रांची: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर सरना धर्म महा सम्मेलन का आयोजन राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोराबादी मैदान में किया गया, जिसमें पूर्व सांसद रामेश्वर उरांव, प्रोफेसर करमा उंराव, पूर्व विधायक देव कुमार धाम सहित कई आदिवासी कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित रहे. ये सम्मेलन आदिवासियों की पहचान और अस्मिता हमेशा के लिए बरकरार रहे इसके लिए किया गया.
महा सम्मेलन की शुरुआत सरना भजन के साथ किया गया. इस सम्मेलन में राज्य ही नहीं अनेक राज्य से आदिवासी समाज के उरांव, मुंडा, हो, गोड़वाना जैसे अनेक जनजातियों के लोग पारंपरिक वेशभूषा पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र के साथ शामिल हुए. दरअसल देश में 12 करोड़ आदिवासी निवास करते हैं जिन्हें कई दशक बीत जाने के बाद भी आज तक धर्म कोड नहीं मिला है जिसकी वजह से इनकी पहचान है अस्मिता दिनों दिन मिटती जा रही है.
आदिवासी मूल रूप से प्रकृति के पूजारी हैं जिसके तहत 1931 की जनगणना में आदिवासी के नाम से पहचान मिला था, लेकिन हर 10 साल की जनगणना में इनकी पहचान हस्तांतरित होता गया. देश भर में 800 धरा की जनजातियां निवास करती है जो अलग-अलग पंथ में बिखर गया है, जिससे आदिवासी समूह की शक्ति कमजोर होते चली गई है. सम्मेलन के माध्यम से सरना कोड धर्म की मांग को लेकर एक सहमति बनने का प्रयास किया जा रहा है.