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सारंडा में पहली बार लगेगा इको टूरिज्म मेला, पर्यटक सारंडा की हसीनवादियों का उठा सकेंगे लुत्फ

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Published : Dec 22, 2019, 10:20 AM IST

सारंडा का इलाका कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. वहीं आज सारंडा से नक्सल समस्या कोसों दूर हो चुकी है. पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने और पर्यटकों को जागरूक करने के लिए पहली बार सारंडा में इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जा रहा है.

Eco tourism fair organized
सारंडा जंगल

चाईबासा: सारंडा का बीहड़ घना जंगल, जहां प्रकृति के अद्भुत नजारे हैं, लगभग सात सौ छोटे-बड़े पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच फैला सारंडा का इलाका नक्सलवाद के लिए जाना जाता था. सारंडा में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक आते थे, नक्सली घटनाओं के बाद से पर्यटकों की संख्या में कमी हुई, लेकिन अब सारंडा से नक्सलवाद कोसों दूर हो चुकी है. पश्चिम बंगाल से पर्यटक अब आने लगे हैं. पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने और पर्यटकों को जागरूक करने के लिए पहली बार वन विभाग सारंडा में इको टूरिज्म मेले का आयोजन कर रहा है.

देखें पूरी खबर

पर्यटकों की हमेशा से मांग रही है कि किरीबुरू में पर्यटकों के लिए रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है, सरकार अगर पर्यटकों के लिए रुकने के लिए उचित व्यवस्था करें तो और भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे. किरीबुरू और सारंडा के थलकोबाद में संसाधनों की कमी के कारण पर्यटकों को उचित सुविधा नहीं मिल पाती है.

सारंडा में लगेगा इको टूरिज्म मेला
थलकोबाद के संयुक्त वन प्रबंधन समिति के ग्रामीणों की मांग रही है कि सारंडा के बीहड़ जंगल मे इको टूरिज्म मेला का आयोजन किया जाए. फिलहाल अभी इस मेले की तिथि निर्धारित नहीं की गई है.

पहली बार सारंडा में लगेगा मेला
बता दें कि सारंडा में वन विभाग की पहल से पहली बार इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जाएगा. इस मेले में पर्यटकों के लिए ग्रामीणों की ओर से टेंट लगाए जाएंगे. जिससे पर्यटक सारंडा की प्रकृतिक और हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे.

सारंडा में मेले का उद्देश्य
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य है कि झारखंड और विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटक प्रकृति के साथ जिंदगी जीने का सलीका सीख सकेंगे. इस मेले के माध्यम से पर्यटक पूरी तरह से तब ही जुड़ सकेंगे जब वे खुद प्रकृति के बीच जाएंगे उसे करीब से देखेंगे.

सारंडा में नक्सल समस्या अब नहीं है, बहुत सारी ऐसी प्रकृति से जुड़ी चीजें भी हैं जिन्हें हमें संजो कर रखना है. सारंडा जैसा घना जंगल कही और नहीं देखने को मिल सकता है. इसलिए लोगों को सारंडा में आयोजित इस मेले में प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देने की थीम के साथ इस मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस मेले में सारंडा के बीहड़ में बसे करमपदा, नवागांव, भनगांव, थलकोबाद, कुडलीबाद, तिरिलपोसी, बलीबा आदि गांव के ग्रामीण दुर्लभ जड़ी-बूटी, मेडिसिनल प्लांट, पेड़ पौधों का भी स्टॉल लगाएंगे.

ये भी पढ़ें- रांची में मतगणना को लेकर मॉक ड्राई रन, 20 से 22 राउंड में 7 विधानसभा क्षेत्र की पूरी होगी काउंटिंग

मेले में नो प्लास्टिक यूज थीम पर लगेगा स्टॉल
इसके साथ सारंडा के ग्रामीण इस मेले में नो प्लास्टिक यूज की थीम के तहत साल वृक्ष के पत्तों से बने प्लेट, दोनों, वन उत्पादों को भी संग्रह कर स्टॉल में लगयेंगे. जिससे लोगों को प्लास्टिक या थर्मोकोल के प्लेट छोड़ कर पत्तों से बने प्लेट का इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया जा सके.

