बोकारो: इस जल मीनार से एक बूंद भी पानी नहीं टपकता है. जबकि इसे बनाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च हुए हैं. जल मीनार को तत्कालीन सांसद रवींद्र पांडेय ने बनवाया था. यहां सरकारी कामकाज का जो तरीका है वह काबिले तारीफ है. यहां कभी हैंडपंप को गले तक गाड़ कर सड़क बना दिया जाता है, तो वही एक अद्भुत दृश्य और है. जहां लाखों रुपए खर्च करके जलमीनार बना दिया गया, लेकिन 5 साल से ज्यादा हो गए अभी तक गांव वालों को एक बूंद भी पानी इस जल मीनार से नसीब नहीं हुआ.
जलमीनार है पर पानी नहीं
यह जलमीनार बोकारो से करीब 90 किलोमीटर दूर कंजकिरो पंचायत के बांधडीह गांव का है. गांव के गली गली में पानी पहुंचाने के लिए पाइप बिछाई गई. कई घरों में तो नल भी लगे, लेकिन नल से आजतक एक बूंद पानी भी नहीं टपका. क्योंकि किसी भी जल मीनार की सबसे पहली जरूरत होती है बोरिंग. लेकिन यहां सिस्टम की अनोखी नीति देखने को मिली.
स्वच्छ पानी से वंचित
यहां पहले जल मीनार बना दिया गया. उसके बाद जल मीनार के पास बोरिंग कराया गया. जो कि सक्सेस नहीं हुआ. जिसके बाद यह जल मीनार हाथी का दांत बनकर रह गया. गांव के लोग अभी भी गंदे तालाब में नहाने और दूर किसी चापाकल से पानी लाने के लिए मजबूर हैं. सरकार ने तो गांव वालों की मजबूरी समझी भी और यहां योजना बनाकर जलमीनार पहुंचाया, लेकिन सिस्टम की करतूतों की वजह से लोग अभी भी स्वच्छ पानी से वंचित हैं.
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कार्रवाई की जाएगी
मामले में जब मुखिया से पूछा गया उनका कहना है कि यहां पहले से एक हैंडपंप मौजूद था. इसलिए लगा इसी हैंडपंप से जलमीनार को पानी उपलब्ध हो जाएगा. इसलिए बोरिंग नहीं कराया गया. बाद में जब हैंड पंप से पानी नहीं पहुंच पाया तो बोरिंग कराने की कोशिश की, लेकिन यहां बोरिंग सक्सेस नहीं हुआ. मामले में बोकारो के उपायुक्त ने कहा कि इसे देखा जाएगा और जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.