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ODF का ये है सच, बस स्टैंड पर शौचालय नहीं, यात्री खुले में शौच जाने को मजबूर

बोकारो के नया मोड़ के पास सरकारी बस स्टैंड में शौचालय नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है. इसे मामले में लोगों ने जिला प्रशासन को कई बार अवगत कराया, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बस स्टैंड पर शौचालय नहीं
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Published : Jun 26, 2019, 12:43 PM IST

बोकारो: यह जिला पूरी तरह ओडीएफ जिला घोषित है. यानि खुले में शौच से मुक्त, लेकिन शहर के बीचों-बीच जहां सभी आला अधिकारी बैठते हैं, वहीं से महज 4 किलोमीटर दूर सरकारी बस स्टैंड पर एक भी शौचालय नहीं है. जिसकी वजह से लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.

देखें स्पेशल पैकेज

बोकारो जिले के नया मोड़ के पास सरकारी बस स्टैंड है, जहां हर रोज 100 से ज्यादा बसें रूकती है. धनबाद, रांची, हजारीबाग और दूसरे शहरों से बसें आती-जाती रहती है. इस दौरान यहां शौचालय नहीं होने से यात्रियों को परेशानी होती है. जहां पुरूषों को खुले में शौच जाना पड़ता है तो वहीं महिलाओं को झाड़ियों के पीछे शौच के लिए जाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-थाना परिसर में फंदे से लटकता मिला ASI का शव, जांच में जुटी पुलिस

बस स्टैंड की स्थिति से यहां काम करने वाले लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक को कई बार अवगत कराया, लेकिन बार-बार जिला प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता है, जिस वजह से बस स्टैंड परिसर में अब तक कोई शौचालय नहीं बन पाया है. वहीं, यहां पानी पीने की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है.

बोकारो: यह जिला पूरी तरह ओडीएफ जिला घोषित है. यानि खुले में शौच से मुक्त, लेकिन शहर के बीचों-बीच जहां सभी आला अधिकारी बैठते हैं, वहीं से महज 4 किलोमीटर दूर सरकारी बस स्टैंड पर एक भी शौचालय नहीं है. जिसकी वजह से लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.

देखें स्पेशल पैकेज

बोकारो जिले के नया मोड़ के पास सरकारी बस स्टैंड है, जहां हर रोज 100 से ज्यादा बसें रूकती है. धनबाद, रांची, हजारीबाग और दूसरे शहरों से बसें आती-जाती रहती है. इस दौरान यहां शौचालय नहीं होने से यात्रियों को परेशानी होती है. जहां पुरूषों को खुले में शौच जाना पड़ता है तो वहीं महिलाओं को झाड़ियों के पीछे शौच के लिए जाना पड़ता है.

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बस स्टैंड की स्थिति से यहां काम करने वाले लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक को कई बार अवगत कराया, लेकिन बार-बार जिला प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता है, जिस वजह से बस स्टैंड परिसर में अब तक कोई शौचालय नहीं बन पाया है. वहीं, यहां पानी पीने की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है.

Intro:बोकारो पूरी तरह ओडीएफ जिला है। यानि खुले में शौच से मुक्त। लेकिन कहते हैं ना दिया तले अंधेरा होता है। उसी तरह बोकारो शहर के बीचोबीच जहां सभी आला अधिकारी बैठते हैं वही से महज 4 किलोमीटर दूर सरकारी बस स्टैंड पर एक भी शौचालय नहीं है। जिसकी वजह से वहां लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। हम आपको वह तस्वीर नहीं दिखा सकते हैं जिससे यहां के ओडीएफ की पोल खुलती है। लेकिन लाइन में लगे इन लोगों को देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां ओडीएफ की क्या स्थिति1 है। यह तस्वीर बोकारो जिले के नया मोड़ के पास सरकारी बस स्टैंड की है। जहां हर रोज 100 से ज्यादा बसें रूकती है। धनबाद रांची हजारीबाग और दूसरे शहरों से बस से आती जाती रहती है। और यात्री जब लंबी दूरी का सफर तय कर यहां आते हैं तब उनके पास इस तरह लाइन में खड़े होकर निपटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि सरकारी बस स्टैंड पर एक अदद शौचालय भी मौजूद नहीं है। पुरुष यात्री तो इस तरह खुले में क्रिया से निवृत हो जाते हैं। लेकिन महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिसके बाद महिलाएं बस स्टैंड के पीछे की झाड़ी की तरफ जाती है या फिर बस स्टैंड के पास टूटे हुए खंडहरनुमा कमरों में जिसमें सांप बिच्छू का हमेशा रहता है। तो वही इन खंडरो में शराब की बोतलें फेंकी रहती है जो यह बताती है कि यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है। ऐसे में महिलाओं को इस स्थिति में यह खंडरनुमा कमरा ही एकमात्र विकल्प होता है। ऐसा नहीं है की बस स्टैंड की स्थिति से यहां काम करने वाले लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक को अवगत नहीं कराया। लेकिन बार बार जिला प्रशासन सिर्फ आश्वासन देती है। यही वजह है की बस स्टैंड पर अब तक कोई शौचालय नहीं बन पाया है। इतना ही नहीं यहां पानी पीने की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।


Body:बाईट
महिला यात्री
पुरुष यात्री


Conclusion:स्टैंड पर काम करने वाले कर्मचारी
रवि रंजन मिश्रा, डीडीसी बोकारो
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