नई दिल्ली: केंद्र ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए. यह भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक पैकेज का हिस्सा है. इस योजना के जरिए मूल्य श्रंखला की जरूरी कमियों को पूरा किया जाएगा.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य्पालन के एकीकृत, सतत, समावेशी विकास के लिए पीएमएमएसवाई लॉन्च करेगी.
20,000 करोड़ रुपये में से 11,000 करोड़ रुपये को समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य और जलीय कृषि गतिविधियों के लिए रखा गया है. वहीं शेष 9,000 करोड़ रुपये मछली पकड़ने के लिए बंदरगाह, कोल्ड चेन और बाजार जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए है.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संबोधित एक संवाददाता सम्मेलन में सरकार ने कहा कि इससे कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों को लाभ मिलेगा, जैसे केज-कटर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछली पालन, मछली पकड़ने की नई नौका और उनके बारे में जानकारी रखना आदि.
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सरकार का मानना है कि अवसंरचना में इस सुधार से अगले पांच वर्षों में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा. सरकार ने मछुआरों और उनकी नौकाओं के व्यक्तिगत बीमा के बारे में भी बात की है, जिससे लॉकडाउन के बाद उनका जीवन थोड़ा आसान हो सकता है.
इसके अलावा वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि इन प्रयासों से 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. केंद्र ने कहा कि इससे निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि सरकार के प्राथमिकता वाले कुछ क्षेत्रों में द्वीप और पूर्वोत्तर शामिल होंगे.
(आईएएनएस)