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धनबाद: कोल इंडिया में तीन दिवसीय हड़ताल को सफल बनाने में जुटी संयुक्त मोर्चा, चलाया जनजागरण अभियान

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Published : Jun 27, 2020, 10:59 PM IST

धनबाद जिले में कोल इंडिया में तीन दिवसीय हड़ताल को सफल बनाने में संयुक्त मोर्चा जुटी हुई है. इसी के तहत जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है. वहीं इस तीन दिवसीय जन जागरण अभियान में विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेता शामिल हो रहे हैं.

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कोल इंडिया

धनबाद: कोल इंडिया में 2 जुलाई से 4 जुलाई तक प्रस्तावित हड़ताल चलाया जाएगा. इसे सफल बनाने के लिए संयुक्त मोर्चा ने निरसा के खुदिया कोलियरी और सेंट्रल पुल साइडिंग क्षेत्र में जन जागरण चलाया. जहां जन जागरण अभियान में शामिल विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेताओं ने लोगों को समझाया.

राष्ट्रीयकरण से हुआ था मजदूरों के जीवन में सुधार

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने बताया कि निजी मालिकों के तरफ से असंवैधानिक तरीके से कोयले के खनन में हो रहे राष्ट्रीय क्षति सुरक्षा उपायों की अवहेलना, मजदूरों का शोषण, अनुचित मजदूरी जैसे समस्याओं का ख्याल रखते हुए इंदिरा गांधी ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. इस निर्णय के बाद मजदूरों के जीवन स्तर में जबरदस्त सुधार हुआ. वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी कोल कंपनी कोल इंडिया का निर्माण हुआ. उस वक्त हो रहे है 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन को बढ़ाकर कोल इंडिया सात सौ मिलियन टन कोयला उत्पादन कर रही है, जो देश के सकल कोयला उत्पादन का 85 फीसदी है. देश में कोयला उद्योग के विस्तार और उत्पादन बढ़ाने में अपने अनुभव और दक्ष टीम की वजह से पूर्ण रूप से सक्षम है. ऐसे में भारत सरकार का बेवजह निजी मालिकों को आमंत्रित करते हुए कोल इंडिया पर निविदा में भाग लेने से रोक लगाकर निविदा आमंत्रित करना पूर्ण रूप से गैर वाजिब और देशहित के खिलाफ है. कोल इंडिया पूर्ण रूप से स्वावलंबी कंपनी के रूप में काम करते हुए सरकार को लाभ देने वाली नवरत्न कंपनी है.

इसे भी पढ़ें-धनबादः रेल कर्मचारी ने बनाया नॉनकॉन्टैक्ट थर्मामीटर, बगैर टच किए बताएगा तापमान

कमर्शियल माइनिंग की इजाजत पर करे पुनर्विचार
केंद्र सरकार को छोड़कर अपने कमर्शियल माइनिंग को इजाजत देने के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए कोल इंडिया को यह मौका देकर नया इतिहास रचना चाहिए. ताकि इंदिरा गांधी की तरह ही इस सरकार का भी इतिहास रहे. केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ पूरे देश के कोयला मजदूरों में आक्रोश है, जिसकी वजह से कोयला उद्योग में कार्यरत सभी केंद्रीय यूनियन इंटक, बीएमएस, एटक सीटू, एचएमएस के साथ-साथ अन्य सभी श्रम संघों ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का लगातार विरोध किया है,

नीलामी का हर जगह हुआ विरोध
18 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई. देश भर के सभी कोयला कंपनियों के मुख्यालयों पर सभी यूनियनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया. 5 सूत्री मांग के साथ तीन दिवसीय अखिल भारतीय कोयला मजदूरों के हड़ताल 2 जुलाई से 4 जुलाई को करने का आह्वान करते हुए प्रबंधन को हड़ताल की नोटिस थमा दी गई है. मांग पत्र और हड़ताल की नोटिस पूर्व में ही बीएमएस के तरफ से डॉ. डीके राय और इंटक के एस क्यू जामा सहित पांच श्रम संगठन द्वारा प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री, कोयला सचिव, चेयरमैन कोल इंडिया, सिंगरेनी कोल कंपनी लिमिटेड को पत्र भेज दिया गया है.

