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पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने CM हेमंत सोरेन को लिखा पत्र, दिए कई सुझाव - पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने CM हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कोरोना वायरस को लेकर अपना सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि आज किसान वर्ग नुकसान होने से आर्थिक एवं मानसिक रुप से बहुत चिंतित है, किसानों के इस दशा से राहत दिलाना राज्यहित में आवश्यक है और इनके मनोबल को ऊंचा बनाए रखना राज्य सरकार का नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी भी बनता है

madhu, मधु
मधु कोड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री
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Published : Apr 28, 2020, 9:47 PM IST

चाईबासा: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अपना सुझाव दिया है. मधु कोड़ा ने पत्र में कहा है कि पिछले दो माह से पूरा हिंदुस्तान कोरोना वायरस महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित है, जिससे झारखंड राज्य भी अछूता नहीं है. राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

madhu, मधु
मधु कोड़ा का पत्र

इस गंभीरता को देखते हुए झारखंड सरकार द्वारा कई निर्देश निर्गत किए गये है और बचाव और राहत कार्य किए जा रहे है. सरकार के राहत कार्य से किसानों के बीच उत्थान की आशा जगी है. इस समय झारखंड समेत पूरे हिंदुस्तान में दूसरे चरण की लॉकडाउन अवधि से लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. पहला वैसे लोग हैं जो कोरोना पॉजिटिव है दूसरा वे जो नेगेटिव है दोनों वर्ग बुरी तरह प्रभावित है. खासकर किसान वर्ग जो रवि और जेट फसल की खेती करते हैं, उनका फसल बर्बाद हो गया है. लॉकडाउन की वजह से शहर के मंडी, बाजार हॉट, दैनिक और सप्ताहिक हॉट बंद हो गया है. खुदरा और थोक व्यापारी और कृषि उत्पादन केंद्र पर नहीं पहुंच पा रहे है. जिससे किसानों द्वारा उपजायी गई साग-सब्जी, अनाज बर्बाद हो रहा है और इस बीच जो कुछ भी खेतों में फसल बची थी वह भी पिछले दिनों ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बाद हो गया आज किसान वर्ग को लॉकडाउन की वजह से आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित हैं और किसानों के फसल बरबाद होने से दोहरी मार झेल रहे है.

madhu, मधु
मधु कोड़ा का पत्र

ये भी पढ़ें- BJP ने राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- तुष्टिकरण की नीति अपना रही है हेमंत सरकार


उन्होंने कहा कि आज किसान वर्ग नुकसान होने से आर्थिक एवं मानसिक रुप से बहुत चिंतित है, किसानों के इस दशा से राहत दिलाना राज्यहित में आवश्यक है और इनके मनोबल को ऊंचा बनाए रखना राज्य सरकार का नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी भी बनता है. चूंकि राज्य सरकार ही संवैधानिक रुप से सबल और समर्थ है और वैधानिक अधिकार भी राज्य सरकार पर ही निहित है.

ऐसी परिस्थिति में दोहरी मार झेल रहे किसानों को मनोबल बढ़ाने तथा खेती कार्यों में उत्साह को बनाए रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को दिया गया सुझाव है.
1. सरकार द्वारा धान क्रय कर प्राप्त की गई राशि से किसानों का बकाया राशि शीघ्र भुगतान किया जाए. सरकार के द्वारा धान क्रय करने के समय ही किसान को राशि का भुगतान करने की व्यवस्था की जाए.
2. किसानों का वर्ष 2020- 21 कृषि लोन पर ब्याज माफ किया जाए.
3. किसानों को ओलावृष्टि से हुए फसल की बर्बादी का मुआवजा दिया जाए.
4. किसानों द्वारा वर्ष 2019- 20 में सरकार को बेचे गए धान की राशि के भुगतान में पांच प्रतिशत की कटौती की राशि को किसानों को भुगतान किया जाए.
5. किसानों को कृषि से संबंधित बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण आदि अनुदानित दर पर दिया जाए.
6. किसानों को पट्वन हेतु पम्प मशीन में उपयोगी डीजल, केरोसिन एवं बिजली अनुदानित दर पर दिया जाए.

