चाईबासा: अगर आप पीएम रोजगार सृजन योजना का लाभ लेने के बारे में सोच रहे हो तो उसके मापदंडों की पूरी जानकारी लेकर ही आवेदन जिला उद्योग केंद्र में दें, क्योंकि भारत सरकार ने अब प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के मापदंडों में कई बदलाव किए हैं. इसके साथ ही भारत सरकार के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के बनाए गए मापदंडों पर खरा उतरने के बाद ही ऋण उपलब्ध कराया जा सकेगा.
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20 बिंदुओं में मापदंड तैयार
पश्चिमी सिंहभूम जिला उद्योग केंद्र से वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत जिले के अंतर्गत 79 लोगों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन इस योजना का लाभ लेने वाले आवेदकों को ऋण लेने के लिए सरकार के मापदंडों पर खरा उतरना पड़ेगा. सरकार के इस मापदंडों पर खरा उतरने के लिए सरकार ने इसके लिए 20 बिंदुओं में मापदंड तैयार किया है, जिसमें क्रमवार मापदंडों के लिए कुल 100 अंक निर्धारित किए गए हैं.
पश्चिमी सिंहभूम जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक शंभू शरण बैठा ने बताया कि सरकार ने ऋण प्राप्त करने के लिए स्कोरिंग सिस्टम लागू किया गया है. इस स्कोरिंग सिस्टम में आवेदकों की शैक्षणिक योग्यता, बैंकों से जिनका लेन देन या कारोबार पूर्व से चल रहा है उसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी. वहीं, आवेदक अगर किसी स्किल की ट्रेनिंग लिया हुआ है तो उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी.
10 लाख ऋण के लिए 50 अंक लाना अनिवार्य
इस बार भारत सरकार के 10 लाख तक के ऋण के लिए सब अंक के मापदंड में आवेदक को 50 अंक लाना अनिवार्य है. अगर किसी कारणवश 50 से कम अंक आवेदक को प्राप्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में आवेदकों के आवेदन महाप्रबंधक के स्तर पर ही रिजेक्ट कर दिए जाएंगे. इसके साथ ही आवेदकों को अपने नंबर में सुधार करने की सलाह देते हुए दोबारा आवेदन देने को कहा जाएगा. वहीं, इसी प्रकार 10 लाख रुपए से अत्यधिक ऋण प्राप्त करने वाले आवेदकों को सौ अंक में 60 प्रतिशत अंक आना अनिवार्य है. उनके लिए भी वही क्राइटेरिया बनाया गया है. 60 प्रतिशत अंक लाने वाले आवेदकों को ऋण देने के लिए संबंधित बैंक के पास भेज दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि पहले तो विभाग का प्रयास है कि सरकार की इस योजना की शुरुआत हो जाए. उसके बाद अगर जिले को दिए गए लक्ष्य कि अगर प्राप्ति नहीं होती है तो सरकार के समक्ष मापदंडों से संबंधित या मापदंडों में छूट देने को लेकर बात रखी जाएगी. क्योंकि पश्चिम सिंहभूम जिला अनुसूचित जनजाति क्षेत्र है और यहां के अधिकतर लोग सरकार के बनाए गए मापदंडों को पूरा करने में अक्षम है.