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पहाड़ों के नीचे बसे इस गांव में पहली बार पहुंची जिला प्रशासन की टीम, हालात देख हैरत में अधिकारी - पूर्वी सिंहभूम का रांगरिंग गांव

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा के जंगल में बसे रांगरिंग गांव में सरकार के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने निरीक्षण किया. गांव की स्थिति देख अधिकारियों ने वहां सरकारी योजनाओं को जल्द मुहैया कराने का आश्वासन दिया.

district administration team reached this village for the first time in west singhbhum
पूर्वी सिंहभूम का रांगरिंग गांव
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Published : Aug 25, 2020, 1:15 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 1:51 PM IST

चाईबासा: घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सारंडा के ग्रामीणों की स्थिति को लेकर चिंतित मुख्यमंत्री के आदेश पर पहली बार सारंडा के बीहड़ स्थित रांगरिंग गांव के नुइयागढ़ा टोला में वर्षों से रह रहे ग्रामीणों की सुध लेने पूरा जिला महकमा पहुंचा. इस दौरान गांव तक पहुंचने के रास्ते को देखकर अधिकारियों की आंखें खुली की खुली रह गई. अधिकारियों ने स्थिति को देखते हुए माना कि वाकई में गांव में बड़ी परेशानियां हैं.

देखिए पूरी खबर

वास्तविक स्थिति से वाकिफ
सभी अधिकारी सारंडा स्थित रंगरिंग गांव के नुइयागढ़ा टोला में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गांव के ग्रामीणों से मुलाकात की. उनसे उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया. सारंडा के बीहड़ में वर्षों से रह रहे ग्रामीणों तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और उनकी वास्तविक स्थिति से वाकिफ हुए. उन्होंने माना कि कहीं न कहीं चूक हुई है, जिसके कारण अब तक सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं नहीं पहुंच सकी हैं, लेकिन अब और देर न करते हुए सारंडा के ऐसे गांव को चिन्हित कर जल्द ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया जाएगा.

गांव पहुंचने के लिए उतरना पड़ता है पहाड़ से नीचे
बता दें कि इस गांव में सड़क नहीं है. गांव तक पहुंचने के लिए पहाड़ से पगडंडियों के रास्ते नीचे उतरना पड़ता है. लगभग 80 फीट नीचे तराई पर यह गांव बसा है, जहां ग्रामीणों की सुध लेने अधिकारी और जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचते हैं. इससे पहले किसी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली.

घर में ही होता है प्रसव
ग्रामीणों ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि मुख्यतः यातायात का घोर आभाव रहने के कारण हम सभी विकास से कोसों दूर हैं. परिणाम स्वरूप अगर किसी की तबियत अगर खराब हो गई तो स्वास्थ्य केन्द्रों तक भी नहीं पहुंच पाते हैं. सबसे ज्यादा विकट स्थिति तब उत्पन्न हो जाती है जब किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है. ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचने का कोई साधन नहीं होता है. गांव की ही कुछ ग्रामीण महिलाओं के द्वारा देसी तरीकों से अपने घरों में ही प्रसव करवाया जाता है.

नाला के किनारे चुंआ बनाकर बुझाते हैं प्यास
अधिकारियों ने ग्रामीणों से पेयजल की स्थिति जानने का प्रयास किया तो ग्रामीणों ने खुलकर बताया कि गांव के लोग नाले के किनारे गड्ढा खोदकर चुंआ बनाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो खुलकर बताएं, ताकि आप लोगों की समस्याओं को दूर किया जा सके. इधर, कोल्हान प्रमंडल के कमिश्नर मनीष रंजन ने बताया कि सारंडा में कई ऐसे परिवार हैं, जंहा सरकार की कल्याणकारी योजना नहीं पहुंची है. यहां तक कि इन ग्रामीणों के बीच पहुंच पथ तक नहीं है. डॉक्टर-एएनएम की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. इस गांव के बच्चों को शिक्षा से कैसे जोड़ा जाए. इस दिशा में एक ओर सेल प्रबंधन के साथ वार्ता हुई है. वहीं, दूसरी ओर ग्रामीणों की स्थिति को देखते हुए इन गांवों में विकास योजना पहुंचाने के लिए अधिकारियों के साथ भी वार्ता होगी.

