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बोकारो में अमित ने साइकिल पर खोल लिया गैराज, पीएम मोदी से प्रेरणा लेकर बदली अपनी किस्मत - झारखंड न्यूज

हजारीबाग के रहने वाले अमित मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेकर एक नई तरह की दुकान खोली है. उन्होंने साइकिल पर गैराज खोल लिया है और लोगों को घर पहुंच सेवा दे रहे हैं जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

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Published : Jun 19, 2019, 1:55 PM IST

बोकारो: जहां चाह, वहां राह. इस कहावत का सच कर दिखाया है अमित मिश्रा ने. हजारीबाग के रहने वाले अमित बोकारो में गाड़ियों की साफ-सफाई और मरम्मत का काम करते हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से बेहद कम लागत में आमदनी बढ़ाने का तरीका अपनाया है. वीडियो में आप पूरी खबर देख सकते हैं.

अमित मिश्रा लंबे समय तक गैरेज में काम करते थे. अब उनका अपना रोजगार है. वे अपने काम के खुद मालिक हैं. उन्होंने बदलते समय में नई सोच की नई दुकान खोली है. अमित ने एक साइकिल पर अपना गैराज बनाया है और घूम घूम कर गाड़ियों की सफाई करते हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

रोजाना ₹ 700 की कमाई
अमित लोगों को घर पहुंच सेवा देते हैं और रोजाना 500 से 700 रुपए तक की कमाई करते हैं. उन्होंने अपनी साइकिल पर एक रेट चार्ट लगा रखी है, साथ ही उनका मोबाइल नंबर भी है. कॉल आते ही वे ग्राहक के घर सर्विस देने पहुंच जाते हैं. अमित ने बताया कि पहले बमुश्किल 100-200 रुपए की कमाई होती थी और परिवार चलाना मुश्किल था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ली प्रेरणा
अमित मिश्रा के अनुसार एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप वाली बात सुनी और उसी दिन अपना काम करने का मन बनाया. पूंजी नहीं थी तो अपनी साइकिल को ही रोजगार का साधन बना लिया. साइकिल पर दो पुरानी डीक्की को सेट किया. एक बोर्ड लगाया, साफ सफाई का साजो सामान रखा और काम शुरू कर दिया. काम में अंधेरा बाधक न बने इसलिए इसमें सोलर लाइट भी लगाया गया है.

अमित अब अपने नए रोजगार के साथ खुश हैं. अमित का हौसला उन लोगों के लिए सबक है जो अपनी नाकामी के लिए सिस्टम को दोषी ठहराते हैं या अभाव का रोना रोते हैं.

बोकारो: जहां चाह, वहां राह. इस कहावत का सच कर दिखाया है अमित मिश्रा ने. हजारीबाग के रहने वाले अमित बोकारो में गाड़ियों की साफ-सफाई और मरम्मत का काम करते हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से बेहद कम लागत में आमदनी बढ़ाने का तरीका अपनाया है. वीडियो में आप पूरी खबर देख सकते हैं.

अमित मिश्रा लंबे समय तक गैरेज में काम करते थे. अब उनका अपना रोजगार है. वे अपने काम के खुद मालिक हैं. उन्होंने बदलते समय में नई सोच की नई दुकान खोली है. अमित ने एक साइकिल पर अपना गैराज बनाया है और घूम घूम कर गाड़ियों की सफाई करते हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

रोजाना ₹ 700 की कमाई
अमित लोगों को घर पहुंच सेवा देते हैं और रोजाना 500 से 700 रुपए तक की कमाई करते हैं. उन्होंने अपनी साइकिल पर एक रेट चार्ट लगा रखी है, साथ ही उनका मोबाइल नंबर भी है. कॉल आते ही वे ग्राहक के घर सर्विस देने पहुंच जाते हैं. अमित ने बताया कि पहले बमुश्किल 100-200 रुपए की कमाई होती थी और परिवार चलाना मुश्किल था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ली प्रेरणा
अमित मिश्रा के अनुसार एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप वाली बात सुनी और उसी दिन अपना काम करने का मन बनाया. पूंजी नहीं थी तो अपनी साइकिल को ही रोजगार का साधन बना लिया. साइकिल पर दो पुरानी डीक्की को सेट किया. एक बोर्ड लगाया, साफ सफाई का साजो सामान रखा और काम शुरू कर दिया. काम में अंधेरा बाधक न बने इसलिए इसमें सोलर लाइट भी लगाया गया है.

अमित अब अपने नए रोजगार के साथ खुश हैं. अमित का हौसला उन लोगों के लिए सबक है जो अपनी नाकामी के लिए सिस्टम को दोषी ठहराते हैं या अभाव का रोना रोते हैं.

Intro:इनसे मिलिए का नाम अमित मिश्रा है।अमित मिश्रा हजारीबाग के रहने वाले हैं। लंबे समय तक गैरेज में काम करते थे ।गाड़ियों की सफाई की। लेकिन अब इनका अपना रोजगार है।यह अपने काम के खुद मालिक हैं। इनकी अपनी दुकान है। बदलते समय में नई सोच की नई दुकान। स्टार्टअप वाली दुकान। अमित मिश्रा ने एक साइकिल पर अपना गैरेज बनाया है। और घूम घूम कर गाड़ी की सफाई करते हैं। मेडिकेटेड क्लीनर से गाड़ियों को चमकाते हैं। और बदले में हर रोज 500 से 700 तक की की कमाई करते हैं। उन्होंने बजापते इसके लिए अपनी साइकिल पर एक रेट चार्ट भी लगा रखा है। जिसमें अलग अलग गाड़ियों की सफाई की रेट लिस्ट है । रेट लिस्ट के साथ उनका मोबाइल नंबर भी है। जिस पर कॉल आते ही वे ग्राहक के घर सर्विस देने पहुंच जाते हैं। अमित मिश्रा कहते हैं गैरेज में गाड़ी सफाई का काम करते थे। बमुश्किल 100-200 की कमाई होती थी। परिवार चलाना मुश्किल था। एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीके स्टार्टअप वाली बात सुनी उसी दिन अपना काम करने के ठान लिया। लेकिन पूंजी की कमी थी फिर भी हौसला नहीं हारा। और अपनी साइकिल को ही अपने रोजगार का साधन बना लिया। साइकिल पर दो पुरानी डीक्की को सेट किया। एक बोर्ड लगाया साफ सफाई का साजो सामान रखा और काम शुरू कर दिया।इसी साइकिल से वह दूर दूर तक काम करने जाते हैं उनके काम में अंधेरा बाधक न बने इसलिए इसमें सोलर लाइट भी लगाया है। और साइकिल को पूरी तरह अपने काम के मुताबिक मॉडिफाई किया है। अमित मिश्रा अब अपने नए रोजगार के साथ खुश हैं। और वह सबक हैं उन लोगों के लिए जो अपनी नाकामयाबी के लिए सिस्टम को दोषी ठहराते हैं। अभाव का रोना रोते हैं। बोकारो से आलोक रंजन सिंह की रिपोर्ट।


Body:अमित मिश्रा, साइकिल पर गैरेज चलाने वाला


Conclusion:अमित मिश्रा, साइकिल पर गैरेज चलाने वाला
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