रांची/बोकारो: जो मिल गया उसे तकदीर का लिखा कहिए, जो खो गया उसे किस्मत का फैसला कहिए. यह पंक्तियां मंत्री और चंदनकियारी विधायक अमर बाउरी पर सटीक बैठती हैं. उनकी चाहत थी कि वो प्रशासनिक अधिकारी बनकर लोगों की सेवा करें, लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था. सेवा करने की उनकी ख्वाहिश तो पूरी हो गई, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी नहीं जनप्रतिनिधि बनकर.
दूसरे युवाओं की तरह अमर बाउरी भी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. महत्वकांक्षा अफसर बनने की थी, तो तैयारी भी पुरजोर थी. बड़े उम्मीदों के साथ जेपीएससी की परीक्षा दी. लेकिन जेपीएससी के गड़बड़झाला की वजह से उनका मोह भंग होने लगा. उनका झुकाव राजनीति की ओर होने लगा. अपने मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से बोकारो जिला की चंदनकियारी क्षेत्र के युवाओं में इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी.
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मृदुभाषी और अपनी बातों से लोगों को कन्विंस करने में माहिर अमर कुमार बाउरी ने 2005 के चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाई. डगर आसान न थी. इस सीट पर जेएमएम के हारू रजवार का कब्जा था. ऊपर से आजसू के उमाकांत रजक तेजी से उभर रहे थे. इसके बावजूद अमर कुमार बाउरी बतौर निर्दलीय 12 हजार 509 वोट लाने में सफल रहे. चुनाव जीतने वाले झामुमो के हारू रजक को 17 हजार 823 और दूसरे स्थान पर रहे आजसू के उमाकांत रजक को 13 हजार 306 वोट मिले.
जब 2009 का चुनाव हुआ तो मुकाबले से सीटिंग विधायक हारू रजवार आउट हो गए. टक्कर हुई आजसू के उमाकांत रजक के साथ. इस चुनाव में बाउरी को बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम का साथ मिला. हालांकि इस चुनाव में भी बाउरी की हार हुई, लेकिन हार का अंतर सिर्फ 3 हजार 018 वोट का था. बाउरी को 27.55 फीसदी वोट मिले थे. अब यहां से पीछे हटने का कोई मतलब नहीं था.
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2014 के चुनाव में जेवीएम की टिकट पर फिर से अमर बाउरी ने ताल ठोकी और 51.18 प्रतिशत वोट लाकर आजसू के सीटिंग विधायक उमाकांत रजक को करारी शिकस्त दी. यहीं से अमर बाउरी की किस्मत बदली. 2014 के चुनाव में जेवीएम की टिकट पर कुल 8 विधायक चुनकर आए थे. अपने 37 विधायकों के साथ सरकार बनाने के लिए बढ़ी बीजेपी को उसके गठबंधन के सहयोगी आजसू का साथ मिला, लेकिन अपने बूते बहुमत से दूर और आजसू की कृपा पात्र बनी बीजेपी की नजर जेवीएम के विधायकों पर थी. इसको लेकर भीतरखाने राजनीति का नया चैप्टर खुल चुका था. फिर क्या मौका मिलते ही अमर बाउरी समेत जेवीएम के 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए.
छह विधायकों में से 2 को मंत्री बनाया गया था. अमर बाउरी देखते ही देखते रघुवर सरकार में भूमि सुधार, राजस्व, निबंधन, पर्यटन, कला संस्कृति, खेल और युवा मामलों के मंत्री बने. इन पांच सालों में अमर बाउरी के विभाग ने कई काम किए. खास कर 50 लाख तक की जमीन या प्रोपर्टी की रजिस्ट्री सिर्फ 1 रूपए में महिलाओं के नाम करने के फैसले से बाउरी को बड़ी पहचान मिली. इन्होंने खेल और पर्यटन के क्षेत्र में भी कई काम किए. अब फिर से चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है. देखना है चंदनकियारी के इस नौजवान को वहां की जनता किस रूप में लेती है.