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बोकारो में मकान की छत ढहने से बाल-बाल बचा पूरा परिवार, आंगनबाड़ी केंद्र में रहने को है मजबूर - बोकारो में छत गिरने की खबर

बोकारो के राधानगर गांव में देर रात पुराने मकान का छत टूटकर गिरने से पूरा परिवार बाल-बाल बच गया. छत गिरने की आवाज इतनी तेज थी आसपास के लोग वहां पहुंचकर बूढ़ी महिला और उसकी बहू को सुरक्षित बाहर निकाला.

Old house roof collapsed in Bokaro
पुराना मकान का छत गिर
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Published : Jun 24, 2020, 8:58 AM IST

बोकारो: जिले के राधानगर गांव में अचानक घर की छत टूट कर गिरने लगी. छत गिरने की आवाज इतनी तेज थी आसपास के लोग जमा हो गए और घर में फंसे लोगों को निकाला. इस हादसे से गाड़ी समेत कई सामान क्षतिग्रस्त हो गया और अब उनके पास रहने के लिए घर नहीं है. पूरा परिवार आंगनबाड़ी में जाकर रह रहा है. यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास तक का लाभ नहीं मिला है.

देखें पूरी खबर

जानकारी के अनुसार, राधानगर गांव के रहने वाले चंडी सरकार सालों पुराने एक घर में अपने परिवार के साथ रहते हैं. इसमें परिवार के मुखिया और उसका बेटा मजदूरी का काम करता है. प्रधानमंत्री आवास के लिए स्थानीय मुखिया को दो साल पहले ही आवेदन दिया गया था, लेकिन अभी तक इस गरीब को मकान नसीब नहीं हुआ. हालत यह हो गई कि हल्की सी बारिश में पुराने मकान की छत टूट कर गिर गई और घर में रखे सामान दबकर नष्ट हो गया. स्थानीय लोगों की मदद से इस परिवार को फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्र में रखा गया है.

ये भी देखें- झारखंड में प्राइवेट कोरोना टेस्टिंग रेट घटायेगी सरकार, जल्द ही नई दरों का होगा ऐलान

गरीबों की रहनुमाई करने का दावा करने वाली ये सरकारें आखिर इस गरीब परिवार को क्या मदद कर पाएगी क्योंकि 2011 में हुए जनगणना सूची में इस परिवार का नाम शामिल नहीं है. जिस कारण उन्हें प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिल पाया है.

बोकारो: जिले के राधानगर गांव में अचानक घर की छत टूट कर गिरने लगी. छत गिरने की आवाज इतनी तेज थी आसपास के लोग जमा हो गए और घर में फंसे लोगों को निकाला. इस हादसे से गाड़ी समेत कई सामान क्षतिग्रस्त हो गया और अब उनके पास रहने के लिए घर नहीं है. पूरा परिवार आंगनबाड़ी में जाकर रह रहा है. यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास तक का लाभ नहीं मिला है.

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जानकारी के अनुसार, राधानगर गांव के रहने वाले चंडी सरकार सालों पुराने एक घर में अपने परिवार के साथ रहते हैं. इसमें परिवार के मुखिया और उसका बेटा मजदूरी का काम करता है. प्रधानमंत्री आवास के लिए स्थानीय मुखिया को दो साल पहले ही आवेदन दिया गया था, लेकिन अभी तक इस गरीब को मकान नसीब नहीं हुआ. हालत यह हो गई कि हल्की सी बारिश में पुराने मकान की छत टूट कर गिर गई और घर में रखे सामान दबकर नष्ट हो गया. स्थानीय लोगों की मदद से इस परिवार को फिलहाल आंगनबाड़ी केंद्र में रखा गया है.

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