चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय स्थित सभागार में उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में वनाधिकार पट्टा देने को लेकर बैठक हुई. जिसमें वनाधिकार पट्टा के संबंध में अंचल वार प्राप्त प्रतिवेदन की समीक्षा करते हुए इस संबंध में विस्तृत चर्चा की गई. इस दौरान जिले के सभी वन प्रमंडल पदाधिकारी, परियोजना निदेशक आईटीडीए, अपर उपायुक्त और सभी अंचलाधिकारी उपस्थित रहे.
विशेष कैंपेन चलाने का निर्णय
उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि झारखंड सरकार की मंशा है कि जिला के अंतर्गत वैसे सभी वंचित लाभुक जो 2005 से पूर्व वन भूमि पर आश्रित हैं और वन भूमि का प्रयोग कर रहे हैं, वैसे सभी योग्य व्यक्तियों को ग्रामसभा के माध्यम से वनाधिकार पट्टा से अच्छादित किया जाए. उन्होंने बताया कि सरकार के इस महत्वाकांक्षी मंशा को पूर्ण करने के लिए जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है. इसके तहत अभी तक जिले में कुल 1,000 व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा और 50 सामुदायिक वनाधिकार पट्टा का आवेदन प्राप्त हुआ है. बैठक में सभी वंचित लाभुकों को अच्छादित करने के उद्देश्य से पुनः एक विशेष कैंपेन चलाने का निर्णय भी लिया गया है.
आवेदन हैं लंबित
उपायुक्त ने बताया कि अभी भी कई सारे आवेदन ग्राम सभा के स्तर पर भौतिक सत्यापन या अन्य कारणों से लंबित हैं. ऐसे सभी आवेदनों को प्राप्त करने का निर्देश बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी को दिया गया है. उन्होंने बताया कि आगामी 11 दिसंबर को जिलास्तरीय समिति की बैठक आयोजित करने की रूपरेखा तैयार की गयी है. जिसमें प्राप्त सभी आवेदनों पर उचित विचार करते हुए निर्णय लिया जाएगा और अनुमंडल स्तर पर भी इसी तरह से एक बैठक आयोजित करते हुए प्राप्त दावों का सत्यापन करते हुए वनाधिकार पट्टा से सभी योग्य ग्रामीणों को आच्छादित करने की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी. उन्होंने बताया कि पूर्व में भी राज्य भर में सबसे ज्यादा वनाधिकार पट्टा इसी जिले में दिये थे और अभी भी बहुत सारे ग्रामीण इस लाभ से वंचित हैं. उन्होंने बताया कि बैठक में सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर रहे समिति के सदस्यों को भी इस संबंध में समस्याओं से अवगत कराया है, जिस पर भी विचार करते हुए इसका निराकरण किया जाएगा.
वनाधिकार पट्टा का आवेदन करें जमा
उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन जिले में कार्यरत सामाजिक संस्था के साथ सामंजस्य बनाते हुए इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए प्रयासरत है. इसके साथ ही वन क्षेत्र में रह रहे सभी ग्रामीण भाईयों और बहनों से अपील है कि यदि साल 2005 से पहले किसी वन भूमि पर निवास कर रहे हैं या वन भूमि पर खेती कर रहे हैं तो कृप्या ग्रामसभा के माध्यम से अपने वनाधिकार पट्टा का आवेदन जल्द से जल्द जमा करें. उन्होंने बताया कि वनाधिकार पट्टा पाने वाले लाभुक यदि आदिवासी समाज से हैं तो उनकी एक पीढ़ी और अन्य समाज के लोगों की तीन पीढ़ी यानी 75 साल से वन भूमि पर आश्रित हैं तो ऐसे व्यक्ति को ही इसके तहत लाभान्वित किया जाएगा.
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बैठक में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार, चाईबासा वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यम कुमार, पोड़ाहाट वन प्रमंडल पदाधिकारी नीतीश कुमार, कोल्हान वन प्रमंडल पदाधिकारी, आईटीडीए निदेशक सुनील कुमार, जिला भू अर्जन पदाधिकारी -सह- अपर उपायुक्त एजाज अनवर और जिले के सभी अंचलाधिकारी उपस्थित रहे.