रांचीः राजधानी में एक बार फिर से नक्सलियों के नाम पर रंगदारी का खेल शुरू हो गया है. पुलिस अब इस उधेड़बुन में फंसी हुई है कि आखिर रंगदारी मांगने वाला उग्रवादी संगठन से है या फिर किसी आपराधिक संगठन का यह काम है. यह पहली बार है जब इस मामले की जांच में पुलिस और नक्सली संगठन दोनों लगे हुए हैं. एक तरफ पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है तो दूसरी तरफ पीएलएफआई भी आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है.
लगातार सामने आ रहे मामले
पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) के नाम पर इन दिनों लगातार रंगदारी मांगे जाने के मामले सामने आ रहे हैं. जिसकी वजह से अब पीएलएफआई को हर बार बताना पड़ रहा है कि रंगदारी संगठन की ओर से नहीं मांगी गई है. ऐसे मामलों में पीएलएफआई खुद भी जांच में जुट गई है. सुप्रीमो और संगठन के बड़े उग्रवादी इसकी जांच कर रहे हैं. पुलिस को भी इसकी जानकारी मिली है.
इधर, पुलिस भी यह पता लगाने में जुट गई है कि आखिर कौन संगठन के नाम का इस्तेमाल पर रंगदारी मांग रहा है. पुलिस आशंका जता रही है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों का यह काम हो सकता है. हालांकि कुछ दिन पहले कांके स्थित जनरल नर्सिंग होम के मालिक डॉक्टर शंभू प्रसाद से 20 लाख की रंगदारी मांगे जाने के मामले में खुलासा हुआ था कि अपराधी पीएलएफआई के नाम का इस्तेमाल कर रंगदारी मांग रहे थे.
इधर, तुपुदाना ओपी क्षेत्र के हरदाग चौक स्थित लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र प्रधान के बंद पड़े वाटर प्यूरीफायर फैक्ट्री प्लांट के गेट पर पीएलएफआई के नाम पर पोस्टरबाजी मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो ने इन्कार किया है. पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप ने पर्चा जारी कर कहा है कि लोजपा पार्टी के नेता से किसी तरह की राशि नहीं मांगी गई है. नेता खुद जांच करें, संगठन भी जांच में जुटी हुई है. जिस तरह डॉ. शंभू प्रसाद से शरारती तत्वों ने रंगदारी मांगी थी. उसी तरह कोई चोर डाकू का काम होगा. विशाल नाम का कोई भी नेता नहीं है. इस पर्चा के मिलने के बाद पुलिस भी छानबीन में जुट गई है. पुलिस जांच भटकाने की साजिश या संगठन की करतूत है, यह पता लगा रही है. बता दें कि रंगदारी मांगने के इस मामले में पुलिस ने पूरी रात खूंटी के अलग अलग इलाकों में छापेमारी की. हालांकि पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. पुलिस पोस्टरबाजी करने वालों की तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. फैक्ट्री में तीसरी बार फिर पोस्टरबाजी कर दहशत फैलाने की कोशिश की गई है.
साइबर अपरधियो की भी हो सकती है भूमिका
रंगदारी मामले की जांच में जुटी पुलिस को यह भी आशंका है कि इस मामले में साइबर अपराधी भी शामिल हो सकते हैं. जिन नंबरों से धमकी भरे कॉल से आ रहे हैं, उनमें से अधिकांश चेन्नई जैसे शहरों से किए जा रहे हैं. पुलिस साइबर अपराधियों की मिलीभगत को भी रंगदारी से जोड़कर देख रही है और इस पहलू पर भी जांच कर रही है.
छोटे अपराधी भी मांग रहे संगठन के नाम पर रंगदारी
वहीं हाल के दिनों में कई ऐसे छोटे-छोटे अपराधी भी रंगदारी के धंधे में शामिल हुए हैं जो केवल फोन से धमकी देते हैं. अगर कोई उनसे डर जाता है तो पैसे दे जाता है, लेकिन जैसे ही मामला पुलिस तक पहुंचता है यह अपराधी अपना रास्ता बदल लेते हैं और फिर दोबारा कॉल नहीं करते हैं. यह अपराधी किसी न किसी बड़े नक्सली संगठन के नाम पर रंगदारी मांगते हैं.