूरी खबर

चाईबासा में 10 सामुदायिक शौचालय का निर्माण

चाईबासा नगर परिषद के द्वारा शहर में 2 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत से 10 सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया. इनमें से 50% सामुदायिक शौचालयों में आज भी ताले लगे हुए हैं. स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांधी मैदान में एक बड़ा सा आयोजन कर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की उपस्थिति में जिले को खुले में शौच मुक्त ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन हकीकत यह है कि जिले की स्थिति आज भी पहले के जैसे ही बनी हुई है, जहां लोग खुले में शौच के लिए विवश है. चाईबासा शहरी क्षेत्र में जगह नहीं मिलने के कारण नगर निगम ने आधे से अधिक शौचालय नदी या तालाब के किनारे निर्माण करा दिया, जिनमें पुलहातु, धोबी तालाब, तमशन तालाब, करणी मंदिर, ईदगाह और कुम्हारटोली आदि स्थान शामिल है, जो चारों ओर से जंगल झाड़ियों से घिरे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: लापरवाही: डॉक्टरों ने बिना इजाजत दिव्यांग शख्स की कर दी नसबंदी, कार्रवाई की मांग

चाईबासा में 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ

चाईबासा शहर के बीचो-बीच लगभग 20 लाख रुपये से नगर परिषद ने 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ बनाए हैं, जो नगर परिषद की व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं. यहां 10 मॉड्यूलर यूरिनल बूथ पिलाई हॉल, पोस्ट ऑफिस चौक, जेल गेट, गांधी मैदान परिसर, अनुमंडल कार्यालय परिसर, सदर बाजार, दादा दादी पार्क, पुलिस लाइन रोड, सरकारी बस स्टैंड के समीप लगाए गए हैं. इनकी साफ-सफाई नहीं होने के कारण मॉड्यूलर यूरिनल में गंदगी का ढेर लगा हुआ है. वहीं, कई जगहों पर शौचालय के दरवाजे की कुंडी टूटी हुई है. ऐसे में दरवाजा बंद करने के लिए यूरिनल की कुंडी में रस्सी बांध कर लोग उपयोग कर रहे हैं. यहां तक की मॉड्यूलर यूरिनल में लगे बिजली के बल्ब तक गायब हो गए हैं. यूरिनल में पानी के लिए लगे नल टूट गए हैं. लिहाजा, पानी के अभाव में लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. कई यूरिनल में पानी का पाइप तक गायब हो चुका है.

चाईबासा में शौचालय का हाल बेहाल

मंगला हाट में तालाब किनारे बने सामुदायिक शौचालय का हाल बेहाल है. शौचालय के अंदर और बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में स्थानीय लोग चाह कर भी शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. शौचालय में गंदगी का ढेर लगा हुआ है. शौचालय में लगे पानी के नल टूट चुके हैं, जिस शौचालय में पानी का भी अभाव है जिस कारण शौचालय की सफाई भी नहीं हो पा रही है. नगर प्रबंधक ज्योति पुंज ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र में 14वें फाइनेंस कमीशन से कुल 13 सामुदायिक शौचालय बनाए गए थे. सभी सामुदायिक शौचालय ऐसे स्थानों में बनाए गए थे, जहां स्लम क्षेत्र है और लोग खुले में शौच में जाते हैं. वहां के लोगों के पास शौचालय नहीं है इसे ध्यान में रखते हुए खुले में शौच को रोकने के लिए उन स्थानों पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण करवाया गया था, जिसमें से वर्तमान समय में कुल 6 सामुदायिक शौचालय संचालित हैं और कुछ शौचालय समिति बनाकर स्वयं ही चला रहे हैं. शेष बचे सात सामुदायिक शौचालय को हम लोग चलाने का प्रयास कर रहे हैं. उसके लिए विज्ञापन भी निकाले गए हैं, लेकिन अब तक कोई भी स्वयं सहायता समूह या अन्य संस्था अब तक आगे नहीं आई है अगर कोई संस्था इसे संचालित करना चाहे तो हम लोगों ने सौंप देंगे.

एक महीने के अंदर होगा शुरू

उपायुक्त आरवा राजकमल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने सामुदायिक शौचालय की जगह चिन्हित कर बनाए गए हैं, जहां पर लोग खुले में शौच करते हैं नगर परिषद के द्वारा 13 सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था, जिसमें से कुछ संचालित है और कुछ अब तक संचालित नहीं हो सका है सरकार का निर्देश के अनुसार नो प्रॉफिट नो लॉस के तहत उसी स्थान के समिति संस्था आदि को देखकर संचालित करना है, लेकिन 6 सामुदायिक शौचालय संचालित नहीं हो सका है. कार्यपालक पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि 1 महीने के अंदर बंद पड़े सामुदायिक शौचालय को संचालित करवाया जाए, जिससे उसी क्षेत्र के संस्था या किसी व्यक्ति को तैयार करें और से होने वाले आमदनी से ही उन शौचालयों का मेंटेनेंस भी करवाया जाए.

Last Updated : Dec 16, 2020, 6:28 PM IST
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