वहीं, इस इको टूरिज्म मेले के माध्यम से वन विभाग पर्यटन स्थलों के साथ साथ वनों में रहने वाले ग्रामीणों के मेडिसिनल प्लांट, पत्तों की प्लेटें और उपजाए गए वन उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देकर रोजगार से जोड़ना भी है. वन विभाग की इस पहल से बीहड़ जंगल में रहने वालों को रोजगार मिलेगा बल्कि सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी.

चाईबासा: सारंडा का बीहड़ घना जंगल, जहां प्रकृति के अद्भुत नजारे हैं, लगभग सात सौ छोटे-बड़े पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच फैला सारंडा का इलाका नक्सलवाद के लिए जाना जाता था. सारंडा में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक आते थे, नक्सली घटनाओं के बाद से पर्यटकों की संख्या में कमी हुई, लेकिन अब सारंडा से नक्सलवाद कोसों दूर हो चुकी है. पश्चिम बंगाल से पर्यटक अब आने लगे हैं. पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने और पर्यटकों को जागरूक करने के लिए पहली बार वन विभाग सारंडा में इको टूरिज्म मेले का आयोजन कर रहा है.

देखें पूरी खबर

पर्यटकों की हमेशा से मांग रही है कि किरीबुरू में पर्यटकों के लिए रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है, सरकार अगर पर्यटकों के लिए रुकने के लिए उचित व्यवस्था करें तो और भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे. किरीबुरू और सारंडा के थलकोबाद में संसाधनों की कमी के कारण पर्यटकों को उचित सुविधा नहीं मिल पाती है.

सारंडा में लगेगा इको टूरिज्म मेला
थलकोबाद के संयुक्त वन प्रबंधन समिति के ग्रामीणों की मांग रही है कि सारंडा के बीहड़ जंगल मे इको टूरिज्म मेला का आयोजन किया जाए. फिलहाल अभी इस मेले की तिथि निर्धारित नहीं की गई है.

पहली बार सारंडा में लगेगा मेला
बता दें कि सारंडा में वन विभाग की पहल से पहली बार इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जाएगा. इस मेले में पर्यटकों के लिए ग्रामीणों की ओर से टेंट लगाए जाएंगे. जिससे पर्यटक सारंडा की प्रकृतिक और हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे.

सारंडा में मेले का उद्देश्य
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य है कि झारखंड और विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटक प्रकृति के साथ जिंदगी जीने का सलीका सीख सकेंगे. इस मेले के माध्यम से पर्यटक पूरी तरह से तब ही जुड़ सकेंगे जब वे खुद प्रकृति के बीच जाएंगे उसे करीब से देखेंगे.

सारंडा में नक्सल समस्या अब नहीं है, बहुत सारी ऐसी प्रकृति से जुड़ी चीजें भी हैं जिन्हें हमें संजो कर रखना है. सारंडा जैसा घना जंगल कही और नहीं देखने को मिल सकता है. इसलिए लोगों को सारंडा में आयोजित इस मेले में प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देने की थीम के साथ इस मेले का आयोजन किया जा रहा है. इस मेले में सारंडा के बीहड़ में बसे करमपदा, नवागांव, भनगांव, थलकोबाद, कुडलीबाद, तिरिलपोसी, बलीबा आदि गांव के ग्रामीण दुर्लभ जड़ी-बूटी, मेडिसिनल प्लांट, पेड़ पौधों का भी स्टॉल लगाएंगे.

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मेले में नो प्लास्टिक यूज थीम पर लगेगा स्टॉल
इसके साथ सारंडा के ग्रामीण इस मेले में नो प्लास्टिक यूज की थीम के तहत साल वृक्ष के पत्तों से बने प्लेट, दोनों, वन उत्पादों को भी संग्रह कर स्टॉल में लगयेंगे. जिससे लोगों को प्लास्टिक या थर्मोकोल के प्लेट छोड़ कर पत्तों से बने प्लेट का इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया जा सके.

वहीं, इस इको टूरिज्म मेले के माध्यम से वन विभाग पर्यटन स्थलों के साथ साथ वनों में रहने वाले ग्रामीणों के मेडिसिनल प्लांट, पत्तों की प्लेटें और उपजाए गए वन उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देकर रोजगार से जोड़ना भी है. वन विभाग की इस पहल से बीहड़ जंगल में रहने वालों को रोजगार मिलेगा बल्कि सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी.

