रांची: सरायकेला मॉब लिंचिंग मामले में तबरेज अंसारी के मौत के बाद राजनीति तेज हो गई है. वहीं, सामाजिक संगठन के लोग भी इसकी कड़ी निंदा करते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं. तबरेज मॉब लिंचिंग मामले में बुधवार को राजभवन के सामने कई संगठनों मे मिलकर धरना दिया. इन्हें राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन देते हुए अपनी मौजूदगी दर्ज की.
सरायकेला में मॉब लिंचिंग की घटना के बाद पूरे राज्य के लोगों में आक्रोश है. विपक्षी राजनीतिक दलों ने जहां इसकी घोर निंदा करते हुए सड़क पर उतरकर आंदोलन तक किया है तो वहीं, सामाजिक संगठन इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
सामाजिक और राजनीतिक संगठन राज्यपाल से मांग कर रहे हैं कि इस तरह की घटना भविष्य में न हो. इसके लिए कड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस प्रशासन की एक विशेष टीम बनाए, ताकि कोई बेगुनाह मौत के घाट न उतारा जा सके. इसे लेकर महाधरना का आयोजन राजभवन के समक्ष किया गया. सामाजिक संगठनों ने राज्य पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं.
वहीं, ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के अनिल अंशुमन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सबके विश्वास को लेकर देश चलाएंगे, लेकिन सरायकेला की घटना ने उनकी बातों को झुठला दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी सिर्फ उद्घाटन और पोस्टर बैनर की सरकार के रूप में काम कर रही है. जबकि लगातार झारखंड में मॉब लिंचिंग के कई लोग शिकार हो चुके हैं, लेकिन गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है. इसका परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
अनिल अंशुमन ने तबरेज अंसारी की मौत मामले के सभी दोषियों को कड़ी सजा दिए जाने की मांग की है. साथ ही प्रदेश में कहीं भी मॉब लिंचिंग की घटना हो तो इसके लिए डीसी और एसपी को जवाबदेही की बात कही. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून बनाकर आरोपियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा कड़ी सजा दिया जाना चाहिए.