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भारत में मानसिक समस्याओं पर बोकारो के युवाओं ने बनाई फिल्म, मार्च 2021 में होगी रिलीज - बोकारो के युवा ने बनाई फिल्म

यशस्विनी फिल्म ग्रीन युवाओं के जीवन पर आधारित है. युवा जीवन के अंधेरे में आशा की शक्ति के बारे में है. भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और अवसाद और नशे की लत से जूझ रहे युवाओं को लेकर यह फिल्म बनाई गई है.

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बोकारो के होनहारों ने बनाई फिल्म
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Published : Oct 15, 2020, 8:55 PM IST

बोकारो: जिले के युवकों की ओर से बनाई गई यशस्विनी फिल्म के बैनर तले हिंदी फीचर फिल्म ग्रीन बनाई गई है. इस फिल्म को देखने से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी.

देखें पूरी खबर

झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 11 अक्टूबर को फिल्म ग्रीन को 4 अवार्ड से सम्मानित किया गया. यशस्विनी फिल्म के निर्माता मनीष कुमार सिंह ने कहा कि फिल्म ग्रीन युवाओं के जीवन पर आधारित है. युवा जीवन के अंधेरे में आशा की शक्ति के बारे में है. जो अपने जीवन में मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुका है. भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और अवसाद और नशे की लत से जूझ रहे युवाओं को लेकर यह फिल्म बनाई गई है.

ये भी पढ़ें- डॉ अजय कुमार को मिली नई जिम्मेदारी, बनाए गए बिहार विधानसभा चुनाव वार रूम के प्रभारी

हर वर्ष इतनी आत्महत्या हो रही हैं, जिसमें माता-पिता, पत्नी, शिक्षण संस्थान, राजनीतिक, शिक्षक इत्यादि को तुरंत जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. क्या यह सही है. साथ ही कहा कि फिल्म निर्माता के तौर पर उनका उद्देश्य कुछ वास्तविक जीवन की घटनाओं को प्रकट करना है, जो आधुनिक भारतीय समाज के लिए आंख खोलने का काम करें. इसी जिज्ञासा ने उन्हें एम्स नई दिल्ली तक पहुंचाया. जब उन्होंने मनोचिकित्सक से उनके बारे में जाना तब महसूस किया कि मानसिक स्वास्थ्य पर कड़ी मेहनत से सिनेमा दर्शकों को परिचित कराना महत्वपूर्ण है. यह फिल्म मल्टीप्लेक्स में मार्च 2021 तक रिलीज होगी.

बोकारो: जिले के युवकों की ओर से बनाई गई यशस्विनी फिल्म के बैनर तले हिंदी फीचर फिल्म ग्रीन बनाई गई है. इस फिल्म को देखने से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी.

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झारखंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 11 अक्टूबर को फिल्म ग्रीन को 4 अवार्ड से सम्मानित किया गया. यशस्विनी फिल्म के निर्माता मनीष कुमार सिंह ने कहा कि फिल्म ग्रीन युवाओं के जीवन पर आधारित है. युवा जीवन के अंधेरे में आशा की शक्ति के बारे में है. जो अपने जीवन में मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुका है. भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और अवसाद और नशे की लत से जूझ रहे युवाओं को लेकर यह फिल्म बनाई गई है.

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हर वर्ष इतनी आत्महत्या हो रही हैं, जिसमें माता-पिता, पत्नी, शिक्षण संस्थान, राजनीतिक, शिक्षक इत्यादि को तुरंत जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है. क्या यह सही है. साथ ही कहा कि फिल्म निर्माता के तौर पर उनका उद्देश्य कुछ वास्तविक जीवन की घटनाओं को प्रकट करना है, जो आधुनिक भारतीय समाज के लिए आंख खोलने का काम करें. इसी जिज्ञासा ने उन्हें एम्स नई दिल्ली तक पहुंचाया. जब उन्होंने मनोचिकित्सक से उनके बारे में जाना तब महसूस किया कि मानसिक स्वास्थ्य पर कड़ी मेहनत से सिनेमा दर्शकों को परिचित कराना महत्वपूर्ण है. यह फिल्म मल्टीप्लेक्स में मार्च 2021 तक रिलीज होगी.

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