Intro:समरी- सारंडा का बीहड़ घना जंगल, जहां प्रकृति के अद्भुत नजारे हैं, लगभग सात सौ छोटे-बड़े पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच फैला सारंडा का इलाका कभी नक्सलवाद के लिए जाना जाता है. वंहा आज सारंडा से नक्सलवाद कोसों दूर हो चुका है. पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने और पर्यटकों को जागरूक करने के लिए पहली बार सारंडा में इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जा रहा है।

चाईबासा। सारंडा में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक आते थे, नक्सली घटनाओं के बाद से पर्यटकों में कमी हुई है। परंतु अब सारंडा से नक्सलवाद कोसों दूर हो चुकी है। पश्चिम बंगाल से पर्यटक अब आने लगे हैं। पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने और पर्यटकों को जागरूक करने के लिए पहली बार वन विभाग के द्वारा सारंडा में इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जा रहा है।

Body:पर्यटकों की हमेशा से मांग रही है कि किरीबुरू में पर्यटकों के लिए रुकने की कोई व्यवस्था नही है, सरकार अगर पर्यटकों के लिए रुकने के लिए उचित व्यवस्था करें तो और भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेगें। किरीबुरू व सारंडा के थलकोबाद में संसाधनों की कमी के कारण पर्यटकों को उचित सुविधा नहीं मिल पाती है।

सारंडा में लगेगा इको टूरिज्म मेला -
थलकोबाद के संयुक्त वन प्रबंधन समिति के ग्रामीणों की मांग रही है कि सारंडा के बीहड़ जंगल मे इको टूरिज्म मेला का आयोजन किया जाए। फिलहाल अभी इस मेले की तिथि निर्धारित नही की गई है।

पहली बार सारंडा में लगेगा मेला-
बता दें कि सारंडा में वन विभाग की पहल से पहली इको टूरिज्म मेले का आयोजन किया जाएगा। इस मेले में पर्यटकों के लिए ग्रामीणों की ओर से टेंट लगाए जाएंगे। जिससे पर्यटक सारंडा की प्रकृतिक व हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकेंगे।

सारंडा में मेले का उद्देश्य-
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य है कि झारखंड व विभिन्न राज्यों से आने वाले पर्यटकों प्रकृति के साथ जिंदगी जीने का सलीका सीख सकेंगे। इस मेले के माध्यम से पर्यटक पूरी तरह से तब ही जुड़ सकेंगे जब वे खुद प्रकृति के बीच जाएंगे उसे करीब से देखेंगे।

सारंडा में नक्सलवाद अब नही है बहुत सारि ऐसी प्रकृति से जुड़ी चीजें भी है जिन्हें हमें संजो कर रखना है। सारंडा जैसा घना जंगल कंही और नही देखने को मिल सकता है। इसलिए लोगों को सारंडा में आयोजित इस मेले में प्रकृति संरक्षण, बढ़ावा देना आदि थीम के साथ इस मेले का आयोजन किया जा रहा है।

इस मेले में सारंडा के बीहड़ में बसे करमपदा, नवागांव, भनगांव, थलकोबाद, कुडलीबाद, तिरिलपोसी, बलिबा आदि गांव के ग्रामीण दुर्लभ जड़ी बूटी, मेडिसनल प्लांट, पेड़ पौधों का भी स्टॉल लगाएंगे।

मेले में नो प्लास्टिक यूज थीम पर लगेगा स्टॉल-
इसके साथ सारंडा के ग्रामीण इस मेले में नो प्लास्टिक यूज की थीम के तहत साल वृक्ष के पत्तों से बने प्लेट, दोने, वन उत्पादो को भी संग्रह कर स्टॉल में लगयेंगे। जिससे लोगों को प्लास्टिक या थर्माकोल के प्लेट छोड़ कर पत्तों से बने प्लेट का इस्तेमाल के प्रति जागरूक किया जा सके।Conclusion:इस इको टूरिज्म मेले के माध्यम से वन विभाग पर्यटन स्थलों के साथ साथ वनों में रहने वाले ग्रामीणों के मेडिसनल प्लांट, पत्तों की प्लेटें और उपजाए गए वन उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देकर रोजगार से जोड़ना भी है। वह विभाग की इस पहल से बीहड़ जंगल मे रहने वालों को रोजगार मिलेगा बल्कि सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
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