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किडनी बीमारी ने छुड़वाई नौकरी तो शुरू की खेती, अब 50 लोगों को दे रहे हैं रोजगार, जानिए राधेश्याम मुंडा की पूरी कहानी

बोकारो के राधेश्याम मुंडा अपनी खेती से लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं. कभी किडनी बीमारी से जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके राधेश्याम अब 50 लोगों के जीने का सहारा बने हैं.

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Published : Nov 27, 2021, 1:39 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 3:04 PM IST

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बोकारो के राधेश्याम मुंडा

बोकारो: कहते हैं बीमारी किसी भी इंसान के हिम्मत को तोड़ देता है. अगर रोग किडनी का हो तो फिर जिंदगी की उम्मीद भी खत्म होने लगती है. लेकिन बोकारो के राधेश्याम मुंडा वैसे लोगों में शामिल हैं जो न सिर्फ अपने आत्मविश्वास से इस रोग को पटखनी दी बल्कि अब अपनी मेहनत से जमीन से सोना उपजा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- किसान ने अपने प्रयास से गांव को बनाया 'मिनी सारंडा', लोगों के बीच 'ट्री मैन' के नाम से मशहूर

बीमारी से नहीं मानी हार

बोकारो के सेक्टर 09 डी में रहने वाले राधेश्याम मुंडा 2016 में किडनी रोग से ग्रसित हो गए थे. बीमारी और कमजोरी की वजह से उन्हें बीएसएल की नौकरी छोड़नी पड़ी. काफी दिनों तक दवा के सहारे जिंदगी काटने वाले राधेश्याम अपनी जिंदगी को लेकर उम्मीद छोड़ दी थी. तभी उन्हें बैठे-बैठे कुछ नया करने का आइडिया आया जिससे उनकी जिंदगी में बहार आ गया.

पीएम मोदी से प्रभावित हैं राधेश्याम

किडनी बीमारी से ग्रसित राधेश्याम मुंडा को पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना से काफी प्रेरणा मिली. पीएम की बातों से प्रभावित होकर राधेश्याम मुंडा ने साल 2019 में 2.5 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कद्दू की खेती शुरू की. शुरूआती संघर्ष के बाद 2020 में उन्हें इससे 5 लाख का मुनाफा हुआ. पहले ही साल इतने बड़े मुनाफे से उत्साहित राधेश्याम मुंडा ने 15 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती को बढ़ाया. धीरे-धीरे खेती ने इतनी रफ्तार पकड़ी की किसान ने इंजीनियर बेटा को नौकरी दी . अब इस काम में उनके दोनों बेटे हाथ बंटा रहे हैं.

50 लोगों को दी नौकरी

वर्तमान में 15 एकड़ में बैंगन, चना, गोभी व अन्य मौसमी सब्जी की खेती कर रहे किसान राधेश्याम मुंडा ने न सिर्फ अपने बेटों को रोजगार दिया बल्कि शहर के दूसरे 50 लोगों को भी नौकरी दी. राधेश्याम मुंडा की भविष्य में 200 लोगों को रोजगार देने के साथ पूरे शहर को सब्जी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है.

अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं राधेश्याम

राधेश्याम मुंडा के पुत्र संजीत कुमार की माने तो बीमार होने के बावजूद उनके पिता ने खेती शुरू की , लेकिन अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं. संजीत बताते हैं कि वे अब कहीं नौकरी नहीं करना चाहते हैं बल्कि छोटे से व्यापार में मालिक बनकर रहने की ही उनकी इच्छा है.

आदर्श हैं राधेश्याम

बीजेपी किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री अर्जुन सिंह ने राधेश्याम के प्रयास की सराहना की और कहा कि राधेश्याम बोकारो जिले के लिए नहीं बल्कि झारखंड के लिए एक आदर्श है. जिस प्रकार से बीमारी के बाद भी वह लोगों को रोजगार देते हुए बंजर भूमि में खेती कर रहे हैं उनके इस काम को पूरे राज्य में पार्टी एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करेगी इन्हें जो भी लाभ चाहिए उसे भी दिलाने का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री को आदर्श मानकर इन्होंने यह खेती शुरू की है यह काबिले तारीफ है.