ये भी पढे़ं: पुस्तक व्यवसाय पर कोरोना का कहर, नहीं बिक रही किताबें, E-Books की बढ़ी डिमांड

ग्राउंड रियलिटी देखा गया: डीआईजी
डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने बताया कि सारंडा के ग्रामीणों की ग्राउंड रियलिटी जानने को लेकर क्षेत्र का भ्रमण किया गया है. कोविड 19 के इस दौर में गांव की स्थिति का जायजा लिया गया है. वस्तु स्थिति को निकट से जानने का भरसक एक प्रयास किया जा रहा है. इस दौरे का काफी फायदा होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर ग्रामीणों के विकास की दिशा में कई कार्य करने हैं.

आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना की जाएगी: डीसी
पश्चिम सिंहभूम उपायुक्त अरवा राज कमल ने बताया कि नुईयागड़ा गांव किरीबुरू से लगभग 12 किलोमीटर दूर है, जंहा के ग्रामीणों को वनग्राम पट्टा पूर्व में दी गई है. गांव अब तक कई विकास कार्यों से काफी दूर हैं. उन्होंने बताया कि साल 2005 से पहले सारंडा में बसे लोगों को वन पट्टा दिया जाएगा. एक हजार की आबादी पर एक आंगनवाड़ी केंद्र होती है, लेकिन किसी कारण आंगनवाड़ी केंद्र नहीं बन सका है. कई गांव को मिलाकर एक कलस्टर बनाकर सामुदायिक भवन बनाकर आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना की जाएगी.

आर्थीक स्थिति में सुधार की दिशा मे भी पहल की जाएगी: डीएफओ
सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इन ग्रामीणों के लिए पहले पहुंच पथ का निर्माण की दिशा में काम किया जाएगा. इन ग्रामीणों के लिए आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा मे भी पहल की जा रही है. औषधीय पौधों को लगाना पर्यटन को बढावा देने की दिशा में भी योजना बनाई गई है. वर्तमान समय में जैक फुड लगाने का कार्य आरंभ किया जाएगा.

चाईबासा: घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सारंडा के ग्रामीणों की स्थिति को लेकर चिंतित मुख्यमंत्री के आदेश पर पहली बार सारंडा के बीहड़ स्थित रांगरिंग गांव के नुइयागढ़ा टोला में वर्षों से रह रहे ग्रामीणों की सुध लेने पूरा जिला महकमा पहुंचा. इस दौरान गांव तक पहुंचने के रास्ते को देखकर अधिकारियों की आंखें खुली की खुली रह गई. अधिकारियों ने स्थिति को देखते हुए माना कि वाकई में गांव में बड़ी परेशानियां हैं.

देखिए पूरी खबर

वास्तविक स्थिति से वाकिफ
सभी अधिकारी सारंडा स्थित रंगरिंग गांव के नुइयागढ़ा टोला में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गांव के ग्रामीणों से मुलाकात की. उनसे उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया. सारंडा के बीहड़ में वर्षों से रह रहे ग्रामीणों तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ और उनकी वास्तविक स्थिति से वाकिफ हुए. उन्होंने माना कि कहीं न कहीं चूक हुई है, जिसके कारण अब तक सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं नहीं पहुंच सकी हैं, लेकिन अब और देर न करते हुए सारंडा के ऐसे गांव को चिन्हित कर जल्द ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया जाएगा.

गांव पहुंचने के लिए उतरना पड़ता है पहाड़ से नीचे
बता दें कि इस गांव में सड़क नहीं है. गांव तक पहुंचने के लिए पहाड़ से पगडंडियों के रास्ते नीचे उतरना पड़ता है. लगभग 80 फीट नीचे तराई पर यह गांव बसा है, जहां ग्रामीणों की सुध लेने अधिकारी और जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचते हैं. इससे पहले किसी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली.

