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ओडिशा से हजारीबाग के लिए चला चावल 10 महीने बाद पहुंचा, जानवरों के खाने लायक भी नहीं बचा अनाज

लापता होने की बात आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन चावलों से भरा रेलवे का रैक गायब हो जाए तो आप क्या कहेंगे? कुछ ऐसा ही नजारा हजारीबाग में देखने को मिला है, जहां लगभग 1300 बोरी चावल ट्रेन के माध्यम से हजारीबाग पहुंचना था, लेकिन यह बोगी पिछले 10 महीने से लापता थी.

सूरज सोरेन असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर रेलवे
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Published : Mar 1, 2019, 10:04 PM IST

हजारीबाग: लापता होने की बात आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन चावलों से भरा रेलवे का रैक गायब हो जाए तो आप क्या कहेंगे? कुछ ऐसा ही नजारा हजारीबाग में देखने को मिला है, जहां लगभग 1300 बोरी चावल ट्रेन के माध्यम से हजारीबाग पहुंचना था, लेकिन यह बोगी पिछले 10 महीने से लापता थी.

सूरज सोरेन असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर रेलवे


चावल ओडिशा के बर्गर से हजारीबाग के लिए पिछले साल अप्रैल में चला, लेकिन 10 महीने बाद वह हजारीबाग रेलवे स्टेशन पहुंचा. जब यह चावल पहुंचा और जांच किया गया तो चावल खराब हो चुका है. चावल में कीड़े लग चुके हैं. अब एफसीआई ने साफ तौर से कहां है कि चावल खराब है और वह चावल का उठाव नहीं किया जाएगा.


इस बात को लेकर रेलवे प्रशासन की ओर से कार्रवाई जांच शुरू की गई है. बरकाकाना से मेडिकल ऑफिसर बुलाए गए साथ ही धनबाद से भी अधिकारी हजारीबाग पहुंचे हैं. जांच के दौरान पाया कि अधिकांश बोरे खराब हो चुके हैं और जो बचे हुए अनाज है उसकी स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में खराब अनाज जानवर को भी खिलाने के लायक नहीं है. इस कारण सड़े अनाज को जमीन में गाड़ दिया गया. शेष अनाज के उठाव के लिए एफसीआई को कहा गया है, लेकिन एफसीआई ने कहा कि जब तक फूड इंस्पेक्टर की ओर से सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी तब तक अनाज का उठाव नहीं होगा.

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ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी लापरवाही के कारण गरीबों का अनाज बर्बाद हो गया और उसे जमीन में गाड़ देना पड़ा. 1300 बोरा अनाज में से 150 बोरा अनाज खराब हो चुका है, जिसे जेसीबी के माध्यम से जमीन में गाड़ दिया गया है.

हजारीबाग: लापता होने की बात आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन चावलों से भरा रेलवे का रैक गायब हो जाए तो आप क्या कहेंगे? कुछ ऐसा ही नजारा हजारीबाग में देखने को मिला है, जहां लगभग 1300 बोरी चावल ट्रेन के माध्यम से हजारीबाग पहुंचना था, लेकिन यह बोगी पिछले 10 महीने से लापता थी.

सूरज सोरेन असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर रेलवे


चावल ओडिशा के बर्गर से हजारीबाग के लिए पिछले साल अप्रैल में चला, लेकिन 10 महीने बाद वह हजारीबाग रेलवे स्टेशन पहुंचा. जब यह चावल पहुंचा और जांच किया गया तो चावल खराब हो चुका है. चावल में कीड़े लग चुके हैं. अब एफसीआई ने साफ तौर से कहां है कि चावल खराब है और वह चावल का उठाव नहीं किया जाएगा.


