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पानी के लिए रांची में मचा हाहाकार, लाइन में घंटों करना पड़ता है इंतजार

राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में पानी की किल्लत से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मी के दिनों में यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकते हैं.

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Published : Jun 11, 2019, 5:39 PM IST

जानकारी देते स्थानीय

रांची: गर्मी के दिनों में शहर से लेकर गांव तक हर तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. इस समय पूरी राजधानी पानी की किल्लत से जूझ रहा है. वहीं, कांके प्रखंड के पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए मीलों दूर जाने को मजबूर हैं. पूरे पिठोरिया ने मात्र एक से दो चापानल में पानी आता है. बाकी तमाम चापानल बेकार पड़ा हुआ है.

जानकारी देते स्थानीय


राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में पानी की किल्लत से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मी के दिनों में यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकते हैं. सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघुजल मीनार का निर्माण भी कराया गया है, लेकिन वह भी हाथी दांत साबित हो रहा है. इस घनी आबादी वाले गांव के लोग मात्र एक से दो चपानल के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. लोग सुबह 4 बजे से चपानल के आगे अपने बर्तन लगा कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो इस इलाके में पानी की किल्लत को लेकर कई बार शिकायत भी की गई है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. लोगों ने बताया कि स्थानीय विधायक भी कुछ नहीं कर रहे हैं.

रांची: गर्मी के दिनों में शहर से लेकर गांव तक हर तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. इस समय पूरी राजधानी पानी की किल्लत से जूझ रहा है. वहीं, कांके प्रखंड के पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए मीलों दूर जाने को मजबूर हैं. पूरे पिठोरिया ने मात्र एक से दो चापानल में पानी आता है. बाकी तमाम चापानल बेकार पड़ा हुआ है.

जानकारी देते स्थानीय


राजधानी रांची से सटे पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. इस गांव में पानी की किल्लत से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है. हर साल गर्मी के दिनों में यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकते हैं. सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघुजल मीनार का निर्माण भी कराया गया है, लेकिन वह भी हाथी दांत साबित हो रहा है. इस घनी आबादी वाले गांव के लोग मात्र एक से दो चपानल के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. लोग सुबह 4 बजे से चपानल के आगे अपने बर्तन लगा कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो इस इलाके में पानी की किल्लत को लेकर कई बार शिकायत भी की गई है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. लोगों ने बताया कि स्थानीय विधायक भी कुछ नहीं कर रहे हैं.

Intro:रांची
बाइट---रामलगन साहू /स्थानीय निवासी

गर्मी का दिन आते हैं शहर से लेकर गांव तक हर तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ रहता है। इस समय पूरा राजधानी पानी की किल्लत से जूझ रहा है वहीं कांके प्रखंड के पिठोरिया गांव के लोग पानी के लिए मीलों दूर जाने को मजबूर है। पूरा पिठोरिया ने मात्र एक से दो चापानेर सही पानी आता है बाकी तमाम चांपा नल बेकार पड़े हुए हैं यहां तक कि कुआं भी सूख चुका है लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए मीलों दूर जाकर पानी भरने को मजबूर है








Body:राजधानी रांची से सटे पिठौरिया गांव की के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं इस गांव के पानी किल्लत से जूझने की समस्या कोई नई बात नहीं है हर साल गर्मी दिनों में यहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटकने लगते हैं सरकार के द्वारा पिठोरिया गांव में पानी की समस्या दूर करने के लिए लघुजल मीनार का निर्माण भी कराया गया है लेकिन वह भी हाथी के दांत बन कर आ गया ठेकेदार अपनी मुनाफा के लिए जैसे तैसे में जल मीनार तो लगा दिया है लेकिन वहां से पानी का एक बूंद तक के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। इस घनी आबादी वाले गांव के लोग मात्र एक से दो चपानल के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं।


Conclusion:लोग सुबह 4:00 बजे से चपानल के आगे अपने बर्तन लगा कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं ताकि उनका पानी भरने का पारी आ सके और एक-दो घड़ा चापानल से पानी भरकर अपने घर ले जाकर अपनी प्यास बुझा सके लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि जब तक उसकी पारी आती है तब तक चापानाल पानी समाप्त हो जाता है। हद तो तब होता है जब लाइन में लगे लोग एक दूसरे से लड़ाई करना शुरू कर देते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो इस इलाके में पानी की किल्लत को लेकर कई बार शिकायत भी की गई है लेकिन स्थिति जस के तस बना हुआ है। साथ ही कहा कि पानी की किल्लत का जिम्मेदार सरकार है क्योंकि हम वोट सरकार को ही देते हैं लेकिन हमारी और किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया जाता स्थानीय विधायक भी कुछ नहीं कर रहे हैं आखिर पिठोरिया की आवाज से कब तक पानी की किल्लत से जूझते रहेंगे
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