बोकारो: वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए पूरा देश लॉकडाउन है, लेकिन यही लॉकडाउन किसी की मौत का कारण बनने लगे और सरकारी आदेश भी पुलिसवालों के लिए कागज का टुकड़ा ही लगे तो इसे क्या कहेंगे? कुछ ऐसा ही हुआ रोहित के साथ. आज वह तड़प रहा है और उसकी मदद करने की बजाय पुलिसवाले हेकड़ी दिखाकर सरकारी आदेश को धत्ता बता रहे हैं. उनके लिए उपायुक्त का जारी आदेश भी कोई मायने नहीं रखता.
कोलकाता में फंसा युवक
रोता तड़पता रोहित अभी कोलकात्ता में अपने फ्लैट में बंद है और अब मुख्यमंत्री झाखंड और पश्चिम बंगाल से गुहार लगा रहा है कि कोई उसकी मदद कर दे. बोकारो के गोमियां का रहनेवाला रोहित अब चित्कार कर रहा है. उसके परिजनों का भी रो-रोकर बुरा हाल हैं, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर पा रहा. परिजन बोकारो में हैं और रोहित अकेला अपने किराए के फलैट में लॉकडाउन में कैद है. 40 दिनों तक घर में रखा राशन भी अब खत्म हो गया है और अब वह भूख से व्याकुल हो चुका है. कोलकात्ता के दमदम थाना इलाके के सात गाछी बाजार के नागेंद्र नाथ रोड के लाहा कॉलोनी के गायत्री भवन के कमरा नंबर 301 में पड़ा रोहित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता वनर्जी से गुहार लगा रहा है.
बोकारो के गोमिया के निवासी कमलेश सिंह का पुत्र पिछले सात माह से कोलकाता में रह कर एमबीए की तैयारी कर रहा है. उसने भी सपना देखा था कि उसका अपना भविष्य भी सुनहरा होगा, लेकिन लाकडाउन की त्रासदी ने अब उसे जान की चिंता से घेर दिया है. उसकी चित्कार शायद कोई सुन ले और रोहित भी सकुशल अपने घर वापस आ जाए. इसी उम्मीद मे पूरा परिवार भी गुहार लगा रहा है.
जिला संपर्क से मदद
अपने बेटे की गुहार चित्कार के बाद उसके माता पिता ने बोकारो जिला प्रशासन से संपर्क साधा और मदद की गुहार लगायी. बोकारो के उपायुक्त ने रोहित की मदद के लिए एक पास जारी किया. उस पास के आधार पर रोहित के पिता ने एक कार भाड़े पर ली और उसे कोलकात्ता के लिए रवाना किया, लेकिन कार को धनबाद और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर ही पुलिस ने रोक दिया और आगे जाने से मना कर दिया. बॉर्डर पर तैनात पश्चिम बंगाल पुलिस को बोकारो के उपायुक्त से जारी अनुमति पत्र दिखाया गया, लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस ने कार को वापस लौटा दिया.
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अपने बेटे के क्रंदन से पूरी तरह टूट चुके पिता ने प्रशासिनक अधिकारियों तक गुहार लगायी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों का भी प्रयास काम नहीं आया और एक पिता अपने जिगर के टुकड़े को बचाने के लिए अब जो भी सामने आता है उससे हाथ जोड़ रहा है. बस एक ही आग्रह कृपया मेरे बेटे को बचा लीजिए सर. वह चाहकर भी अपने बेटे की मदद नहीं कर पा रहा. अपने क्षेत्र के नागरिक कमलेश सिंह की व्यथा सुनने के बाद अपने प्रयास से उनके अपने बेटे को लाने के लिए विधिवत तरीके से अनुमति दिलाने वाले गोमिया के विधायक भी पश्चिम बंगाल पुलिस के इस व्यवहार से आवाक हैं. उनकी मानें तो केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने ऐसी व्यवस्था की है और उसके बाद भी पुलिस का यह रवैया बेहद टीसने वाला है.