इस बात को लेकर रेलवे प्रशासन की ओर से कार्रवाई जांच शुरू की गई है. बरकाकाना से मेडिकल ऑफिसर बुलाए गए साथ ही धनबाद से भी अधिकारी हजारीबाग पहुंचे हैं. जांच के दौरान पाया कि अधिकांश बोरे खराब हो चुके हैं और जो बचे हुए अनाज है उसकी स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में खराब अनाज जानवर को भी खिलाने के लायक नहीं है. इस कारण सड़े अनाज को जमीन में गाड़ दिया गया. शेष अनाज के उठाव के लिए एफसीआई को कहा गया है, लेकिन एफसीआई ने कहा कि जब तक फूड इंस्पेक्टर की ओर से सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी तब तक अनाज का उठाव नहीं होगा.

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ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी लापरवाही के कारण गरीबों का अनाज बर्बाद हो गया और उसे जमीन में गाड़ देना पड़ा. 1300 बोरा अनाज में से 150 बोरा अनाज खराब हो चुका है, जिसे जेसीबी के माध्यम से जमीन में गाड़ दिया गया है.

Intro:लापता होने की बात आपने कई बार सुनी होगी ,लेकिन चावलों से भरा रेलवे का रैक गायब हो जाए तो आप क्या कहेंगे। कुछ ऐसा ही माजरा हजारीबाग में देखने को मिला है। जहां लगभग 1300 बोरी चावल ट्रेन के माध्यम से हजारीबाग पहुंचना था। लेकिन यह बोगी पिछले लगभग 10 महीने से लापता थी।


Body:गरीबों का ने वाला चावल उड़ीसा के बर्गर से हजारीबाग के लिए पिछले साल अप्रैल महिना में चली। लेकिन 10 महीने बाद वह हजारीबाग रेलवे स्टेशन पहुंची। जहां एफसीआई को यह चावल देना था। जब यह चावल पहुंची और जांच किया गया तो चावल खराब हो चुका था। चावल में कीड़े लग चुके थे ।अब एफसीआई ने साफ तौर से कहां है कि चावल खराब है और वह चावल का उठाव नहीं करेंगे ।इस बात को लेकर रेलवे प्रशासन की ओर से कार्रवाई शुरू की गई बरकाकाना से मेडिकल ऑफिसर बुलाए गए। साथ ही धनबाद से भी अधिकारी हजारीबाग पहुंचे। जिन्होंने जांच की। जांच के दौरान पाया कि अधिकांश बोरे खराब हो चुके हैं। और जो बचे हुए अनाज है उसकी स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में खराब अनाज जानवर को भी खिलाने के लायक नहीं थे। इस कारण सड़े अनाज को जमीन में गाड़ दिया गया। शेष अनाज के उठाव के लिए एफसीआई को कहा गया। लेकिन एफसीआई ने कहा कि जब तक फूड इंस्पेक्टर की ओर से सर्टिफिकेट नहीं दी जाएगी तब तक अनाज का उठाव नहीं होगा।

ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी लापरवाही के कारण गरीबों का अनाज बर्बाद हो गया और उसे जमीन में गाड़ देना पड़ा। आपको बताते चलें 1300 बोरा अनाज में से 150 बोरा अनाज खराब हो चुका है। जिसे जेसीबी के माध्यम से जमीन में गाड़ दिया गया है।
वहीं स्थानीय महिलाओं ने चावल लेने पहुंची तो रेल प्रशासन ने मना कर दिया। क्योंकि सारा चावल खराब हो चुका था ।ऐसे में सड़ा हुआ चावल खाने से तबियत खराब होने की आशंका जताई जा रही है। बरकाकाना से आए डॉक्टरों की टीम ने कहा कि चावल अधिकांशत खराब हो चुके हैं, तो दूसरी ओर रेल प्रबंधन की ओर से किसी तरह का बयान इस मामले में नहीं दिया गया।

byte.... सूरज सोरेन असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर रेलवे


Conclusion:लेकिन रेलवे की लापरवाही इस मामले में अस्पष्ट रूप से दिखती है ,क्योंकि गरीब का निवाला के साथ रेल विभाग ने बड़ा खिलवाड़ किया है । 10 महीने तक चावल को रेलवे के रैक में ही छोड़ दिया और विभाग के द्वारा भी अनाज ट्रैक नहीं किया गया।
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