रांची: राजधानी के प्रभात तारा मैदान में आयोजित पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया. प्रशासन की ओर से बताया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य मंच पर झारखंड की राज्यपाल, मुख्यमंत्री और दो मंत्रियों के साथ योगाभ्यास करेंगे, लेकिन जैसे ही योगाभ्यास कार्यक्रम शुरू करने की घड़ी आई तो मोदी सेना के जवान के साथ योग किए.
कार्यक्रम शुरू होने पर प्रधानमंत्री मुख्य मंच से उतरकर मंच के सामने बने उस ब्लाक में जा पहुंचे, जहां अनुशासित तरीके से सेना के जवान योगाभ्यास शुरू करने जा रहे थे. प्रधानमंत्री सीधे सेना के जवानों के बीच एक जगह पर जा बैठे और माइक पर आ रहे इंस्ट्रक्टर की आवाज को फॉलो करते हुए योगाभ्यास करने लगे. प्रधानमंत्री मोदी हमेशा सरप्राइज देने की कोशिश करते हैं. मीडिया के लिए प्रधानमंत्री का यह रुख बेशक सरप्राइज के रूप में था, लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर प्रधानमंत्री सेना के जवानों के बीच ही क्यों गए?
खास बात यह भी है कि यह वह जवान थे जो कठिन हालात और विपरीत परिस्थितियों में सियाचिन बॉर्डर पर सेवा दे चुके हैं या फिर वैसे दुर्गम बॉर्डर इलाकों में सेवा दे चुके हैं, जहां से दुश्मन घुसपैठ करने की कोशिश करते रहते हैं. जानकारों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने सेना के जवानों के बीच बैठकर योगाभ्यास के जरिए दुश्मन देश के साथ-साथ पूरी दुनिया को अपनी सेना की ताकत और सेना के प्रति विश्वास दिखाने की कोशिश की है. प्रधानमंत्री ने बिना कुछ कहे दुनिया को यह संदेश दे दिया की भारतीय फौज कितनी अनुशासित है. संभव है कि प्रधानमंत्री ने दुश्मन देश को अपने इस रुख से यह बताने की कोशिश की है कि भारतीय फौज धैर्यवान है. इसके साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए सक्षम है और पूरा देश भारतीय सेना के साथ खड़ा है.