सरायकेला: सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ सर्वभारतीय स्तर पर अखिल भारतीय के ग्रामीण भारत बंद के अवसर पर एसयूसीआई पार्टी की ओर से एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया. आदित्यपुर स्थित इमली चौक विरोध प्रदर्शन किया गया. इस मौके पर किसान विरोधी बिल का विरोध जताते हुए बिल की प्रतिलिपियों को जलाया गया.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में एसयूसीआई पार्टी की जिला सचिव लिली दास ने कहा कि इस समय देश गंभीर आर्थिक संकट और करोना महामारी से गुजर रहा है. एक तरफ महंगाई, बेरोजगारी आसमान छू रही है, तो दूसरी तरफ सरकार इस आपदा की घड़ी में पूंजीपतियों के हित में लगातार कानून बनाने जा रही है.
बता दें कि 'आवश्यक वस्तु कानून 1955' में संशोधन कर भाजपा सरकार ने भोजन के लिए जरूरी सभी अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज 6 तरह की चीजों के स्टॉक को चाहे जितनी मात्रा में जमा करने की अनुमति दे दी है. इससे साफ जाहिर है कि व्यापारिक कंपनियां किसानों से इन आवश्यक वस्तुओं को सस्ते दामों पर खरीदकर अपने गोदामों में इन्हें भारी मात्रा में जमा कर सकेंगी और बाजार में बनावटी कमी दिखाकर उन्हें महंगे दामों पर बेचकर अथाह मुनाफा अर्जित कर सकेंगी.
किसानों के साथ-साथ इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा. इससे देश में पहले से ही कायम भयंकर कुपोषण और भुखमरी और बढ़ेगी. ऐसे में, 'एक राष्ट्र-एक मंडी' कहीं नजर नहीं आयेगी, जिसके इतने ढोल पीटे जा रहे हैं. फसल बिक्री के बाद कंपनी पहले अपने कर्ज और अन्य सेवाओं की रकम चुकता करेगी लेकिन किसान के हाथ में कितने दाम आएंगे, कोई नहीं जानता.