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जल बिन प्यासी जलमीनार, 5 साल से एक बूंद भी पानी नहीं टपका - कंजकिरो पंचायत

बोकारो से करीब 90 किलोमीटर दूर कंजकिरो पंचायत के बांधडीह गांव में बना जलमीनार बेकार पड़ा है. निर्माण के पांच साल बीत जाने के बाद भी इससे पानी लोगों को नसीब नहीं हो सका.

जलमीनार
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Published : Aug 18, 2019, 8:11 PM IST

बोकारो: इस जल मीनार से एक बूंद भी पानी नहीं टपकता है. जबकि इसे बनाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च हुए हैं. जल मीनार को तत्कालीन सांसद रवींद्र पांडेय ने बनवाया था. यहां सरकारी कामकाज का जो तरीका है वह काबिले तारीफ है. यहां कभी हैंडपंप को गले तक गाड़ कर सड़क बना दिया जाता है, तो वही एक अद्भुत दृश्य और है. जहां लाखों रुपए खर्च करके जलमीनार बना दिया गया, लेकिन 5 साल से ज्यादा हो गए अभी तक गांव वालों को एक बूंद भी पानी इस जल मीनार से नसीब नहीं हुआ.

देखें पूरी खबर

जलमीनार है पर पानी नहीं
यह जलमीनार बोकारो से करीब 90 किलोमीटर दूर कंजकिरो पंचायत के बांधडीह गांव का है. गांव के गली गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई. कई घरों में तो नल भी लगे, लेकिन नल से आजतक एक बूंद पानी भी नहीं टपका. क्योंकि किसी भी जल मीनार की सबसे पहली जरूरत होती है बोरिंग. लेकिन यहां सिस्टम की अनोखी नीति देखने को मिली.

स्वच्छ पानी से वंचित
यहां पहले जल मीनार बना दिया गया. उसके बाद जल मीनार के पास बोरिंग कराया गया. जो कि सक्सेस नहीं हुआ. जिसके बाद यह जल मीनार हाथी का दांत बनकर रह गया. गांव के लोग अभी भी गंदे तालाब में नहाने और दूर किसी चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर हैं. सरकार ने तो गांव वालों की मजबूरी समझी भी और यहां योजना बनाकर जलमीनार पहुंचाया, लेकिन सिस्टम की करतूतों की वजह से लोग अभी भी स्वच्छ पानी से वंचित हैं.

ये भी पढ़ें- अब झारखंड महिला कांग्रेस में मचा घमासान, पार्टी से निष्कासित सदस्यों ने लगाए गंभीर आरोप


कार्रवाई की जाएगी
मामले में जब मुखिया से पूछा गया उनका कहना है कि यहां पहले से एक हैंडपंप मौजूद था. इसलिए लगा इसी हैंडपंप से जलमीनार को पानी उपलब्ध हो जाएगा. इसलिए बोरिंग नहीं कराया गया. बाद में जब हैंड पंप से पानी नहीं पहुंच पाया तो बोरिंग कराने की कोशिश की, लेकिन यहां बोरिंग सक्सेस नहीं हुआ. मामले में बोकारो के उपायुक्त ने कहा कि इसे देखा जाएगा और जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

बोकारो: इस जल मीनार से एक बूंद भी पानी नहीं टपकता है. जबकि इसे बनाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च हुए हैं. जल मीनार को तत्कालीन सांसद रवींद्र पांडेय ने बनवाया था. यहां सरकारी कामकाज का जो तरीका है वह काबिले तारीफ है. यहां कभी हैंडपंप को गले तक गाड़ कर सड़क बना दिया जाता है, तो वही एक अद्भुत दृश्य और है. जहां लाखों रुपए खर्च करके जलमीनार बना दिया गया, लेकिन 5 साल से ज्यादा हो गए अभी तक गांव वालों को एक बूंद भी पानी इस जल मीनार से नसीब नहीं हुआ.

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जलमीनार है पर पानी नहीं
यह जलमीनार बोकारो से करीब 90 किलोमीटर दूर कंजकिरो पंचायत के बांधडीह गांव का है. गांव के गली गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई. कई घरों में तो नल भी लगे, लेकिन नल से आजतक एक बूंद पानी भी नहीं टपका. क्योंकि किसी भी जल मीनार की सबसे पहली जरूरत होती है बोरिंग. लेकिन यहां सिस्टम की अनोखी नीति देखने को मिली.