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि उपरोक्त सुझाव पर विचार कर अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन कार्ययोजना को रेखांकित करना जरूरी है चूंकि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद राज्य के लोगों एवं राज्य के बाहर रह रहे दैनिक श्रमजीवी मजदूरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ेगा इन दुर्गमी परिणाम के मद्देनजर कार्ययोजना को समय रहते मुर्तरूप देना अति आवश्यक है.

चाईबासा: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अपना सुझाव दिया है. मधु कोड़ा ने पत्र में कहा है कि पिछले दो माह से पूरा हिंदुस्तान कोरोना वायरस महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित है, जिससे झारखंड राज्य भी अछूता नहीं है. राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

madhu, मधु
मधु कोड़ा का पत्र

इस गंभीरता को देखते हुए झारखंड सरकार द्वारा कई निर्देश निर्गत किए गये है और बचाव और राहत कार्य किए जा रहे है. सरकार के राहत कार्य से किसानों के बीच उत्थान की आशा जगी है. इस समय झारखंड समेत पूरे हिंदुस्तान में दूसरे चरण की लॉकडाउन अवधि से लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. पहला वैसे लोग हैं जो कोरोना पॉजिटिव है दूसरा वे जो नेगेटिव है दोनों वर्ग बुरी तरह प्रभावित है. खासकर किसान वर्ग जो रवि और जेट फसल की खेती करते हैं, उनका फसल बर्बाद हो गया है. लॉकडाउन की वजह से शहर के मंडी, बाजार हॉट, दैनिक और सप्ताहिक हॉट बंद हो गया है. खुदरा और थोक व्यापारी और कृषि उत्पादन केंद्र पर नहीं पहुंच पा रहे है. जिससे किसानों द्वारा उपजायी गई साग-सब्जी, अनाज बर्बाद हो रहा है और इस बीच जो कुछ भी खेतों में फसल बची थी वह भी पिछले दिनों ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बाद हो गया आज किसान वर्ग को लॉकडाउन की वजह से आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित हैं और किसानों के फसल बरबाद होने से दोहरी मार झेल रहे है.

madhu, मधु
मधु कोड़ा का पत्र

ये भी पढ़ें- BJP ने राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- तुष्टिकरण की नीति अपना रही है हेमंत सरकार


उन्होंने कहा कि आज किसान वर्ग नुकसान होने से आर्थिक एवं मानसिक रुप से बहुत चिंतित है, किसानों के इस दशा से राहत दिलाना राज्यहित में आवश्यक है और इनके मनोबल को ऊंचा बनाए रखना राज्य सरकार का नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी भी बनता है. चूंकि राज्य सरकार ही संवैधानिक रुप से सबल और समर्थ है और वैधानिक अधिकार भी राज्य सरकार पर ही निहित है.

ऐसी परिस्थिति में दोहरी मार झेल रहे किसानों को मनोबल बढ़ाने तथा खेती कार्यों में उत्साह को बनाए रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को दिया गया सुझाव है.
1. सरकार द्वारा धान क्रय कर प्राप्त की गई राशि से किसानों का बकाया राशि शीघ्र भुगतान किया जाए. सरकार के द्वारा धान क्रय करने के समय ही किसान को राशि का भुगतान करने की व्यवस्था की जाए.
2. किसानों का वर्ष 2020- 21 कृषि लोन पर ब्याज माफ किया जाए.
3. किसानों को ओलावृष्टि से हुए फसल की बर्बादी का मुआवजा दिया जाए.
4. किसानों द्वारा वर्ष 2019- 20 में सरकार को बेचे गए धान की राशि के भुगतान में पांच प्रतिशत की कटौती की राशि को किसानों को भुगतान किया जाए.
5. किसानों को कृषि से संबंधित बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण आदि अनुदानित दर पर दिया जाए.
6. किसानों को पट्वन हेतु पम्प मशीन में उपयोगी डीजल, केरोसिन एवं बिजली अनुदानित दर पर दिया जाए.

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि उपरोक्त सुझाव पर विचार कर अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन कार्ययोजना को रेखांकित करना जरूरी है चूंकि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद राज्य के लोगों एवं राज्य के बाहर रह रहे दैनिक श्रमजीवी मजदूरों को कई समस्याओं से जूझना पड़ेगा इन दुर्गमी परिणाम के मद्देनजर कार्ययोजना को समय रहते मुर्तरूप देना अति आवश्यक है.

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