बोकारो: कहते हैं बीमारी किसी भी इंसान के हिम्मत को तोड़ देता है. अगर रोग किडनी का हो तो फिर जिंदगी की उम्मीद भी खत्म होने लगती है. लेकिन बोकारो के राधेश्याम मुंडा वैसे लोगों में शामिल हैं जो न सिर्फ अपने आत्मविश्वास से इस रोग को पटखनी दी बल्कि अब अपनी मेहनत से जमीन से सोना उपजा रहे हैं.

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बीमारी से नहीं मानी हार

बोकारो के सेक्टर 09 डी में रहने वाले राधेश्याम मुंडा 2016 में किडनी रोग से ग्रसित हो गए थे. बीमारी और कमजोरी की वजह से उन्हें बीएसएल की नौकरी छोड़नी पड़ी. काफी दिनों तक दवा के सहारे जिंदगी काटने वाले राधेश्याम अपनी जिंदगी को लेकर उम्मीद छोड़ दी थी. तभी उन्हें बैठे-बैठे कुछ नया करने का आइडिया आया जिससे उनकी जिंदगी में बहार आ गया.

पीएम मोदी से प्रभावित हैं राधेश्याम

किडनी बीमारी से ग्रसित राधेश्याम मुंडा को पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना से काफी प्रेरणा मिली. पीएम की बातों से प्रभावित होकर राधेश्याम मुंडा ने साल 2019 में 2.5 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कद्दू की खेती शुरू की. शुरूआती संघर्ष के बाद 2020 में उन्हें इससे 5 लाख का मुनाफा हुआ. पहले ही साल इतने बड़े मुनाफे से उत्साहित राधेश्याम मुंडा ने 15 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती को बढ़ाया. धीरे-धीरे खेती ने इतनी रफ्तार पकड़ी की किसान ने इंजीनियर बेटा को नौकरी दी . अब इस काम में उनके दोनों बेटे हाथ बंटा रहे हैं.

50 लोगों को दी नौकरी

वर्तमान में 15 एकड़ में बैंगन, चना, गोभी व अन्य मौसमी सब्जी की खेती कर रहे किसान राधेश्याम मुंडा ने न सिर्फ अपने बेटों को रोजगार दिया बल्कि शहर के दूसरे 50 लोगों को भी नौकरी दी. राधेश्याम मुंडा की भविष्य में 200 लोगों को रोजगार देने के साथ पूरे शहर को सब्जी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है.

अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं राधेश्याम

राधेश्याम मुंडा के पुत्र संजीत कुमार की माने तो बीमार होने के बावजूद उनके पिता ने खेती शुरू की , लेकिन अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं. संजीत बताते हैं कि वे अब कहीं नौकरी नहीं करना चाहते हैं बल्कि छोटे से व्यापार में मालिक बनकर रहने की ही उनकी इच्छा है.

आदर्श हैं राधेश्याम

बीजेपी किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री अर्जुन सिंह ने राधेश्याम के प्रयास की सराहना की और कहा कि राधेश्याम बोकारो जिले के लिए नहीं बल्कि झारखंड के लिए एक आदर्श है. जिस प्रकार से बीमारी के बाद भी वह लोगों को रोजगार देते हुए बंजर भूमि में खेती कर रहे हैं उनके इस काम को पूरे राज्य में पार्टी एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करेगी इन्हें जो भी लाभ चाहिए उसे भी दिलाने का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री को आदर्श मानकर इन्होंने यह खेती शुरू की है यह काबिले तारीफ है.

Last Updated : Nov 27, 2021, 3:04 PM IST
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