स्वच्छ पानी से वंचित
यहां पहले जल मीनार बना दिया गया. उसके बाद जल मीनार के पास बोरिंग कराया गया. जो कि सक्सेस नहीं हुआ. जिसके बाद यह जल मीनार हाथी का दांत बनकर रह गया. गांव के लोग अभी भी गंदे तालाब में नहाने और दूर किसी चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर हैं. सरकार ने तो गांव वालों की मजबूरी समझी भी और यहां योजना बनाकर जलमीनार पहुंचाया, लेकिन सिस्टम की करतूतों की वजह से लोग अभी भी स्वच्छ पानी से वंचित हैं.

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कार्रवाई की जाएगी
मामले में जब मुखिया से पूछा गया उनका कहना है कि यहां पहले से एक हैंडपंप मौजूद था. इसलिए लगा इसी हैंडपंप से जलमीनार को पानी उपलब्ध हो जाएगा. इसलिए बोरिंग नहीं कराया गया. बाद में जब हैंड पंप से पानी नहीं पहुंच पाया तो बोरिंग कराने की कोशिश की, लेकिन यहां बोरिंग सक्सेस नहीं हुआ. मामले में बोकारो के उपायुक्त ने कहा कि इसे देखा जाएगा और जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:बोकारो में एक अद्भुत जल मीनार है। इस जल मीनार की खासियत यह है की इससे एक बूंद भी पानी नहीं टपकता है। जबकि इसे बनाने में ₹1000000 से ज्यादा खर्च हुए हैं। जल मीनार को तत्कालीन सांसद रविंद्र पांडे ने बनवाया था।


Body:बोकारो कई मायनों में अद्भुत है। यहां सरकारी कामकाज का जो तरीका है वह काबिलेतारीफ है।यहां कभी हैंडपंप को गले तक गाड़ कर सड़क बना दिया जाता है। तो वही एक अद्भुत दृश्य और है। जहां लाखों रुपए खर्च करके जल मीनार बना दिया गया लेकिन 5 साल से ज्यादा हो गए अभी तक गांव वालों को एक बूंद भी पानी जल मीनार से नसीब नहीं हुआ है। यह अद्भुत आश्चर्यजनक और अनोखा दृश्य बोकारो से करीब 90 किलोमीटर दूर कंजकिरो पंचायत के बांधडीह गांव की है। जहां 1000000 रुपए खर्च करके जल मीनार बनाया गया। गांव के गली गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई। कई घरों में तो नल भी लगे। लेकिन नल से आजतक एक बूंद पानी भी नहीं टक्का। क्योंकि किसी भी जल मीनार की सबसे पहली जरूरत होती है बोरिंग। लेकिन यहां सिस्टम की अनोखी नीति देखने को मिली। यहां पहले जल मीनार बना दिया गया। घर-घर पाइप पहुंचा दिए गए। उसके बाद जल मीनार के पास बोरिंग कराया गया। जोकि सक्सेस नहीं हुआ। जिसके बाद यह जल मीनार हाथी का दांत बनकर रह गया है।और गांव के बीचो-बीच बड़ी शान से खड़ा है लेकिन इससे गांव वालों को कोई फायदा नहीं है।


Conclusion:गांव के लोग अभी भी गंदे तालाब में नहाने और दूर किसी चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। सरकार ने तो गांव वालों की मजबूरी समझी भी और यहां योजना बनाकर जल मीनार पहुंचाया। लेकिन सिस्टम की करतूतों की वजह से लोग अभी भी स्वच्छ पानी से वंचित हैं। मामले में जब हमने यहां के मुखिया से पूछा उनका कहना है यहां पहले से एक हैंडपंप मौजूद था। इसलिए हमें लगा इसी हैंडपंप से जल मीनार को पानी उपलब्ध हो जाएगा।इसलिए हमने बोरिंग नहीं कराया। बाद में जब हैंड पंप से पानी नहीं पहुंच पाया तो हमने बोरिंग कराने की कोशिश की। लेकिन यहां बोरिंग सक्सेस नहीं हुआ। अब बड़ा सवाल यह है योजना में जब नई बोरिंग का प्रावधान था तो फिर पुराने हैंडपंप से पानी पहुंचाने की कोशिश क्यों की गई। मामले में जब हमने बोकारो के उपायुक्त से बात की तो उन्होंने कहा ईटीवी भारत ऐसे मामले को संज्ञान में लाने का काम कर रहा है। हम इस पर जरूर कार्रवाई करेंगे। और जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि यह जल मीनार तत्कालीन सांसद रविंद्र पांडे की अनुशंसा पर बनाया गया था। और अब इसका यह हाल है। लोगों का कहना है रविंद्र पांडे की कई ऐसी योजनाएं हैं। जो पूरी नहीं हुई है। और उसमें सरकार का करोड़ों रुपए खर्च हो गए हैं। बोकारो से आलोक रंजन सिंह की रिपोर्ट
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