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बोकारो: कथित तौर पर भूख से मौत, एसडीएम ने कहा- लू लगने से गई जान

वृद्ध व्यक्ति की कथित तौर पर भूख से मौत का मामला सामने आया है. आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच ने आरोप लगाया है कि ललपनिया के टीकाहारा पंचायत के हरलाडीह गांव में 55 साल के जगलाल मांझी की मौत भूख से हो गई है. वहीं एसडीएम से भूख से मौत पर साफ तौर पर इनकार किया है.

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जांच करने पहुंची टीम
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Published : Apr 29, 2020, 7:40 PM IST

बोकारो: जिले में एक वृद्ध व्यक्ति की कथित भूख से मौत का मामला सामने आया है. आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच ने आरोप लगाया है कि ललपनिया के टीकाहारा पंचायत के हरलाडीह गांव में 55 साल के जगलाल मांझी की मौत भूख से हो गई है. आरोप है कि जगलाल मांझी रात का बचा बासी माड़ पीकर जंगल खाने के लिए कंद फल तोड़ने गया था, जहां वह बेहोश होकर गिर पड़ा. मृतक के परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनके घर पर कई दिनों से लोग आधा पेट खाकर जी रहे थे. घटना के दिन से पहले उनके घर चावल नहीं बचा था.

देखें पूरी खबर

नहीं मिला अनाज

बताया गया कि करीब 10 लोगों के परिवार का गुजारा मजदूरी के सहारे चलता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मजदूरी नहीं मिल रही है, तो वहीं राशन कार्ड भी उनके पास नहीं है. राशन कार्ड के लिए मुखिया के पास आवेदन किया लेकिन न ही कार्ड बना और न ही अनाज मिला. जबकि लॉकडाउन के दौरान राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों को अनाज उपलब्ध कराने का आदेश प्रशासन को दिया गया है.

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10 लोगों के परिवार में 10 किलो चावल

परिवारवालों ने बताया कि 3 मार्च को आदिवासियों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने 10 किलो चावल दिया था. उसी चावल के सहारे तब से जीवन गुजर रहा था. बात सरकार के की ओर से चलाए जा रहे दाल भात केंद्र की करें तो वह मृतक के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर टीकाहरा गांव में उषा देवी के आवास पर चलाया जा रहा है. अब इस दाल भात केंद्र के बारे में मृतक और उनके परिवार को जानकारी नहीं थी. या दूर होने की वजह से वह लोग नहीं जा पा रहे थे. यह अभी स्पष्ट नहीं है.

जंगल में बेहोश होकर गिरा था

बता दें कि 20 अप्रैल मंगलवार के दिन जगलाल मांझी कंद फल तोड़ने जंगल गया था, जहां कड़ी धूप में वह बेहोश हो गया. जिसके बाद उसे गांववालों की सहायता से उठाकर घर लाया गया. लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से डॉक्टर के पास नहीं ले जा सके और देर रात उसकी मौत हो गई. मामले में आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच के दिनेश मुर्मू का कहना है कि जिस तरह मृतक के परिवारवालों ने बताया है कि वो लोग कई दिनों से आधा पेट खा कर रह रहे थे. इससे यह मामला भूख से मौत का प्रतीत हो रहा है. इसलिए इस मामले की सरकार जांच कराए.

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भूख से मौत नहीं: एसडीएम

वहीं, मामले में टीकाहारा पंचायत के मुखिया पति का कहना है कि ये भूख से मौत नहीं है, बल्कि लोग बदनाम करने के लिए ऐसा कह रहे हैं. जिस दिन मौत हुई उस दिन जगलाल मांझी के घर में अनाज था. मामले में बेरमो के एसडीएम नितेश कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच कराई है. ये मामला भूख से मौत का नहीं है. बल्कि लू लगने से मौत हुई है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो खुद मृतक के घर जाकर मामले की जांच करेंगे.

बोकारो: जिले में एक वृद्ध व्यक्ति की कथित भूख से मौत का मामला सामने आया है. आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच ने आरोप लगाया है कि ललपनिया के टीकाहारा पंचायत के हरलाडीह गांव में 55 साल के जगलाल मांझी की मौत भूख से हो गई है. आरोप है कि जगलाल मांझी रात का बचा बासी माड़ पीकर जंगल खाने के लिए कंद फल तोड़ने गया था, जहां वह बेहोश होकर गिर पड़ा. मृतक के परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनके घर पर कई दिनों से लोग आधा पेट खाकर जी रहे थे. घटना के दिन से पहले उनके घर चावल नहीं बचा था.

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नहीं मिला अनाज

बताया गया कि करीब 10 लोगों के परिवार का गुजारा मजदूरी के सहारे चलता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मजदूरी नहीं मिल रही है, तो वहीं राशन कार्ड भी उनके पास नहीं है. राशन कार्ड के लिए मुखिया के पास आवेदन किया लेकिन न ही कार्ड बना और न ही अनाज मिला. जबकि लॉकडाउन के दौरान राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों को अनाज उपलब्ध कराने का आदेश प्रशासन को दिया गया है.

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10 लोगों के परिवार में 10 किलो चावल

परिवारवालों ने बताया कि 3 मार्च को आदिवासियों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने 10 किलो चावल दिया था. उसी चावल के सहारे तब से जीवन गुजर रहा था. बात सरकार के की ओर से चलाए जा रहे दाल भात केंद्र की करें तो वह मृतक के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर टीकाहरा गांव में उषा देवी के आवास पर चलाया जा रहा है. अब इस दाल भात केंद्र के बारे में मृतक और उनके परिवार को जानकारी नहीं थी. या दूर होने की वजह से वह लोग नहीं जा पा रहे थे. यह अभी स्पष्ट नहीं है.

जंगल में बेहोश होकर गिरा था

बता दें कि 20 अप्रैल मंगलवार के दिन जगलाल मांझी कंद फल तोड़ने जंगल गया था, जहां कड़ी धूप में वह बेहोश हो गया. जिसके बाद उसे गांववालों की सहायता से उठाकर घर लाया गया. लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से डॉक्टर के पास नहीं ले जा सके और देर रात उसकी मौत हो गई. मामले में आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच के दिनेश मुर्मू का कहना है कि जिस तरह मृतक के परिवारवालों ने बताया है कि वो लोग कई दिनों से आधा पेट खा कर रह रहे थे. इससे यह मामला भूख से मौत का प्रतीत हो रहा है. इसलिए इस मामले की सरकार जांच कराए.

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भूख से मौत नहीं: एसडीएम

वहीं, मामले में टीकाहारा पंचायत के मुखिया पति का कहना है कि ये भूख से मौत नहीं है, बल्कि लोग बदनाम करने के लिए ऐसा कह रहे हैं. जिस दिन मौत हुई उस दिन जगलाल मांझी के घर में अनाज था. मामले में बेरमो के एसडीएम नितेश कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच कराई है. ये मामला भूख से मौत का नहीं है. बल्कि लू लगने से मौत हुई है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो खुद मृतक के घर जाकर मामले की जांच करेंगे.

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