घर में ही होता है प्रसव
ग्रामीणों ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि मुख्यतः यातायात का घोर आभाव रहने के कारण हम सभी विकास से कोसों दूर हैं. परिणाम स्वरूप अगर किसी की तबियत अगर खराब हो गई तो स्वास्थ्य केन्द्रों तक भी नहीं पहुंच पाते हैं. सबसे ज्यादा विकट स्थिति तब उत्पन्न हो जाती है जब किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है. ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को अस्पताल तक पहुंचने का कोई साधन नहीं होता है. गांव की ही कुछ ग्रामीण महिलाओं के द्वारा देसी तरीकों से अपने घरों में ही प्रसव करवाया जाता है.

नाला के किनारे चुंआ बनाकर बुझाते हैं प्यास
अधिकारियों ने ग्रामीणों से पेयजल की स्थिति जानने का प्रयास किया तो ग्रामीणों ने खुलकर बताया कि गांव के लोग नाले के किनारे गड्ढा खोदकर चुंआ बनाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो खुलकर बताएं, ताकि आप लोगों की समस्याओं को दूर किया जा सके. इधर, कोल्हान प्रमंडल के कमिश्नर मनीष रंजन ने बताया कि सारंडा में कई ऐसे परिवार हैं, जंहा सरकार की कल्याणकारी योजना नहीं पहुंची है. यहां तक कि इन ग्रामीणों के बीच पहुंच पथ तक नहीं है. डॉक्टर-एएनएम की सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. इस गांव के बच्चों को शिक्षा से कैसे जोड़ा जाए. इस दिशा में एक ओर सेल प्रबंधन के साथ वार्ता हुई है. वहीं, दूसरी ओर ग्रामीणों की स्थिति को देखते हुए इन गांवों में विकास योजना पहुंचाने के लिए अधिकारियों के साथ भी वार्ता होगी.

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ग्राउंड रियलिटी देखा गया: डीआईजी
डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने बताया कि सारंडा के ग्रामीणों की ग्राउंड रियलिटी जानने को लेकर क्षेत्र का भ्रमण किया गया है. कोविड 19 के इस दौर में गांव की स्थिति का जायजा लिया गया है. वस्तु स्थिति को निकट से जानने का भरसक एक प्रयास किया जा रहा है. इस दौरे का काफी फायदा होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर ग्रामीणों के विकास की दिशा में कई कार्य करने हैं.

आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना की जाएगी: डीसी
पश्चिम सिंहभूम उपायुक्त अरवा राज कमल ने बताया कि नुईयागड़ा गांव किरीबुरू से लगभग 12 किलोमीटर दूर है, जंहा के ग्रामीणों को वनग्राम पट्टा पूर्व में दी गई है. गांव अब तक कई विकास कार्यों से काफी दूर हैं. उन्होंने बताया कि साल 2005 से पहले सारंडा में बसे लोगों को वन पट्टा दिया जाएगा. एक हजार की आबादी पर एक आंगनवाड़ी केंद्र होती है, लेकिन किसी कारण आंगनवाड़ी केंद्र नहीं बन सका है. कई गांव को मिलाकर एक कलस्टर बनाकर सामुदायिक भवन बनाकर आंगनवाड़ी केंद्र की स्थापना की जाएगी.

आर्थीक स्थिति में सुधार की दिशा मे भी पहल की जाएगी: डीएफओ
सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि इन ग्रामीणों के लिए पहले पहुंच पथ का निर्माण की दिशा में काम किया जाएगा. इन ग्रामीणों के लिए आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा मे भी पहल की जा रही है. औषधीय पौधों को लगाना पर्यटन को बढावा देने की दिशा में भी योजना बनाई गई है. वर्तमान समय में जैक फुड लगाने का कार्य आरंभ किया जाएगा.

Last Updated : Aug 25, 2020, 1:51 PM IST
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