पांच श्रम संगठन के साथ हो वार्ता
26 जून को चार श्रम संगठन को वर्चुअल मीटिंग के लिए बुलाया पर सभी ने इसका विरोध किया और एक स्वर में कहा कि हड़ताल का नोटिस पांच श्रम संगठन ने दिया है, तो वार्ता भी पांच श्रम संगठनों से ही होगी. सरकार के श्रम संघों से अब तक बातचीत नहीं कर विवाद के शांतिपूर्ण निपटारे का कोई प्रयास नहीं किया.

धनबाद: कोल इंडिया में 2 जुलाई से 4 जुलाई तक प्रस्तावित हड़ताल चलाया जाएगा. इसे सफल बनाने के लिए संयुक्त मोर्चा ने निरसा के खुदिया कोलियरी और सेंट्रल पुल साइडिंग क्षेत्र में जन जागरण चलाया. जहां जन जागरण अभियान में शामिल विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेताओं ने लोगों को समझाया.

राष्ट्रीयकरण से हुआ था मजदूरों के जीवन में सुधार

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने बताया कि निजी मालिकों के तरफ से असंवैधानिक तरीके से कोयले के खनन में हो रहे राष्ट्रीय क्षति सुरक्षा उपायों की अवहेलना, मजदूरों का शोषण, अनुचित मजदूरी जैसे समस्याओं का ख्याल रखते हुए इंदिरा गांधी ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. इस निर्णय के बाद मजदूरों के जीवन स्तर में जबरदस्त सुधार हुआ. वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी कोल कंपनी कोल इंडिया का निर्माण हुआ. उस वक्त हो रहे है 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन को बढ़ाकर कोल इंडिया सात सौ मिलियन टन कोयला उत्पादन कर रही है, जो देश के सकल कोयला उत्पादन का 85 फीसदी है. देश में कोयला उद्योग के विस्तार और उत्पादन बढ़ाने में अपने अनुभव और दक्ष टीम की वजह से पूर्ण रूप से सक्षम है. ऐसे में भारत सरकार का बेवजह निजी मालिकों को आमंत्रित करते हुए कोल इंडिया पर निविदा में भाग लेने से रोक लगाकर निविदा आमंत्रित करना पूर्ण रूप से गैर वाजिब और देशहित के खिलाफ है. कोल इंडिया पूर्ण रूप से स्वावलंबी कंपनी के रूप में काम करते हुए सरकार को लाभ देने वाली नवरत्न कंपनी है.

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कमर्शियल माइनिंग की इजाजत पर करे पुनर्विचार
केंद्र सरकार को छोड़कर अपने कमर्शियल माइनिंग को इजाजत देने के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए कोल इंडिया को यह मौका देकर नया इतिहास रचना चाहिए. ताकि इंदिरा गांधी की तरह ही इस सरकार का भी इतिहास रहे. केंद्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ पूरे देश के कोयला मजदूरों में आक्रोश है, जिसकी वजह से कोयला उद्योग में कार्यरत सभी केंद्रीय यूनियन इंटक, बीएमएस, एटक सीटू, एचएमएस के साथ-साथ अन्य सभी श्रम संघों ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का लगातार विरोध किया है,

नीलामी का हर जगह हुआ विरोध
18 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई. देश भर के सभी कोयला कंपनियों के मुख्यालयों पर सभी यूनियनों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया. 5 सूत्री मांग के साथ तीन दिवसीय अखिल भारतीय कोयला मजदूरों के हड़ताल 2 जुलाई से 4 जुलाई को करने का आह्वान करते हुए प्रबंधन को हड़ताल की नोटिस थमा दी गई है. मांग पत्र और हड़ताल की नोटिस पूर्व में ही बीएमएस के तरफ से डॉ. डीके राय और इंटक के एस क्यू जामा सहित पांच श्रम संगठन द्वारा प्रधानमंत्री, कोयला मंत्री, कोयला सचिव, चेयरमैन कोल इंडिया, सिंगरेनी कोल कंपनी लिमिटेड को पत्र भेज दिया गया है.

पांच श्रम संगठन के साथ हो वार्ता
26 जून को चार श्रम संगठन को वर्चुअल मीटिंग के लिए बुलाया पर सभी ने इसका विरोध किया और एक स्वर में कहा कि हड़ताल का नोटिस पांच श्रम संगठन ने दिया है, तो वार्ता भी पांच श्रम संगठनों से ही होगी. सरकार के श्रम संघों से अब तक बातचीत नहीं कर विवाद के शांतिपूर्ण निपटारे का कोई प्रयास नहीं किया.

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